पाकिस्तान: मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस खटक की गुमशुदगी ख़त्म करने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान सरकार से एक मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस खटक का ख़ुफ़िया बन्दीकरण ख़त्म करने का आहवान किया है. लगभग नौ महीनों से अभी तक इदरीस ख़टक की कोई ख़बर नहीं है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में इदरीस खटक की ज़िन्दगी की सुरक्षा के बारे में गम्भीर चिन्ता जताई है क्योंकि जब से पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने 13 नवम्बर 2019 को इदरीस ख़टक को हिरासत में लिया था, तब से बाहरी दुनिया के साथ उनका कोई सम्पर्क नहीं रहा है.
🇵🇰 UN experts "condemn in the strongest possible terms” the enforced disappearance of human rights defender Idris Khattak, demand Pakistani authorities end his secret detention & produce him immediately.Read more at https://t.co/zaVbaSZHl3#StandUp4HumanRights pic.twitter.com/RRPpYMWCO8
UN_SPExperts
इदरीस ख़टक ने पाकिस्तान के संघीय प्रशासित क़बायल इलाक़ों में जबरन ग़ायब किये गए लोगों के मामलों पर काफ़ी काम किया है.
16 जून 2020 को पाकिस्तानी अधिकारियों ने पहली बार स्वीकार किया था कि इदरीस खटक उनकि हिरासत हैं.
पाकिस्तानी अधिकारियों की तरफ़ से ये स्वीकारोक्ति इदरीस खटक को जबरन ग़ायब किये जाने के सात महीना बाद सामने आई थी.
मानवाधिकार विशेषज्ञों द्वारा जारी प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है, “इदरीस खटक की हिरासत के बारे में केवल ये स्वीकारोक्ति मानवाधिकारों की सुरक्षा के बारे में पाकिस्तान की ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिये काफ़ी नहीं है.”
“पाकिस्तानी अधिकारियों को इदरीस खटक को न्यायालय के सामने पेश करना होगा और उनका निष्पक्ष मुक़दमा सुनिश्चित करना होगा.”
जबरन गुमशुदगी का प्रतीकात्मक मामला
इदरीस खटक अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इण्टरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच के भी सलाहकार रह चुके हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि इदरीस खटक का मामला पाकिस्तान में जबरन ग़ायब किये जाने के अनेक मामलों का प्रतीकात्मक मामला बन चुका है.
उनके स्वास्थ्य व सुरक्षा और उनके पते-ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं होना दरअसल किसी को जबरन ग़ायब किये जाने के अपराध की श्रेणी में आता है.
“हम चिन्तित हैं कि इदरीस खटक के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.”
उन्होंने कहा कि इदरीस खटक को उनके वकील और परिवार से मिलने या बातचीत करने की इजाज़त नहीं दी गई है, और ऐसा भी कहा गया है कि किसी बाहरी स्वतन्त्र व निष्पक्ष डॉक्टर से उनकी चिकित्सा जाँच नहीं कराई गई है.
पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस खटक पर एक नागरिक के रूप में कथित रूप से सरकारी गोपनीय अधिनियम और सेना अधियनियम के तहत कुछ आरोप लगाए गए हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि किसी नागरिक पर सरकारी गोपनीय अधिनियम लगाया जाना मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आवाज़ को दबाने का एक और साधन बन गया है. इनमें अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आवाज़ों को दबाया जाना भी शामिल हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा, “पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा अपनी ताक़त का दुरुपयोग किया जाना और इदरीस खटक को बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जवाब में पेशावर उच्च न्यायालय के सामने पेश करने में पाकिस्तानी सेना द्वारा सहयोग नहीं किया जाना, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत पाकिस्तान की ज़िम्मेदारियों का उल्लंघन है.”
पर्याप्त जाँच नहीं होने पर चिन्ता
पेशावर हाई कोर्ट ने इदरीस खटक का बन्दी प्रत्यक्षीकरण मामला ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि ये मामला उसके न्यायाधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
और जबरन ग़ायब किये गए लोगों के मामलों की जाँच करने के लिये गठित एक संयुक्त जाँच ट्राइब्यूनल ने इदरीस खटक के मामले को यह कहते हुए बन्द कर दिया कि उन्हें अब लापता हुआ व्यक्ति नहीं समझा जाता है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इस बारे में गम्भीर चिन्ता जताई है कि जबरन ग़ायब किये गए लोगों के बारे में गठित जाँच आयोग ने इदरीस खटक का मामला स्थाई रूप से यह कहकर शुरुआती स्तर पर ही बन्द कर दिया कि इस मामले में पर्याप्त जाँच नहीं हुई है.
आयोग ने ना ही आपराधिक ज़िम्मेदारियों के बारे में सम्बन्धित अधिकारियों को कोई सिफारिशें पेश की हैं और ना ही कोई मुआवज़ा दिया जाने का कोई आदेश दिया है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “हम अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वो इदरीस खटक की जबरन गुमशुदगी के मामले में संस्थानात्मक और आपराधिक ज़िम्मेदारियों की स्वतन्त्र और व्यापक जाँच कराएँ.
इसमें इदरीस खटक को मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाए रखने की भी जाँच हो और ज़िम्मेदार लोगों या अधिकारियों की दण्डमुक्ति का माहौल भी ख़त्म किया जाए.”
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि इदरीस खटक और उनके परिवार को न्याय पाने, पुनर्वास और मुआवज़ा पाने का अधिकार है. स्थिति पर कड़ी नज़र और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ भी बातचीत जारी रहेगी.
पाकिस्तान सरकार से अपील जारी करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों में ये विशेष रैपोर्टेयर शामिल हैं:
प्रताड़ना पर विशेष रैपोर्टेयर, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की स्थिति पर विशेष रैपोर्टैयर, ग़ैर-न्यायिक, त्वरित और मनमाने तरीक़े से मृत्युदण्ड पर विशेष रैपोर्टेयर, मानवाधिकार मुद्दों पर विशेष रैपोर्टेयर और जबरन, या अनैच्छिक गुमशुदगी पर कार्यदल के सदस्य.
विशेष रैर्टेयर और स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेषज्ञ स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं और वो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते, ना ही उन्हें संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है. वो किसी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.