वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

मानवीय गतिविधियों के चलते मधुमक्खियों की संख्या में गिरावट

विश्व मधुमक्खी दिवस पर रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में भोजन और कृषि में मधुमक्खियों और परागणकारी जीवों की भूमिका के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है.
FAO/Alessia Pierdomenico
विश्व मधुमक्खी दिवस पर रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में भोजन और कृषि में मधुमक्खियों और परागणकारी जीवों की भूमिका के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है.

मानवीय गतिविधियों के चलते मधुमक्खियों की संख्या में गिरावट

एसडीजी

सदियों से मधुमक्खियों सहित अन्य परागणकारी जीव कृषि उत्पादन और जैवविविधता में बहुमूल्य योगदान देते आए हैं और दुनिया में तीन चौधाई से ज़्यादा फ़सलों का परागण करते हैं. लेकिन उनकी संख्या में लगातार कमी आने से वैश्विक खाद्य सुरक्षा के सामने एक बड़ा ख़तरा पैदा हो रहा है. विश्व मधुमक्खी दिवस पर परागणकारी जीवों की अहम भूमिका के प्रति जागरूकता फैलाने का  प्रयास किया जा रहा है.

पराग कणों के फूलों के नर हिस्से से मादा हिस्से तक पहुंचने की क्रिया को परागण कहते हैं जिससे नए बीजों और फूलों का जन्म होता है और पौधे फलते फूलते हैं. अगर मधुमक्खियां और अन्य परागणकारी जीव – जैसे तितलियां, गुंजन पक्षी (हमिंग बर्ड), चमगादड़ - न हों तो कॉफ़ी,  बादाम, टमाटर, गाजर, आलू, कोको, सेब और अन्य फलों के उत्पादन में मुश्किलें पेश आ सकती हैं.

अमेरिका और यूरोप से मिले आंकड़ों के विश्लेषण के बाद संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UNFAO) ने सचेत किया है कि  मानवीय गतिविधियों के प्रभाव के चलते परागणकारी जीवों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है और उनकी कुछ प्रजातियां हमेशा के लिए खो सकती हैं.

यूएन एजेंसी में कृषि अधिकारी अब्राम बिक्सलर ने बताया कि “ये कई कारणों के एक साथ आने का नतीजा है, इनमें से सभी मानवीय गतिविधियों की वजह से हैं. इसलिए जलवायु परिवर्तन एक कारक है, प्राकृतिक वास का खोना एक कारण है, ज़रूरत से ज़्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल एक बड़ी वजह है, लेकिन कई सारी बीमारियां और हानिकारक कीट हैं जो हमारे परागणकारी जीवों को नुक़सान पहुंचा रहे हैं. इसलिए जब इन सभी कारणों को इकठ्ठा किया जाए तो हां, परागणकारी मुश्किल समय झेल रहे हैं.”

खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार परागणकारी जीवों में सबसे लोकप्रिय मधुमक्खियां हैं और उनकी 25 से 30 हज़ार प्रजातियां हैं. पालतू मधुमक्खियों की तुलना में जंगली मधुमक्खियां ज़्यादा बेहतर ढंग से परागण करती हैं क्योंकि उनके पास अधिक संख्या में रोएं होते हैं जिससे जब वे पराग कणों की तलाश में जाती हैं तो वे चिपक जाते हैं.

मधुमक्खियों और अन्य परागणकारी जीवों के संरक्षण की अपील करते हुए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने पृध्वी को स्वस्थ बनाए रखने और जैवविविधता कायम रखने में उनकी अहम भूमिका को रेखांकित किया है. जलवायु परिवर्तन से निपटने में कृषि पारिस्थितिकी तंत्रों की सुदृढ़ता बढ़ाना, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के 2030 एजेंडा का एक अहम घटक है.

यूकेलिप्टस के फूल पर बैठकर पराग कणों को एकत्र करती मधुमक्खी.
FAO/Zinyange Auntony
यूकेलिप्टस के फूल पर बैठकर पराग कणों को एकत्र करती मधुमक्खी.

मधुमक्खियों के संरक्षण की अपील

यूएन एजेंसी के महानिदेशक होसे ग्राज़ियानो दा सिल्वा ने कहा कि “विश्व मधुमक्खी दिवस मधुमक्खी पालन, मधुमक्खी और अन्य परागणकारी जीवों की भूमिका को पहचानने का एक अवसर है जिससे खाद्य और पोषण सुरक्षा बढ़ती है, भुखमरी से लड़ाई बेहतर होती है और कृषि के लिए पारिस्थितिकी तंत्रों की मदद को बनाए रखा जा सकता है.”

मधुमक्खियों के सामने मंडरा रहे जोखिम से निपटने में आम लोगों से मदद के लिए अपील जारी करते हुए यूएन एजेंसी ने ऐसे फूल वाले पौधे लगाने पर ज़ोर दिया है जो मधुमक्खियों के लिए अनुकूल हैं.

साथ ही लोगों को कीट-पतंगों के लिए एक घर बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है जिसमें परागणकारी कीट शरण ले सकें. भूमि उपयोग के तरीक़े बदलने, हानिकारक कीटनाशकों का इस्तेमाल होने और कृषि योग्य भूमि पर हर साल सिर्फ़ एक ही फ़सल उगाने की प्रधा के चलते ये जोखिम पैदा हो रहे हैं.

कृषि अधिकारी बिक्सलर का कहना है कि बड़ी बात उनके प्राकृतिव वास को बढ़ावा देना है. खाद्य सुरक्षा और ग़रीबी घटाने में परागणकारी जीवों की भूमिका पर जानकारी को नीतिनिर्धारकों के साथ साझा कर कार्रवाई का आग्रह भी किया जा सकता है.

पहली बार विश्व मधुमक्खी दिवस पिछले साल 20 मई को मनाया गया. 20 मई स्लोवेनिया के एन्टोन जान्सा का जन्मदिन भी है जो आधुनिक मधमक्खी पालन में एक अग्रणी नाम हैं. वे एक ऐसे देश में मधुमक्खी पालने वाले परिवार से थे जहां कृषि उत्पादन में मधुमक्खियों का पालना  बड़ी पुरानी परंपरा थी.

विश्व मधुमक्खी दिवस का सुझाव सबसे पहले स्लोवेनिया गणराज्य ने ‘एपिमोन्डिया’ या इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ बीकीपर्स एसोसिएशन’ और यूएन एजेंसी के समर्थन से  दिया था. विश्व मधुमक्खी दिवस को संयुक्त राष्ट्र महासभा से मंज़ूरी 2017 में मिली और पिछले साल उसे पहली बार मनाया गया.