कम्बोडिया: मानवाधिकार कार्यक्षेत्र को सीमित करने के प्रयासों की आलोचना

संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने कम्बोडिया में सिविल सोसायटी पर बढ़ते प्रतिबन्धों पर चिन्ता व्यक्त की है और व्यवस्थित रूप से बन्दी बनाए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तुरन्त रिहा करने और उनका आपराधिकरण रोके जाने का आग्रह किया है.
मानवाधिकारों के पैरोकारों के अधिकारों सम्बन्धी स्थिति के लिये विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉयर ने सोमवार को जारी एक वक्तव्य में कहा है कि वो इन विश्वसनीय ख़बरों पर चिन्तित हैं कि पिछले तीन महीनों के दौरान 21 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को धमकियाँ दी गई हैं, उन्हें मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तार किया गया है और बन्दी बनाया गया है.
🇰🇭 UN experts express concerns about tightening restrictions on civil society in #Cambodia. They call for an immediate end to the systematic detention & criminalisation of #HumanRights defenders, as well as excessive use of force against them. Learn more: https://t.co/ru4IzILdfq pic.twitter.com/JUoRmvSHGh
UN_SPExperts
वक्तव्य में कहा गया है, “मैंने सार्वजनित स्रोतों और मंचों द्वारा उपलब्ध वीडियो व अन्य सामग्री देखी है जिसमें सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकार पैरोकारों को रोकने के लिये अत्यधिक बल प्रयोग किया गया है. इनमें बहुत सी महिलाएँ भी हैं.
इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को शान्तिपूर्ण सभा करने के उनके अधिकार का इस्तेमाल करने से रोका गया है.”
उन्होंने कहा, “शान्तिपूर्ण माध्यमों से मानवाधिकारों की हिफ़ाज़त करना और प्रोत्साहन देना कोई अपराध नहीं है.”
विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉयर ने ऐसे कई मामलों का ज़िक्र किया है जिनमें अनेक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बन्दी बनाकर उन्हें कथित रूप से दण्डित किया गया है, और ये दण्ड उन्हें अपना काम करने के लिये दिया गया है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता राँग छुन को 31 जुलाई को उस समय गिरफ़्तार किया गया था जब वो त्बोंग खमॉम प्रान्त में किसानों की समस्याओं का मामला उठा रहे थे कम्बोडिया और वियतनाम के बीच सीमाँकन किये जाने के सम्बन्ध में . इन किसानों की ज़मीन ले ली गई है.
बाद में जब बहुत से अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने राँग छुन को बन्दी बनाए जाने का विरोध किया तो उन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया गया है.
12 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को मुक़दमा चलाए जाने के पहले की स्थिति में बन्दी बनाकर रखा गया है, उन्हें ज़मानत नहीं दी गई है और उन पर ऐसे आरोप लगाए गए हैं जिनके लिये दो वर्ष तक की क़ैद की सज़ा का प्रावधान है.
विशेष मानवाधिकार रैपोर्टेयर मैरी लॉयर ने कहा है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अन्य लोगों के मानवाधिकारों की हिफ़ाज़त के लिये प्रयास करने की ख़ातिर उनके साहसिक काम के लिये कभी भी उनका आपराधिकरण नहीं किया जाना चाहिये...
“साथी मनवाधिकार कार्यकर्ताओं को बन्दी बनाए जाने या उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किये जाने के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिये मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बन्दी बनाए जाने के सिलसिले व चलन पर मैं बहुत चिन्तित हूँ.”
उन्होंने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा किसी को भी असीम रूप में निशाना बनाया जा सकता है, हाल के समय में सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों में सिविल सोसायटी के कार्यक्षेत्र को सीमित करने और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के कामकाज को बाधित करने के संगठित प्रयास नज़र आते हैं.”
कम्बोडिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष रैपोर्टेयर रहोना स्मिथ ने भी सिविल सोसायटी पर लगी पाबन्दियों पर चिन्ताएँ व्यक्त करते हुए अधिकारों से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिये हानिकारण रुख़ बन्द करने का आग्रह किया है.
उन्होंने कम्बोडिया में समाज के सभी लोगों की भलाई की ख़ातिर अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और सभा करने के अधिकारों के अनुकूल माहौल बनाए जाने का भी आहवान किया है.
शान्तिपूर्ण सभा करने और संगठन बनाने के अधिकार पर विशेष रैपोर्टेयर, और अभिव्यक्ति व विचार व्यक्त करने की स्वतन्त्रता पर विशेष रैपोर्टेयर, और महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ भेदभाव पर कार्यकारी समूह के सदस्यों ने भी इस वक्तव्य पर अपनी सहमति व्यक्त की है.
विशेष रैपोर्टेयर और कार्यकारी समूह मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेषज्ञ स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं; वो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें इस कामकाज के लिये संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भी नहीं मिलता है. ये विशेषज्ञ किसी सरकार या संगठन से स्वतत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.