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रवांडा जनसंहार के शीर्ष भगोड़े की गिरफ़्तारी, न्याय होने की प्रतीक

रवांडा में जातीय जनसंहार के दौरान कुछ लोगों ने शवों के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई थी.
UNICEF/UNI55086/Press
रवांडा में जातीय जनसंहार के दौरान कुछ लोगों ने शवों के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई थी.

रवांडा जनसंहार के शीर्ष भगोड़े की गिरफ़्तारी, न्याय होने की प्रतीक

क़ानून और अपराध रोकथाम

रवांडा में युद्धापराधों की जाँच कर रहे संयुक्त राष्ट्र ट्राइब्यूनल ने गुरूवार को कहा है कि दुनिया के सबसे वांछित जनसंहार भगोड़ों में से एक – फ़ुलजेंस काईशेमा को, दो दशक से भी ज़्यादा समय तक फ़रार रहने के बाद, गिरफ़्तार कर लिया गया है.

आपराधिक ट्राइब्यूनल के लिए अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली (IRMCT) ने एक वक्तव्य में कहा है कि फ़ुलजेंस काईशेमा पर, 1994 में रवांडा में तुत्सी समुदाय के विरुद्ध हुए जनसंहार के दौरान, न्यानगे कैथॉलिक चर्च में, लगभग 2000 तुत्सी शरणार्थियों की हत्या को अंजाम देने का आरोप है.

फ़ुलजेंस काईशेमा को बुधवार, 24 मई को दक्षिण अफ़्रीका में स्थानीय अधिकारियों और IRMCT के अभियोजक के कार्यालय के एक संयुक्त अभियान में गिरफ़्तार किया गया.

IRMCT ऐसे अनिवार्य कार्यों का निष्पादन करता है जो पहले रवांडा के लिए अन्तरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल करता था, जिसे दिसम्बर 2015 में बन्द कर दिया गया था.

ये प्रणाली पूर्व यूगोस्लाविया के लिए बनाए गए ट्राइब्यूनल के कार्यों को भी अंजाम देती है, जिसे दो वर्ष बाद 2017 में बन्द कर दिया गया था.

आख़िरकार न्याय के कटघरे में

फ़ुलजेंस काईशेमा वर्ष 2001 से ही फ़रार रहा है और रवांडा में हुए जनसंहार के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले चार शीर्ष भगोड़ों में से एक है.

उस जनसंहार में लगभग 100 दिनों के दौरान, अनुमानतः दस लाख लोगों को मार दिया गया था और लगभग ढाई लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था.

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IRMCT के मुख्य अभियोजक सर्गे ब्रैमर्ट्ज़ ने कहा है कि फ़ुलजेंस काईशेमा की गिरफ़्तारी ये सुनिश्चित करती है कि लम्बे समय से फ़रार ये भगोड़ा, अपने तथाकथित अपराधों के लिए, आख़िरकार न्याय के कटघरे में खड़ा होगा.

उन्होंने कहा, “जनसंहार, मानवता की जानकारी में, सबसे अधिक गम्भीर अपराध है. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने ये सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है कि जनसंहार के ज़िम्मेदारों पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें दंडित किया जाएगा.”

उन्होंने कहा कि फ़ुलजेंस काईशेमा की गिरफ़्तारी स्पष्ट रूप से दिखाती है कि ये प्रतिबद्धता फीकी नहीं पड़ी है और न्याय प्रक्रिया अपना काम करेगी, चाहे कितना ही लम्बा समय क्यों ना लगे.

न्याय के अन्तरराष्ट्रीय साझीदार

IRMCT के मुख्य अभियोजक सर्गे ब्रैमर्ट्ज़ ने कहा कि जिस व्यापक जाँच के बाद इस गिरफ़्तारी का रास्ता साफ़ हुआ, उसमें दक्षिण अफ़्रीका के सक्रिय सहयोग व समर्थन का बड़ा हाथ है.

इस अभियान में कुछ अन्य अफ़्रीकी देशों का भी सक्रिय समर्थन मिला, जिनमें ऐस्वातिनी और मोज़ाम्बीक़ प्रमुख हैं.

IRMCT के मुख्य अभियोजक सर्गे ब्रैमर्ट्ज़ ने कुछ अन्य देशों से मिले समर्थन का भी ज़िक्र किया है, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, कैनेडा और ब्रिटेन शामिल हैं.

“फ़ुलजेंस काईशेमा की गिरफ़्तारी एक बार फिर, ये दिखाती है कि अन्तरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विधि प्रवर्तन एजेंसियों के बीच प्रत्यक्ष सहयोग के माध्यम से, न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है, भले ही कितनी ही चुनौतियाँ क्यों ना हों.”

फ़ुलजेंस काईशेमा को रवांडा के लिए संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक ट्राइब्यूनल (ICTR) ने, वर्ष 2001 में दोषी साबित किया था.

फ़ुलजेंस काईशेमा पर, रवांडा में तुत्सियों के ख़िलाफ़ 1994 में हुए जनसंहार, जनसंहार में मिलीभगत, जनसंहार की साज़िश रचने, और मानवता के विरुद्ध अन्य अपराधों के लिए मुक़दमा चलाया गया था.

दोषसिद्धि वक्तव्य के अनुसार, फ़ुलजेंस काईशेमा और उसके सहयोगियों ने, 15 अप्रैल 1994 को, किवूमू इलाक़े में स्थित न्यानगे चर्च में, 2000 से ज़्यादा शरणार्थियों की हत्याएँ की थीं, जिनमें पुरुष, महिलाएँ, वृद्धजन और बच्चे भी थे.

वक्तव्य के अनुसार, “फ़ुलजेंस काईशेमा ने जनसंहार को अंजाम देने की साज़िश में, प्रत्यक्ष रूप शिरकत की और अगले दो दिनों तक शवों को, क़ब्रों तक पहुँचाने के काम में भी संलिप्त रहा.”