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‘जाएँ तो जाएँ कहाँ’, ग़ाज़ा में इसराइल के बेदख़ली आदेशों से लोगों में बदहवासी

ग़ाज़ा में इसराइल के नवीन बेदख़ली आदेशों के बाद, फ़लस्तीनी लोग, अपना यथासम्भव सामान लेकर अन्यत्र सुरक्षा की तलाश में निकल रहे हैं. जबकि ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है.
UNRWA
ग़ाज़ा में इसराइल के नवीन बेदख़ली आदेशों के बाद, फ़लस्तीनी लोग, अपना यथासम्भव सामान लेकर अन्यत्र सुरक्षा की तलाश में निकल रहे हैं. जबकि ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है.

‘जाएँ तो जाएँ कहाँ’, ग़ाज़ा में इसराइल के बेदख़ली आदेशों से लोगों में बदहवासी

शान्ति और सुरक्षा

ग़ाज़ा में इसराइली सेना ने एक बार फिर फ़लस्तीनी लोगों को बेदख़ली आदेश दिए हैं, जिनके कारण लोगों को अपने आश्रय स्थलों और घरों को छोड़कर एक बार फिर सुरक्षा की तलाश में निकलना पड़ा है.

मानवीय सहायता एजेंसियों का कहना है कि लोग अपने साथ नहीं के बराबर सामान ले जा पा रहे हैं और उन्हें अपनी मंज़िल व सुरक्षा की गारंटी के बारे में भी मालूम नहीं है.

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फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA ने ख़ान यूनिस इलाक़े में हज़ारों लोगों को पश्चिमी इलाक़ों की तरफ़ जाते हुए देखा है जो ग़ाज़ा पट्टी के इस दक्षिणी सिटी से बड़े पैमाने पर हो रहे विस्थापन का हिस्सा हैं. 

ये लोग ग़ाज़ा में जारी युद्ध से जान बचाकर सुरक्षा की तलाश में निकल रहे हैं जिसके कारण बच्चे गहरे सदमे में हैं और बेतहाशा रो रहे हैं.

UNRWA की वरिष्ठ संचार अधिकारी लुइस वॉटरिज ने भारी संख्या में लोगों के विस्थापन का एक दृश्य पेश करते हुए कहा, “ख़च्चर गाड़ियों में बुज़ुर्गों को भर दिया गया है... विकलांग जन को व्हीलचेयर में रेत भरे रास्तों में धकेलकर ले जाना जबकि उनकी गोद में सामान का ढेर लगा है.”

लुइस वॉटरिज ने कहा, “लोग बदहवास हालत में भाग रहे हैं, गोलियों की आवाज़ें सुन रहे हैं और वो अपनी ज़िन्दगियाँ बचाने की धुन में हैं. परिवार बस उतना ही सामान ले जा पा रहे हैं जितना सामान वो अपने हाथों में थाम सकते हैं... लोगों को नहीं मालूम, उनका अगला ठिकाना कहाँ होगा. यही मुख्या सवाल है, जो लोग पूछ रहे हैं, हम कहाँ जाएँ.”

अल मवासी सिमटा

इसराइल के बेदख़ली आदेशों से, अल मवासी के तथाकथित ‘मानवीय ज़ोन’ में लगभग 8.7 वर्ग किलोमीटर का ज़मीनी क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है जो, ख़ान यूनिस के निकट तट पर स्थित है.

यूएन मानवीय आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA के अनुसार, उस तथाकथित मानवीय ज़ोन का दायरा क़रीब 15 प्रतिशत घट गया है.

एजेंसी के अनुसार, “आरम्भिक ख़बरो में संकेत मिलते हैं कि परिवार इस समय दियर अल बलाह और ख़ान यूनिस के पश्चिमी इलाक़े की तरफ़ जा रहे हैं.”

“उन दोनों इलाक़ों में पहले से ही बहुत भारी भीड़ मौजूद है और वहाँ सीमित संख्या और मात्रा में आश्रय और सेवाएँ उपलब्ध हैं और वहाँ और अधिक आगन्तुकों को समायोजित करने के लिए मुश्किल से ही कोई जगह व सुविधाएँ होंगी.”

OCHA के अनुसार, 22 जुलाई तक, ग़ाज़ा पट्टी का लगभग 83 प्रतिशत इलाक़ा या तो इसराइल के बेदख़ली आदेशों के तहत आ चुका है या फिर इसराइली सेना ने उसे “निषिद्ध क्षेत्र” घोषित कर दिया है.

मानवाधिकार कार्यालय द्वारा निन्दा

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR ने इसराइल के बेदख़ली आदेशों की निन्दा दोहराते हुए ज़ोर दिया है कि इसराइली सेना ने, ग़ाज़ा के लोगों को यह समझने के लिए भी कोई समय नहीं दिया कि किन स्थानों के लोगों को निकलना है और वो कहाँ जाएंगे.

मानवाधिकार कार्यालय ने बताया है कि ख़ान यूनिस में रविवार और सोमवार को इसराइली हवाई हमले जारी रहे जिससे हुई हिंसा में कम से कम 70 फ़लस्तीनियों की मौत हुई है जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी हैं. 200 अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गम्भीर बताई गई है.

OHCHR ने ध्यान दिलाया है कि इसराइल के नए बेदख़ली आदेश सलाह अल दीन मार्ग के कुछ हिस्सों पर भी जारी किए गए हैं, जबकि यह मार्ग मानवीय सहायता की आपूर्ति के लिए अति अहम दो सड़कों में से एक है.

इससे ये चिन्ताएँ बढ़ गई हैं कि मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति और भी बाधित होगी या बिल्कुल ही ठप पड़ जाएगा, जबकि इसकी लाखों लोगों को सख़्त ज़रूरत है.

इस बीच ग़ाज़ा में स्वच्छता की बेहद ख़राब परिस्थितियों और लोगों को स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं होने के हालात के बीच, पोलियो के सम्भावित फैलाव के प्रभावों के बारे में चिन्ताएँ बढ़ रही हैं.