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संघर्ष के दौरान और उसके बाद महिला अधिकारों की रक्षा ज़रूरी

दक्षिण सूडान में एक बलात्कार पीड़िता अपनी मुश्किलों को साझा करती हुई.
UNMISS/Isaac Billy
दक्षिण सूडान में एक बलात्कार पीड़िता अपनी मुश्किलों को साझा करती हुई.

संघर्ष के दौरान और उसके बाद महिला अधिकारों की रक्षा ज़रूरी

शान्ति और सुरक्षा

लड़ाई के दौरान यौन हिंसा से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर पड़ने वाले असर के विनाशकारी प्रभावों को समझने में हाल के दशक में बड़ा बदलाव आया है. सुरक्षा परिषद में मंगलवार को इस मुद्दे पर उच्चस्तरीय चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि यौन हिंसा और ऐसे अपराधों की तत्काल रोकथाम होनी चाहिए और दंडमुक्ति की संस्कृति को हटा कर दोषियों की जवाबदेही तय होनी ज़रूरी है.

प्रस्ताव 1888 को अपनाए जाने की दसवीं वर्षगांठ पर हो रही बैठक में यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, कि “स्थानीय स्तर पर नागरिक समाज संगठन, जिनमें अधिकतर महिलाओं के संगठन हैं, वे ऐसे अपराधों की रोकथाम करने और निवारण के उपायों में जुटे हैं. उन्हें हमारा मज़बूत और सतत समर्थन चाहिए.” इस प्रस्ताव के ज़रिए ही संघर्ष के दौरान होने वाली यौन हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि की नियुक्ति संभव हुई.

इन अपराधों से महिलाएं और लड़कियां ही मुख्य तौर पर प्रभावित हैं क्योंकि यह लैंगिक असमानता और भेदभाव जैसे व्यापक मुद्दों से भी करीबी से जुड़ा है. ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए यूएन प्रमुख ने कहा है कि संघर्ष के दौरान और उसके बाद महिला अधिकारों और लैंगिक समानता को हर क्षेत्र में बढ़ावा मिलना चाहिए.

“राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन में महिलाओं की पूर्ण और प्रभावी हिस्सेदारी इसमें शामिल होनी ज़रूरी है. साथ ही सुलभ और उत्तरदायी न्यायिक और सुरक्षा संस्थानों तक पहुंच को सुनिश्चित किए जाने की भी.”

महासचिव गुटेरेश ने संघर्ष के दौरान होने वाली यौन हिंसा, लैंगिक असमानता और भेदभाव, और हिंसक चरमपंथ और आतंकवाद में संबंध को भी स्पष्ट किया. “चरमपंथी और आतंकवादी अक्सर अपनी विचारधाराओं का निर्माण महिलाओं और लड़कियों को पराधीन बना लेने के इर्द-गिर्द करते हैं. जबरन विवाह से परोक्ष दासता तक, वे यौन हिंसा का कई रूपों में इस्तेमाल करते हैं.”

 “मैं इस परिषद को प्रोत्साहित करूंगा कि संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा की रोकथाम को सभी देश-विशिष्ट प्रस्तावों और शांति अभियानों के अधिकार-पत्र में शामिल किया जाए.”

यूएन महासचिव ने न्याय व्यवस्था और जवाबदेही को मज़बूत बनाए जाने पर बल देते हुए कहा कि चुनिंदा बड़े मामलों को छोड़कर, “लड़ाई के दौरान यौन हिंसा के लिए व्यापक दंडमुक्ति है.” अधिकतर अपराधों के बारे में जानकारी नहीं दी जाती और न ही उनकी जांच होती है, सज़ा तो दूर की बात है.

सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों से मतभेद दूर करने की अपील करते हुए यूएन प्रमुख ने कहा कि इन अपराधों के विरूद्ध वैश्विक कार्रवाई के ज़रिए दोषियों को सज़ा दिलाने और पीड़ितों को सहारा दिया जाना सुनिश्चित होना चाहिए. इस प्रक्रिया में उनके मानवाधिकारों का पूरी तरह सम्मान होना चाहिए.

“एक साथ मिलकर हम दंडमुक्ति को न्याय में और बेपरवाही को कार्रवाई में तब्दील कर सकते हैं.”

(बांए से दाएं) यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश; अमल क्लूनी, बैरिस्टर; नादिया मुराद, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता; हाइको मास, जर्मन विदेश मंत्री.
UN Photo/Loey Felipe
(बांए से दाएं) यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश; अमल क्लूनी, बैरिस्टर; नादिया मुराद, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता; हाइको मास, जर्मन विदेश मंत्री.

सदमे में समुदाय

कथित सामाजिक कलंक और अन्य अवरोधों के चलते यौन हिंसा के मामले आम तौर पर बेहद कम संख्या में ही सामने आ पाते हैं. लेकिन संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने परिषद को बताया कि अब ऐसे अपराधों के कारकों, रूपों और प्रभावों के संबंध में समझ बढ़ी है. साथ ही पीड़ितों द्वारा महसूस किए जाने वाले शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दबावों के बारे में भी.

एक दशक तक इन अपराधों से निपटने और साझा प्रयासों के बावजूद उन्होंने कहा कि युद्ध अब भी महिलाओं और लड़कियों के शरीरों पर लड़े जा रहे हैं.

“यौन हिंसा से संघर्ष भड़कते हैं और स्थायी शांति की उम्मीदों को भी झटका लगता है. इन अपराधों को इसीलिए किया जाता है क्योंकि इनके ज़रिए लोगों को प्रभावी रूप से निशाना बनाया जा सकता है और पूरे समुदायों को तबाह किया जा सकता है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि महिलाओं को जातीय, धार्मिक, राजनीतिक और वंश के चलते भी निशाना बनाया जाता है.

दक्षिण सूडान में अपनी यात्रा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यौन हिंसा की क्रूरता देखकर वह भयाक्रांत थीं. इसमें जातीय आधार पर महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा हुई जिसमें चार साल की बच्चियों को भी नहीं बख़्शा गया. जूबा में संयुक्त राष्ट्र के सरंक्षण में रह रहे समुदाय की महिलाओं का सामूहिक बलात्कार हुआ और यौन दासता के लिए उन्हें अगवा कर लिया गया.

“आप उस हताशा की कल्पना कीजिए जब माता-पिता ने अपनी बेटियों की शादियां अनजान लोगों से कर दी ताकि उन्हें बलात्कार से बचाया जा सके.”

“अगर हमें इन अपराधों को होने से ही रोकना है तो हमें इस अस्वीकार्य सच्चाई का सामना करना होगा कि सशस्त्र संघर्षों में महिलाओं, बच्चों और पुरुषों का बलात्कार करने की क़ीमत नहीं चुकानी पड़ती. इस स्थिति को बदलने के लिए हमें ऐसे अपराधों की क़ीमत और परिणाम उन लोगों के लिए बढ़ाने होंगे जो यौन हिंसा के अपराधों के लिए ज़िम्मेदार हैं, उनके आदेश देते हैं या फिर उनकी अनदेखी करते हैं.”

“सदियों पुरानी दंडमुक्ति की संस्कृति को जवाबदेही की संस्कृति में बदले जाने की आवश्यकता है.”