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उत्तर कोरिया में एक करोड़ लोग खाद्य संकट का शिकार

संयुक्त राष्ट्र की टीम ने जांच के लिए उत्तर कोरिया में उन्पा काउन्टी का दौरा किया.
WFP/James Belgrave
संयुक्त राष्ट्र की टीम ने जांच के लिए उत्तर कोरिया में उन्पा काउन्टी का दौरा किया.

उत्तर कोरिया में एक करोड़ लोग खाद्य संकट का शिकार

मानवीय सहायता

पिछले दस सालों में पहली बार बड़े पैमाने पर फ़सल उत्पादन में गिरावट होने के चलते उत्तर कोरिया में एक करोड़ से ज़्यादा लोग खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया में उपजी खाद्य असुरक्षा का आकंलन करती एक रिपोर्ट को शुक्रवार को जारी किया है.  भोजन की कमी के चलते देश में कुपोषण फैलने का जोखिम बढ़ गया है. 

खाद्य उत्पादन में कमी के लिए सूखे, गर्म हवाओं और बाढ़ को ज़िम्मेदार बताया गया है जिसके चलते लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध नहीं है. 

इस साल अप्रैल महीने में और पिछले साल नवंबर में यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन (UNFAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की टीम ने जो आंकड़े जुटाए उसके आधार पर ये निष्कर्ष निकाले गए हैं. यूएन टीम का कहना है कि उत्पादन में गिरावट आने और उसके बाद फ़सल नष्ट होने के चलते देश को 13 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा खाद्य सामग्री की कमी की चुनौती झेलनी पड़ रही है.  

उत्पादन में गिरावट होने और फ़सलें बर्बाद होने की वजह से देश को 13 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्य सामग्री की कमी का सामना करना पड़ रहा है. 2018-2019 में कृषि उत्पादन को 49 लाख मीट्रिक टन आंका गया जो 2008-2009 के बाद उत्पादन का सबसे निचला स्तर है. 

उत्तर कोरिया की सिन्चोन काउंटी में मक्का बोते किसान.
WFP/James Belgrave
उत्तर कोरिया की सिन्चोन काउंटी में मक्का बोते किसान.



मुश्किल जलवायु जनित परिस्थितियों, कृषि उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में ईंधन, खाद और अन्य ज़रूरी सामग्री की कमी के चलते फ़सल उत्पादन बड़ा असर पड़ा है. रिपोर्ट दर्शाती है कि लोगों को खाने के लिए बेहद कम मात्रा में खाना मिल रहा है जो चिंताजनक है. साथ ही उत्तर कोरिया में आहार में विविध विकल्प उपलब्ध नहीं है और ऐसे में परिवारों को दिन भर में कम खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. 

उत्तर कोरिया में आबादी का एक बड़ा हिस्सा राशन के लिए सावर्जनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर है. लेकिन खाद्य सामग्री के अभाव में लोगों को मिलने वाले राशन में भी बड़ी मात्रा में कटौती की गई है जिससे समुचित आहार न मिल पाने और कुपोषण फैलने का ख़तरा भी पैदा हो रहा है. 

सेहतमंद आहार के लिए खाद्य पदार्थों के कई पौष्टिक विकल्पों का होना अहम है. छोटे बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराती महिलाओं के लिए सेहतमंद आहार अति आवश्यक है लेकिन समुचित मात्रा में भोजन न मिलने की वजह से कुपोषण का जोखिम बढ़ जाएगा.