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वेनेज़्वेला संकट के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में मतभेद

Wide view of the UN Security Council meeting on the situation in Venezuela.
UN Photo/Manuel Elias
Wide view of the UN Security Council meeting on the situation in Venezuela.

वेनेज़्वेला संकट के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में मतभेद

शान्ति और सुरक्षा

राजनीतिक मामलों की संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि संवाद और सहयोग वेनेज़्वेला में संकट को समाप्त करने के लिए बेहद अहम हैं. लेकिन सुरक्षा परिषद में तनातनी भरी बहस के दौरान सदस्य देश लातिन अमेरिकी देश में संकट का ठोस समाधान तलाशने के मुद्दे पर बंटे नज़र आए. 

15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए राजनीतिक और शांति निर्माण मामलों की यूएन उपमहासचिव रोज़मैरी डी कार्लो ने कहा, “हमें राजनीतिक समाधान तलाशने में मदद करनी चाहिए ताकि वहां नागरिक शांति, ख़ुशहाली और मानवाधिकारों के साथ जी सकें.” 

वेनेज़्वेला में राजनीतिक संकट गहराने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बैठक बुलाए जाने का अनुरोध किया था. विपक्षी नेता जुआन ग्वाइडो ने राष्ट्रपति निकोलस मदुरो को चुनौती देते हुए स्वयं को अंतरिम तौर पर राष्ट्रपति घोषित कर दिया है जिसके बाद बुधवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. दो हफ़्ते पहले ही मदुरो ने राष्ट्रपति पद की दूसरी बार शपथ ली है. 

बुधवार को ही एक वक्तव्य जारी कर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सभी पक्षों से तनाव कम करने और समावेशी और विश्वसनीय संवाद के ज़रिए मामले को सुलझाने की अपील की थी. विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भड़कने और राजधानी कराकस और आस पास के इलाक़ों में लोगों के मारे जाने पर ऐसी घटनाओं की पारदर्शी और स्वतंत्र जांच कराने का आग्रह किया था. 

शनिवार को सुरक्षा परिषद में वेनेज़्वेला के हालात के बारे में जानकारी देते हुए डी कार्लो ने वहां हालात को विकट बताया और कहा कि संकट के राजनीतिक और आर्थिक दोनों आयाम हैं.

“3 करोड़ से ज़्यादा वेनेज़्वेला वासी ज़बरदस्त महंगाई होने और वेतन का मूल्य ढह जाने; खाने पीने, दवाई और अन्य ज़रूरी सामान की किल्लत से; और बिजली, पानी और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं के न होने से मुश्किल में हैं.”

डी कार्लो ने दिसंबर 2015 में संसदीय चुनाव से लेकर अब तक की पृष्ठभूमि का विवरण देते हुए बताया कि नेशनल एसेम्बली में विपक्षी पार्टियों को ज़ोरदार बहुमत मिला था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एसेम्बली से कार्रवाई करने के अधिकार छीन लिए.

इसके बाद 2017 में चुनाव के ज़रिए राष्ट्रीय संविधान सभा का गठन हुआ लेकिन उन चुनावों में विपक्षी पार्टियों ने हिस्सा नहीं लिया था. संविधान सभा ने संवैधानिक सुधारों के लिए प्रयास शुरू किए लेकिन वे पूरे नहीं हो सके और इन कोशिशों को विपक्षी दलों से समर्थन नहीं मिला है.

डी कार्लो ने जानकारी दी कि संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य और पोषण के लिए ज़रूरी मदद मुहैया करा रहा है. यूएन की मुख्य चिंता वहां के लोगों का कल्याण और सलामती है. 

"वेनेज़्वेला का भविष्य कैसा हो इस पर मतभेद हैं लेकिन हमें वेनेज़्वेला निवासियों की भलाई को ध्यान में रखकर कदम उठाने चाहिएं और मिलकर काम करना चाहिए ताकि उनकी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके." 

सुरक्षा परिषद में राय बंटी

डी कार्लो की संवाद और सहयोग की अपील को कई सुरक्षा परिषद सदस्यों से समर्थन मिला लेकिन अमेरिका और रूस में इस संकट को सुलझाने के रास्ते को लेकर तनातनी बनी रही. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने यूएन से विपक्षी नेता ग्वाइदो को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया.

”समय आ गया है कि हर देश को अपना पक्ष चुनना चाहिए. और देर नहीं होगी और खेल नहीं खेले जाएंगे. या तो आप आज़ाद ताक़तों के साथ खड़े होते हैं या फिर मदुरो और अफ़रा तफ़री के साथ.”

संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वसीली नेबेन्ज़ाय ने अमेरिकी पक्ष को ख़ारिज करते हुए कहा कि वह वेनेज़्वेला में संकट के समाधान के लिए अपने तौर तरीक़े अपना रहा है. “यह बैठक अमेरिका की एक और कोशिश है कि वहां सरकार बदली जा सके और रूस को दुख है कि सुरक्षा परिषद भी इस अनैतिक चाल में आ गई.” 

चर्चा के दौरान फ़्रांस ने कहा कि सुरक्षा परिषद द्रारा इस मुद्दे पर विचार किया जाना एकदम सही है क्योंकि वहां सकंट अन्य पड़ोसी देशों पर भी असर डाल रहा है. मामले के निपटारे के लिए फ़्रांस ने राजनीतिक और मध्यस्थता का सहारा लेने का सुझाव दिया है.

फ़्रांस ने कहा है कि अगर आठ दिनों के भीतर चुनावों की घोषणा नहीं होती तो फ़्रांस और अन्य यूरोपीय देश विपक्षी नेता ग्वाइदो को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता देने के लिए राज़ी हैं. साथ ही फ़्रांस के प्रतिनिधि ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग से परहेज़ करने की सलाह दी.

वहीं वेनेज़्वेला के विदेश मंत्री जोर्गे अरेज़ा ने देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के अमेरिकी प्रयासों को ख़ारिज कर दिया है. साथ ही उन्होंने विपक्षी नेता के ख़ुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किए जाने को ग़ैरक़ानूनी बताया है.