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यौन संक्रमण से हर दिन दस लाख लोग प्रभावित

सिफ़िलिस एक ऐसा यौन संक्रमण है जिसका इलाज संभव है (फाइल)
© UNICEF/Jan Mun
सिफ़िलिस एक ऐसा यौन संक्रमण है जिसका इलाज संभव है (फाइल)

यौन संक्रमण से हर दिन दस लाख लोग प्रभावित

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि दुनिया भर में यौन गतिविधियों से होने वाले संक्रमण के बढ़ते मामले तुरंत चेत जाने की चेतावनी देते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार हर 25 में से एक व्यक्ति ऐसे यौन संक्रमण से प्रभावित है जिसका इलाज संभव है. इसका अर्थ है कि हर लगभग दस लाख लोग यौन संक्रमण का शिकार हो जाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी के अंदाज़ में कहा है कि ज़्यादातर देशों ने यौन संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भरपूर गंभीरता के साथ उपाय नहीं किए हैं. संगठन का कहना है कि यौन संक्रमण का अगर सही समय पर सटीक इलाज ना किया जाए तो इससे किशोर-किशोरियों, वयस्कों और यहाँ तक कि गर्भ में पल रहे बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की विश्व भर में सभी को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता वाली परियोजना के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर पीटर सलामा का कहना था, “ये एक चेतावनी है कि यौन संक्रमण इससे संबंधित बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए सभी को और हर समय ठोस इलाज की सुविधा व सेवाएँ उपलब्ध हों.”

संगठन की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन संक्रमण चार प्रकार का हो सकता है जिससे मस्तिष्क, दिल संबंधी बीमारियों के साथ-साथ बाँझपन, गर्भावस्था के दौरान जटिलताएँ, बच्चों की जन्म से पहले ही मौत हो जाना और यहाँ तक कि एचआईवी का भी ख़तरा पैदा हो जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन में प्रजनन स्वास्थ्य और अनुसंधान विभाग में एक चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मैलनी टेयलर का कहना था, “आँकड़ों से पता चलता है कि हर 25 में से कम से कम एक व्यक्ति को इस तरह का यौन संक्रमण होता है जिसका इलाज संभव है. इनमें से कुछ व्यक्तियों को तो एक ही समय पर कई तरह के यौन संक्रमण की तकलीफ़ से गुज़रते हैं.”

डॉक्टर मैलनी टेयलर का कहना था कि दुनिया भर में यौन संक्रमण के मामले चिंताजनक रफ़्तार से बढ़ रहे हैं. उन्होंने ध्यान दिलाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यौन संक्रमण के मामलों पर 2012 में ही आँकड़े और रिपोर्ट प्रकाशित कर दिए थे लेकिन तब से यौन संक्रमण के मामलों में कोई ठोस कमी नहीं देखी गई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये निष्कर्ष 2016 में एकत्र किए गए आँकड़ों पर आधारित है जिसमें 15 से 49 वर्ष की महिलाओं और पुरुषों के स्वास्थ्य को आधार बनाया गया था. रिपोर्ट में दुनिया भर में यौन संक्रमण के लगभग 37 करोड़ 60 लाख मामले दर्ज किए गए हैं.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए एक शिविर में एचआईवी जैसे यौन संक्रमणों की रोकथाम के उपायों के बारे में महिलाएँ जानकारी हासिल करते हुए. (फाइल 2014)
© UNHCR/Brian Sokol
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए एक शिविर में एचआईवी जैसे यौन संक्रमणों की रोकथाम के उपायों के बारे में महिलाएँ जानकारी हासिल करते हुए. (फाइल 2014)

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बैक्टीरिया से होने वाले यौन संक्रमण का इलाज तो आसानी से उपलब्ध दवाइयों के ज़रिए किया जा सकता है. मगर संगठन ने चेतावनी भी दी है कि कुछ अन्य तरह के यौन संक्रमण के इलाज के लिए ज़रूरी दवाइयों की वैश्विक आपूर्ति समुचित नहीं रही है.

संगठन ने आगाह करते हुए कहा है कि असुरक्षित यौन संबंध बनने पर 30 तरह के बैक्टीरिया और वायरस संपर्क में आते हैं जो यौन संक्रमण फैलाते हैं. कुछ बैक्टीरिया और वायरस संक्रमित रक्त और रक्त उत्पादों के ज़रिए भी फैलते हैं. इनमें नशीले पदार्थों के लिए इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन वग़ैरा भी शामिल हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन में यौन संक्रमण की चार क़िस्मों का ज़िक्र किया गया है जिनका इलाज संभव है. इनके अलावा चार अन्य ऐसी क़िस्में हैं जिनके वायरस का इलाज संभव नहीं है. इनके नाम हैं - हेपेटाइटिस बी, एचएसवी या हर्प्स, एचआईवी और एचपीवी.

संगठन ने ध्यान दिलाया है कि कई तरह का यौन संक्रमण गर्भावस्था और जन्म के दौरान माँ से बच्चे तक भी पहुँच जाता है. वायरस से होने वाला ऐसा यौन संक्रमण जिसका इलाज संभव नहीं है, उसे भी सही इलाज के ज़रिए काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है, या उसका रूप बदला जा सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यौन संक्रमण की रोकथाम व सटीक इलाज के लिए यौन जो सिफ़ारिशें पेश की हैं उनमें यौन संबंधों के दौरान सही क़िस्म और गुणवत्ता का कांडोम इस्तेमाल करना और लोगों के इस बारे में ज़्यादा जागरूक बनाना प्रमुख हैं.

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का ये भी कहना है कि दुनिया भर में यौन संक्रमण के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए समय पर और आसानी से उपलब्ध होने वाले टेस्ट यानी जाँच-पड़ताल और संक्रमण का पता लगने पर उसका सटीक इलाज करने की सुविधाएँ मुहैया कराना बहुत ज़रूरी है. संगठन ने गर्भवती महिलाओं की एचआईवी और सिफिलिस के लिए नियमित और व्यवस्थित स्क्रीनिंग यानी जाँच की नियमित व्यवस्था करने पर भी ज़ोर दिया है.