यूएन75: वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में भरोसे पर मुहर

दुनिया भर में लोगों ने वैश्विक चुनौतियों का असरदार ढँग से मुक़ाबला करने के लिये बहुपक्षवाद में अपना भरोसा व्यक्त किया है. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर, 2020 के दौरान, साल भर तक चले सर्वेक्षणों और सम्वादों में यह बात प्रमुखता से सामने आई है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जनवरी 2020 में यूएन75 पहल शुरू की थी जिसका उद्देश्य दुनिया भर में लोगों की आशाओं व आशंकाओं को समझना था.
For the past year, we have worked with thousands of organisations from all regions and sectors to ensure that as many people as possible take part in #UN75: https://t.co/xHffZOeAl4 #ShapingOurFuture pic.twitter.com/LaUkaDT9ps
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साथ ही अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व संयुक्त राष्ट्र की भूमिका के सम्बन्ध में उनकी आकाँक्षाओं व विचारों को सुना जाना था.
195 देशों से 15 लाख लोगों ने, सर्वेक्षणों और सम्वादों के ज़रिये इस मुहिम में हिस्सा लिया.
महासचिव गुटेरेश ने नतीजों का उल्लेख करते हुए बताया, “यूएन75 वैश्विक चर्चा दर्शाती है कि 97 फ़ीसदी प्रतिभागियों ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग का समर्थन किया है.”
“यह बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र के मिशन के लिये एक बेहद मज़बूत संकल्प को दर्शाता है.”
“अब उन लोगों की उम्मीदों को पूरा करना हम पर – सदस्य देशों और यूएन सचिवालय – पर निर्भर है जिनके लिये हम सेवारत हैं.”
यूएन75 सम्वादों और सर्वेक्षणों के साथ-साथ विश्व आबादी की राय जानने के लिये नवाचारी तरीक़ों, आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस, और पारम्परिक व सोशल मीडिया सहित अन्य औज़ारों का इस्तेमाल किया गया.
इसके अलावा वास्तविकता को जानने के लिये दो स्वतन्त्र सर्वेक्षण भी कराए गए.
सर्वेक्षण बताते हैं कि विभिन्न पीढ़ियों, क्षेत्रों, आय समूहों, शिक्षा स्तरों में भविष्य के प्रति आशंकाओं व आकाँक्षाओं और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के सम्बन्ध में उम्मीदों में एकता दिखाई.
कोविड-19 महामारी के बाद तात्कालिक प्राथमिकताओं में स्पष्ट है कि दुनिया बेहतर और किफ़ायती बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ, स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापरक शिक्षा, जल व साफ़-सफ़ाई चाहती है.
साथ ही सबसे अधिक प्रभावित समुदायों व स्थानों के साथ वैश्विक एकजुटता के प्रदर्शन की ज़रूरत जताई गई है.
कोरोनावायरस संकट के कारण मानव विकास पथ पर हो रही प्रगति को झटका लगा है और विषमताएँ बढ़ी हैं.
इसके मद्देनज़र बहुत से प्रतिभागियों ने बुनियादी सेवाओं की सुलभता और प्रभावितों की मदद को प्राथमिकता देने की इच्छा ज़ाहिर की है.
तात्कालिक प्राथमिकता के तौर पर स्वास्थ्य देखभाल की सार्वभौमिक सुलभता का लक्ष्य रखा गया है.
प्रतिभागियों ने, इसके अलावा, बच्चों व शिक्षा पर इस संकट के असर को ध्यान में रखते हुए शिक्षा व युवा कार्यक्रमों में ज़्यादा निवेश को अहम माना है, विशेषत: सब-सहारा अफ़्रीका, और मध्य व दक्षिणी एशिया के देशों में.
लोगों ने उम्मीद जताई है कि अगले 25 वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता में बेहतरी आएगी. लेकिन सभी क्षेत्रों में प्रतिभागियों ने सबसे बड़ी दीर्घकालीन चुनौती के रूप में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों का नाम लिया.
अन्य दीर्घकालीन प्राथमिकताएँ आय के स्तर के अनुसार बदलती हैं, लेकिन मुख्यत: रोज़गार के अवसरों से जुड़ी चिन्ताओं, मानवाधिकारों के लिये सम्मान और हिंसक संघर्ष में कमी लाने से जुड़ी हैं.
उच्चतर मानव विकास वाले देशों में प्रतिभागी पर्यावरण और मानवाधिकारों को ज़्यादा प्राथमिकता देते हैं, जबकि निम्नतर मानव विकास वाले देशों में प्रतिभागी हिंसक संघर्ष के कारणों को दूर करने और रोज़गार, स्वास्थ्य देखभाल व शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा होते देखना चाहते हैं.
बहुत से प्रतिभागियों का मानना है कि तात्कालिक और दीर्घकालीन चुनौतियों के हल के लिये, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है जिसके लिये संयुक्त राष्ट्र को अगुवाई करनी होगी.
नतीजे दर्शाते हैं कि लोग संगठन को ज़्यादा समावेशी, लोगों से जुड़ा हुआ, जवाबदेह और प्रभावी देखना चाहते हैं.
प्रतिभागियों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा नैतिक नेतृत्व प्रदर्शित किये जाने की पुकार लगाई है, वे सुरक्षा परिषद में सुधार, ज़्यादा प्रतिनिधित्व व स्फूर्ति और यूएन प्रणाली में समावेश व हिस्सेदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं.