पूर्व खमेर रूज नेताओं को दोषी सिद्ध करने के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत

संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतर्राष्ट्रीय ट्राइब्यूनल द्वारा कम्बोडिया में खमेरूज के दो पूर्व नेताओं को नरसंहार के आरोपों का दोषी पाए जाने के ऐतिहासिक फ़ैसले का संयुक्त राष्ट्र नरसंहार निरोधी विशेष सलाहकार ने स्वागत किया.
नरसंहार निरोधी विशेष सलाहकार एडमा डियेंग ने एक वक्तव्य में कम्बोडिया में संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतर्राष्ट्रीय ट्राइब्यूनल के शुक्रवार को दिए गए इस फैसले को 'न्याय के लिए सुखद दिवस' बताया और कहा ''इससे साबित होता है कि न्याय होकर रहेगा और नरसंहार तथा अन्य अत्याचारी अपराधों के लिए दोष मुक्ति को कभी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.''
पोल पोट के बर्बर अत्याचारी शासन के दौरान उप नेता न्योन चिया (अब 92 वर्ष) और पूर्व शासनाध्यक्ष खियु साम्फान (अब 87 वर्ष) पर अप्रैल 1975 से जनवरी 1979 के बीच चाम मुस्लिम और जातीय वियतनामी समुदायों का सफाया करने का आरोप लगाया गया था.
द एक्स्ट्रा आर्डिनरी चैम्बर्स इन द कोर्ट्स ऑफ कम्बोडिया (ईसीसीसी) ने इन दोनों नेताओं को इसी अवधि के दौरान 1949 के जिनीवा समझौते के घनघोर उल्लंघन के साथ-साथ मानवता के प्रति हत्या, समूल नाश, दासता, देश निकाला, जेल, यातना, राजनैतिक, धार्मिक व नस्लीय आधार पर अत्याचार और नागरिकों के साथ अन्य अमानवीय कृत्यों का दोषी माना.
ख़बरों के अनुसार पोल पोट शासन के दौरान सत्तारूढ़ दल, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ कम्पूचिया के किसी नेता को पहली बार नरसंहार का दोषी सिद्ध किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतॉनियो गुटेरेश ने अपने प्रवक्ता के माध्यम से जारी अलग वक्तव्य में कहा कि इस फैसले ने दिखा दिया है कि सबसे घृणित अपराध किए जाने के दशकों बाद भी अपराधियों को दोषी ठहराया जा सकता है.
वक्तव्य में कहा गया है, ''महासचिव की सद्भावनाएं नरसंहार, मानवता के प्रति अपराध और 1949 के जिनीवा समझौते के गंभीर उल्लंघन के पीड़ितों के साथ हैं.''
वक्तव्य के अनुसार एंतॉनियो गुटेरेश ने ईसीसीसी के महत्वपूर्ण कार्य से संबद्ध हर व्यक्ति के कड़े परिश्रम और लगन की भी सराहना की है तथा सदस्य देशों से आग्रह किया है कि वे ट्राइब्यूनल को समर्थन देते रहें.
एडमा डियेंग ने भी पीड़ितों के प्रति समर्थन और एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा, ''कम्बोडिया में उस काल के दौरान खमेर रूज द्वारा किए गए घृणित अपराधों के शिकार सभी लोगों ने बहुत लंबे समय तक न्याय की प्रतीक्षा की है. आशा है कि इस निर्णय से उन्हें कुछ हद तक शांति और राहत मिलेगी.''
उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह के अपराध न होने देने की दृष्टि से यह एक ऐतिहासिक फैसला है.
उनका कहना था, '”दंडात्मक जवाबदेही पीड़ितों को राहत और न्याय दिलाने का एक अग्रणी माध्यम तो है ही, साथ ही यह भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने का महत्वपूर्ण साधन भी है जिससे सुलह-सफाई के प्रयासों में समाजों को मदद मिलेगी. "
"आज जब हम दुनिया के अनेक हिस्सों में मौलिक अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनी नियमों एवं मानकों के प्रति ख़तरनाक स्तर तक उपेक्षा का भाव देख रहे हैं, तब यह निर्णय इस क्षेत्र में और दुनिया भर में अत्याचार करने, उकसाने अथवा उन्हें स्वीकृति देने वालों को यह सशक्त संदेश देता है कि देर-सवेर उन्हें अपने कृत्यों का हिसाब देना होगा.”