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'शरणार्थियों के मुद्दे पर उदाहरण पेश कर रहे हैं अफ़्रीकी देश'

मीडिया को संबोधित करते यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.
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मीडिया को संबोधित करते यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.

'शरणार्थियों के मुद्दे पर उदाहरण पेश कर रहे हैं अफ़्रीकी देश'

प्रवासी और शरणार्थी

शरणार्थियों के साथ बर्ताव के मामले में अफ़्रीकी देश दुनिया के अमीर देशों के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं. यह बात शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अफ़्रीकी संघ आयोग के प्रमुख से मुलाक़ात के बाद एक मीडिया वार्ता में कही. 

यूएन महासचिव इथियोपिया की राजधानी आदिस अबाबा में अफ़्रीकी संघ की वार्षिक बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. इस बैठक में अफ़्रीकी महाद्वीप के देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होते हैं और इस साल रविवार को शुरू हो रही वार्ता में शरणार्थियों और घरेलू विस्थापितों से जुड़े मामले छाएं रहने की संभावना है. 

एंतोनियो गुटेरेश, संयुक्त राष्ट्र में महासचिव पद की ज़िम्मेदारी संभालने से पहले दस साल तक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के कमिश्नर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अफ़्रीका में शरणार्थियों के लिए दरवाज़ा खुला है और प्रवासियों की आवाजाही से जो मुद्दे खड़े होते हैं उन्हें सुलझाने में महाद्वीप अग्रणी भूमिका निभा रहा है. 

यूएन प्रमुख ने बताया कि आम धारणा के विपरीत अफ़्रीकी देशों में यूरोप से कहीं ज़्यादा अफ़्रीकी प्रवासी हैं और इस मुद्दे से यहां ज़्यादा मानवीय ढंग से निपटा जा रहा है. उन्होंने प्रवासियों और शरणार्थियों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट को पूरी तरह लागू किए जाने की अपील की है. 

प्रेस कांफ्रेंस में यूएन महासचिव ने अफ़्रीकी देशों में संकट को समाप्त करने के उद्देश्य से हुए शांति समझौतों का हवाला देते हुए बताया कि इथियोपिया और एरीट्रिया, और दक्षिण सूडान में शांति स्थापित करने में मदद मिली है. साथ ही मैडागास्कर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और माली में चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुए.

अफ़्रीकी संघ और यूएन के साझा प्रयासों से संघर्ष और संकट को सुलझाने के परिणाम मिल रहे हैं. इससे अफ़्रीका में बदलाव की बयार बह रही है जिसे दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पहुंचाए जाने की ज़रूरत है. 

हालांकि उन्होंने कहा कि विकास के बिना शांति नहीं हो सकती इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए प्रयास जारी रखने होंगे. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अनुकूलन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए धन जुटाने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने सचेत किया कि जलवायु कार्रवाई के अभाव में अफ़्रीका को ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव यहां के लोगों को अधिक प्रभावित करेंगे. 

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि सब-सहारन अफ़्रीका में दुनिया के कुल शरणार्थियों की संख्या का 26 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग रहते हैं. ऐसे 1 करोड़ से अधिक लोगों के लिए यूएन एजेंसी चिंतित है क्योंकि मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, नाईजीरिया, दक्षिण सूडान, बुरुंडी और यमन में संकट के चलते बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन हुआ है. 

आदिस अबाबा में बैठक से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने ध्यान दिलाया है कि सवा करोड़ से ज़्यादा बच्चे अफ़्रीका में संघर्ष, ग़रीबी और जलवायु परिवर्तन की वजह से घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं. यूनिसेफ़ ने अफ़्रीकी नेताओं से अपील की है कि उन्हें संरक्षण प्रदान करने के लिए आवश्यक नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए ताकि उन्हें सशक्त बनाया जा सके.