म्याँमार में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने उन दो लड़कों की जघन्य मौत पर गहरा शोक और सदमा प्रकट किया है जिन्हें उत्तरी प्रान्त राख़ीन में अक्टूबर के शुरुआती दिनों में सुरक्षा बलों ने कथित रूप में मानव ढाल (Human Shield) के तौर पर इस्तेमाल किया था.
यूएन एजेंसियों ने बुधवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि इन दो लड़कों की मौत म्याँमार की सेना (तत्मादाव) और अलगाववादी अराकान सेना के बीच लड़ाई की चपेट में आने से हुई बताई गई है.
ये घटना 5 अक्टूबर को बूथीजाउंग नामक बस्ती में हुई. इस इलाक़े को म्याँमार की सेना द्वारा मध्य 2019 से ग़ैर-युद्धक उद्देश्यों के लिये बच्चों को मानव ढाल के रूप में बहुत ज़्यादा इस्तेमाल के लिये जाना जाता है.
ये लड़के15 स्थानीय किसानों के एक समूह का हिस्सा थे जिन्हें म्याँमार की सेना ने कथित रूप से अपनी यूनिट के आगे-आगे चलने को कहा ताकि पता चल सके कि एक सैनिक शिविर को जाने वाले रास्ते में कहीं बारूदी सुरंगे तो नहीं बिछी हुई हैं.
म्याँमार सेना ने ऐसा किसी सम्भावित विस्फोट या गोलीबारी से सैनिकों को बचाने के लिये किया.
इसी रास्ते पर तत्मादाव और अराकान सेना के बीच लड़ाई भड़क उठी और उसके बाद दो लड़के मृत पाए गए जिनके शरीरों पर गोलियों के घाव थे.
हत्यारों की जवाबदेही तय हो
म्याँमार में बच्चों के अधिकारों के गम्भीर उल्लंघन की निगरानी और रिपोर्टिंग पर देश में संयुक्त राष्ट्र की टास्कफ़ोर्स ने आहवान किया है कि इस घटना की पारदर्शी और त्वरित जाँच हो और बच्चों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिये ज़िम्मेदारों को जवाबदेह ठहराया जाए.
यूएन एजेंसियों ने कहा, “ये भीषण घटना याद दिलाती है कि सशस्त्र बलों या गुटों के साथ सम्बद्ध होने पर बच्चों के मारे जाने या घायल होने का जोखिम होता है, इसमें इस बात की कोई अहमियत नहीं है कि उन बच्चों को कितने समय तक सशस्त्र बलों या गुटों के साथ रखा गया.”
बाल अधिकारों के उल्लंघन में चिन्ताजनक वृद्धि
यूएन एजेंसियों ने म्याँमार में बच्चों के हताहत होने के मामलों में चिन्ताजनक बढ़ोत्तरी पर गहरी चेतावनीजनक आवाज़ बुलन्द की है.
वर्ष 2020 के पहले तीन महीनों के दौरान ही संघर्ष में 100 से ज़्यादा बच्चों की या मौत हुई था या उनके अंग भंग हुए थे. ये संख्या वर्ष 2019 में हताहत हुए बच्चों की आधी से भी ज़्यादा थी और वर्ष 2018 में हताहत हुए बच्चों की कुल संख्या से भी ज़्यादा.
एजेंसियों ने कहा, “चूँकि म्याँमार कोविड-19 का सामना करने में लगा है, हम संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से ऐसे उपाय सघन करने का अनुरोध करते हैं जिनके ज़रिये बच्चों के अधिकार सुनिश्चित किये जाएँ, उन्हें तमाम मानवीय सहायता व सेवाएँ उपलब्ध हों, और आम आबादी की मौजूदगी वाले स्थानों पर बल प्रयोग करने में संयम दिखाया जाए.”
सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 1612
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बच्चों व सशस्त्र संघर्ष पर प्रस्ताव संख्या 1612 सर्वसम्मति से पारित किया था.
इसमें संयुक्त राष्ट्र को ऐसे देशों में टास्कफ़ोर्स स्थापित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी जहाँ संघर्षरत पक्षों द्वारा बच्चों के अधिकारों का व्यापक उल्लंघन किये जाने के पुष्ट सबूत हों. इन संघर्षरत पक्षों में सशस्त्र बल या सशस्त्र गुट कोई भी हो सकते हैं.
ये टास्कफ़ोर्स निगरानी व रिपोर्टिंग व्यवस्था के ज़रिये छह प्रमुख क्षेत्रों में बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जानकारी एकत्र करते हैं, उनकी पुष्टि करते हैं और सुरक्षा परिषद को सौंपते हैं.
ये क्षेत्र हैं, बच्चों की हत्या या उनके अंग भंग होना, सरकारी सशस्त्र बलों या सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों की भर्ती या युद्धक गतिविधियों में उनका इस्तेमाल किया जाना, स्कूलों या अस्पतालों पर हमले किया जाना, बच्चों के साथ बलात्कार या अन्य गम्भीर यौन हिंसा, अपहरण, और मानवीय सहायता से वंचित रखना.
म्याँमार में ये टास्कफ़ोर्स 2007 में स्थापित की गई थी और इसकी सह – अध्यक्षता यूएन रैज़िडेण्ट, मानवीय सहायता कार्यों के संयोजक और देश में यूनीसेफ़ प्रतिनिधि करते हैं.