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वैश्विक चुनौतियों से निपटने में युवाओं का साथ अहम

यूएन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की यूथ फॉरम की सोमवार को शुरुआत हुई.
UN Photo/Evan Schneider
यूएन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की यूथ फॉरम की सोमवार को शुरुआत हुई.

वैश्विक चुनौतियों से निपटने में युवाओं का साथ अहम

एसडीजी

एक टिकाऊ दुनिया के निर्माण के लिए युवाओं को सशक्त बनाने वाले कौशलों, मूल्यों, नौकरियों और आजीविका के साधनों की आवश्यकता है. आठवीं यूथ फ़ॉरम को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की अध्यक्ष इन्गा रहोन्डा किंग ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में युवाओं की प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया. 

"हमारे समय की निर्धारक चुनौतियों से निपटे जाने की सख़्त ज़रूरत है: गुणवत्तापरक शिक्षा तक पहुंच, बेरोज़गारी, असमानता, सामाजिक बहिष्कार और जलवायु परिवर्तन."

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पाने की दिशा में प्रगति के बावजूद अब भी दुनिया 2030 तक उन्हें पाने के सही रास्ते पर नहीं है. 

यूएन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की अध्यक्ष रहोन्डा किंग ने कहा कि सिर्फ़ संयुक्त राष्ट्र इसे हासिल नहीं कर सकता. इसके लिए हम सभी को एक साथ आना होगा. 

सोमवार को शुरू हुई आठवीं यूथ फ़ॉरम की विषय वस्तु "एम्पावर्ड, इन्क्लुडेड एंड इक्वल' या "सशक्त, सम्मिल्लित और समान" है जिसके माध्यम से दुनिया भर में युवाओं के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास हो रहा है. 

यूएन महासभा अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान पीढ़ी - इतिहास में सबसे ज़्यादा संख्या में, सबसे शिक्षित, और वैश्विक नज़रिया रखने वाली - जो हासिल कर सकती है उसकी कोई सीमा तय नहीं की जा सकती."

उन्होंने कहा कि चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए अलग-अलग पीढ़ियों के बीच समावेशी सहयोग की आवश्यकता है.

"दुनिया में इस समय 6.4 करोड़ युवा बेरोज़गार हैं. इससे दोगुनी संख्या ऐसे युवाओं की है जो दिन भर में 1.90 डॉलर ही कमा पाते हैं. लेकिन सही तरीक़ों के ज़रिए, तकनीकी क्षेत्र में आधुनिकीकरण के ज़रिए स्थिति को सुधारा जा सकता है. लेकिन उसके बग़ैर हालात और ख़राब हो जाएंगे." 

यूथ फॉरम के महत्व को रेखांकित करते हुए महासभा अध्यक्ष ने बताया कि "2012 में इसके सूत्रपात से ही यह टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को लागू करने की प्रक्रिया में युवाओं  की भागीदारी सुनिश्चित करने का एक अहम ज़रिया बन गई है."

युवा आवाज़ों की अहमियत

वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने में युवाओं की भूमिका का ज़िक्र करते हुए यूएन महासभा अध्यक्ष ने कहा कि "निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ग्रह के लिए हमारे साझा संघर्ष में आपका प्रमुख किरदार है और उसके लिए युवाओं को सशक्त बनाना और समान रूप से सम्मिलित करना आवश्यक है."

लेकिन विकास प्रक्रिया की धीमी रफ़्तार पर उन्होंने माना कि "युवाओं का अधीर होना और हमारी पीढ़ी पर क्रोधित होना जायज़ है, हमारे सामने मौजूद चुनौतियां से निपटने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा."

"लाखों लोगों के लिए टिकाऊ विकास लक्ष्य अब भी दूर का सपना है. लेकिन इसे वैसा नहीं होना चाहिए. 2030 एजेंडा महज़ एक साझा महत्वाकांक्षा नहीं है. यह साझा कार्य योजना है. इसलिए आइए काम शुरू करते हैं."

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यूएन युवा मामलों की विशेष दूत जयाथमा विक्रमानायके ने कहा कि यूथ फॉरम के ज़रिए टिकाऊ विकास और जलवायु कार्रवाई में युवाओं की आवाज़ों, उनकी ज़रूरतों और अधिकारों को शामिल करने में मदद मिलेगी.

इसी साल टिकाऊ विकास और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अहम वार्ताएं भी होनी हैं. 

युवा दूत ने कहा कि सदस्य देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं - विशेषकर युवाओं से जुड़ी समस्याओं - उनसे निपटने में संयुक्त राष्ट्र कई मोर्चों पर उनकी मदद कर रहा है.