वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

टिकाऊ विकास और जलवायु कार्रवाई के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग अहम

अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में दक्षिण-दक्षिण सहयोग सम्मेलन में यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश.
UNIC Buenos Aires/Mariano Solier
अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में दक्षिण-दक्षिण सहयोग सम्मेलन में यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश.

टिकाऊ विकास और जलवायु कार्रवाई के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग अहम

आर्थिक विकास

जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध लड़ाई और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को पाने में दक्षिण-दक्षिण सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर दूसरे उच्चस्तरीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यह बात कही. 

महासचिव गुटेरेश ने सम्मेलन में उपस्थित राजनीति, व्यवसाय और नागरिक समाज से जुड़े नेताओं को याद दिलाया कि 'बापा+40' सम्मेलन से उसी एजेंडा और सहयोग को मज़बूत करने में मदद मिलेगी जिसकी परिकल्पना 40 साल पहले विकासशील देशों में तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 'ब्यूनस आयर्स प्लान ऑफ़ एक्शन (BAPA)' में की गई थी.  20 मार्च को शुरु हुआ यह सम्मेलन 22 मार्च तक चलेगा.

दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

उन्होंने कहा कि यह सप्ताह फिर से दक्षिण-दक्षिण सहयोग - दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित विकासशील देशों के बीच सहयोग - की रूपरेखा को विकसित कर उसे और मज़बूत बनाने का संकल्प लेने का एक अवसर है.  साथ ही पारदर्शिता बढ़ाने और जवाबदेही तय करने की प्रणालियां भी बेहतर करने के प्रयास होने चाहिए.

"ब्यूनस आयर्स प्लान ऑफ़ एक्शन या BAPA ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के मायने बदल दिए हैं. इसने दर्शाया कि विकास प्रक्रिया में समान चुनौतियां झेल रहे देशों में ज्ञान और तकनीक के आदान-प्रदान पर आधारित अलग तरह से सहयोग करने का क्या मूल्य है." यूएन प्रमुख ने बताया कि आपसी सहयोग विकासशील देशों को एक दूसरे से सीखने, तेज़ी से विकास करने, आय की खाई को पाटने और समावेशी, सहनशील समाजों के निर्माण का अवसर देता है.

पांच मुद्दे, कई समाधान

यूएन प्रमुख ने अपने संबोधन में ऐसी कई चुनौतियों पर ध्यान आकृष्ट किया जिनसे निपटने में सम्मेलन में उपस्थित नेता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.  साथ ही इससे टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के प्रभावी अमलीकरण का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा. 

सबसे पहली चुनौती के रूप में उन्होंने असमानता का ज़िक्र किया जो देशों में और देशों के भीतर बढ़ रही है और जिससे दुनिया भर में विश्वास कम हो रहा है और अन्याय की भावना उभर रही है.

दूसरे, जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध लड़ाई और गहन हो रही है. 

"2018 अब तक का चौथा सबसे गर्म साल था. प्राकृतिक आपदाएं हर क्षेत्र में क़हर बरपा रही हैं." महासचिव गुटेरेश ने सदस्य देशों से अनुरोध किया कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए योगदानों को बढ़ाया जाना चाहिए. पारस्परिक सहयोग और सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान, अनुकूलन क्षमता और विकासशील देशों और उनके नागरिकों की जलवायु सहनशीलता बढ़ाने के लिए उन्होंने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बेहद अहम बताया.

"दक्षिण-दक्षिण सहयोग के साथ-साथ टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित रणनीतियां अपनाने से जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं की कायापलट करने में मदद मिल सकती है."

विकास के रास्ते में सावधानी ज़रूरी

तीसरी प्राथमिकता के रूप में उन्होंने आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने का ज़िक्र किया, विशेषकर शहरों में जहां विकासशील देशों में ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है. “2030 तक जितने क्षेत्र का शहरीकरण हो सकता है उसके 60 फ़ीसदी हिस्से का निर्माण अभी हुआ नहीं है.  अगर हम यहां ग़लती करते हैं तो हम अधिक उत्सर्जन वाले भविष्य में क़ैद हो जाएंगे जिसके गंभीर परिणाम होंगे.”

चौधा बिंदु लैंगिक समानता पर केंद्रित रहा. यूएन महासचिव ने कहा कि लैंगित समानता सुनिश्चित करने के रास्ते में प्रगति हुई है लेकिन फिर भी खाई बढ़ रही है. “यह हम सभी को प्रभावित करता है, क्योंकि जहां भी राजनीति में महिलाओं को बेहतर प्रतिनिधित्व मिलता है वहां हम देखते हैं कि सामाजिक सुरक्षा और विकास पर ख़र्च में सुधार आता है. जब महिलाओं के पास ज़मीन और कर्ज़ लेने का ज़रिया होता है तो फ़सल उत्पादन भी बढ़ता है. जब लड़कियां पढ़ती हैं तो वे अपने समुदायों में योगदान दे पाती हैं और ग़रीबी के चक्र को तोड़ती हैं."

सम्मेलन के दौरान कार्यक्रमों में हि्स्सा लेते यूएन महासचिव.
UNIC Buenos Aires/Mariano Solier
सम्मेलन के दौरान कार्यक्रमों में हि्स्सा लेते यूएन महासचिव.

अंत में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से और ठोस प्रयास करने और ब्यूनस आयर्स में आए देशों का समर्थन करने की अपील की. "दक्षिण-दक्षिण सहयोग में हाल के सालों में काफ़ी बदलाव देखने को मिला है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य बहुपक्षीय संगठन बदलते समय में थोड़ा पीछे हैं."

लेकिन महासचिव ने सचेत किया कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग, आधिकारिक रूप से दी जाने वाली विकास सहायता और विकसित देशों की ज़िम्मेदारियों का स्थान कभी नहीं ले सकता. अभिनव साझेदारियों के निर्माण के लिए इसमें युवाओं, नागरिक समाज, निजी सेक्टर, शिक्षा जगत और अन्य लोगों को शामिल किए जाने की आवश्यकता है. 

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने कहा कि 'बापा' दुनिया भर में समानता बढ़ाने के लिए विकासशील देशों की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. 

“न्यूयॉर्क या नई दिल्ली, पेरिस या प्रिटोरिया, क्विटो या हेलसिंकी, हर जगह के लोग एक जैसे सपनों को देखते हैं: एक अच्छी नौकरी, स्वास्थ्य और शिक्षा, स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण, समस्याओं को सुनने वाली और उत्तरदायी सरकार, और ठोस परिणाम लाने वाली दक्षतापूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था."

महासभा अध्यक्ष एस्पिनोसा ने कहा कि ये सपने जो इतने सरल दिखाई देते हैं, वे दूर होते जा रहे हैं. "यह स्पष्ट है कि हम अंतरराष्ट्रीय सहयोग और बहुपक्षीय कार्रवाई में विश्वास और उसके प्रभावीपन को बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं."

आपसी एकजुटता और साझा हितों के सिद्धांत दक्षिण-दक्षिण सहयोग को एक मज़बूत ताक़त बनाते हैं.