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इंडोनेशिया में सूनामी से तबाही के बाद राहत कार्य तेज़

इंडोनेशिया के लबुहान गांव में सूनामी की चपेट में आई कार.
UNICEF/Arimacs Wilander
इंडोनेशिया के लबुहान गांव में सूनामी की चपेट में आई कार.

इंडोनेशिया में सूनामी से तबाही के बाद राहत कार्य तेज़

मानवीय सहायता

इंडोनेशिया के जावा और सुमात्रा द्वीपों में सूनामी से आई आपदा के बाद सरकार के नेतृत्व में स्थानीय एजेंसियां राहत अभियान में जुट गईं हैं.  संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता मामलों की एजेंसी (OCHA) ने इंडोनेशिया की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी का हवाला देता हुए कहा है कि अब तक 430 लोगों की मौत हो चुकी है, 1,494 लोग घायल हुए हैं जबकि 159 लोग अब भी लापता हैं. 

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम सहित अन्य एजेंसियां इंडोनेशियाई सरकार के लगातार संपर्क में बनी हुई है ताकि ज़रूरी मदद को जल्द मुहैया कराया जा सके.    

400 से ज्यादा रेड क्रॉस कर्मचारी और स्वयंसेवी सूनामी प्रभावित इलाकों में मेडिकल सहायता और ज़रूरी सामानों की आपूर्ति कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की सहयोगी संस्था इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रेसेंट सोसाइटीज (आईएफआरसी) के प्रमुख यान गेलफां ने कहा है कि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाना बेहद ज़रूरी है ताकि जानों को बचाया जा सके और स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलों से तेज़ी से निपटा जा सके. 

मंगलवार को आईएफआरसी ने आपदा राहत के लिए तीन लाख डॉलर से ज़्यादा की मदद की घोषणा की थी. इससे सूनामी प्रभावित इलाकों में सात हज़ार से ज़्यादा लोगों तक चिकित्सा सेवाएं पहुंचाने और स्वच्छ पानी जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.  

सूनामी से हुई तबाही के चलते मकानों को भारी नुक़सान हुआ है जिसके कारण अब तक 22 हज़ार से ज़्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं. फिर से सूनामी आने का ख़तरा भी लगातार बना हुआ है.  अब तक 924 मकानों, 73 होटलों, 60 दुकानों, 434 नावों और 65 वाहनों को हुई क्षति की पुष्टि हो चुकी है. 

इंडोनेशिया की मौसम, जलवायु और भूगर्भ विज्ञान संबंधी एजेंसी ने चेतावनी दी है कि एक नई सूनामी सुंडा स्ट्रेट में क्राकाटोआ  ज्वालामुखी के नजदीकी क्षेत्र में फिर से  मुश्किलें खड़ी कर सकती है. अनुमान है कि क्राकाटोआ ज्वालामुखी फटने के बाद  पानी के अंदर हुआ भूस्खलन सूनामी के आने की वजह बना.

ठीक 14 साल पहले 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई सूनामी से भारी तबाही हुई थी जिससे 13 देशों में सवा दो लाख से ज़्यादा लोगों की जानें चली गई थीं.  इंडोनेशिया में उस समय भी सूनामी से जान माल की बड़ी हानि हुई थी.