वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

ग़ाज़ा: युद्धविराम और बन्धक रिहाई के लिए बिल्कुल सही क्षण, गुटेरेश

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, ग़ाज़ा संकट पर विचार करने के लिए जॉर्डन में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए (11 जून 2024).
UN/Mohammad Ali
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, ग़ाज़ा संकट पर विचार करने के लिए जॉर्डन में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए (11 जून 2024).

ग़ाज़ा: युद्धविराम और बन्धक रिहाई के लिए बिल्कुल सही क्षण, गुटेरेश

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को कहा है कि ग़ाज़ा में एक व्यापक युद्धविराम और फ़लस्तीनी गुटों के पास बाक़ी बचे बन्धकों की रिहाई के लिए ये बिल्कुल सटीक क्षण है जिसका बेसब्री से इन्तेज़ार है. उन्होंने सुरक्षा परिषद में एक दिन पहले ही, ग़ाज़ा में युद्ध का अन्त करने के लिए पारित हुए प्रस्ताव का स्वागत किया है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, ग़ाज़ा में मानवीय त्रासदीपूर्ण स्थिति पर विचार करने के लिए जॉर्डन में मंगलवार को आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में ज़ोर देकर कहा कि आठ महीने के भीषण युद्ध के बाद, “यह प्रलय अब बन्द हो”.

यूएन प्रमुख ने कहा, “मैं राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा हाल ही में पेश किए गए शान्ति प्रस्ताव का स्वागत करता हूँ और सभी पक्षों से इस अवसर का लाभ उठाने और एक समझौता करने का आग्रह करता हूँ.”

“और मैं सभी पक्षों से, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत अपनी ज़िम्मेदारियों का सम्मान करने का आहवान करता हूँ. इनमें मानवीय सहायता ग़ाज़ा में पहुँचने देने और उसके ग़ाज़ा के भीतर भी उसके वितरण को आसाना बनाया जाना शामिल है, ये उनकी ज़िम्मेदारी है. ग़ाज़ा में पहुँचने वाले सभी रास्ते खुले होने चाहिए – और ज़मीनी रास्ते तो और भी महत्वपूर्ण हैं.”

सुरक्षा परिषद में, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव में हमास से आग्रह किया गया है कि वो 31 मई को राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडेन द्वारा घोषित युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार कर ले, और इस प्रस्ताव को इसराइल ने पहले ही स्वीकार कर लिया है.

प्रस्ताव में इसराइल और हमास दोनों ही पक्षों से, इस प्रस्ताव की सभी शर्तों को पूरी तरह से लागू करने का आग्रह किया गया है, “बिनी देरी और बिना किसी शर्त के.”

सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव बड़े बहुमत से पारित हुआ जिसमें 14 वोट इसके समर्थन में पड़े और कोई भी वोट विरोध में नहीं पड़ा. रूस ने मतदान में शिरकत नहीं की और अपने वीटो का प्रयोग नहीं करने का विकल्प चुना.

UNRWA के साथ एकजुटता

ग़ाज़ा में इसराइली बमबारी के बाद, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और उन्हें UNRWA के स्कूलों में ठहरना पड़ा है.
Fadi Thabet/UNRWA

एंतोनियो गुटेरेश ने फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA द्वारा युद्ध से तबाह ग़ाज़ा पट्टी में निभाई गई भूमिका को रेखांकित करते हुए ज़ोर दिया कि “इस एजेंसी की मौजूदगी ना केवल युद्ध के दौरान, बल्कि उसके बाद के समय में भी बहुत महत्वपूर्ण बनी रहेगी”.

ग़ौरतलब है कि ग़ाज़ा युद्ध के दौरान, UNRWA को इसराइली नेताओं के हमलों का सामना करना पड़ा है और उसके कार्यों को नज़रअन्दाज़ किया गया है और महत्वहीन बताया गया है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि ग़ाज़ा से मिल रही ताज़ा ख़बरों में बताया गया है कि लगभग 60 प्रतिशत रिहाइशी इमारतें और क़रीब 80 प्रतिशत व्यावसायिक सुविधाएँ, इसराइली बमबारी में ध्वस्त हो गई हैं. साथ ही स्वास्थ्य सेवाएँ और शैक्षणिक संस्थान भी मलबे में तब्दील हो गए हैं.

इनके अलावा, ग़ाज़ा में, बुरी तरह से सदमे की चपेट में आए 10 लाख से अधिक बच्चों को, मनोवैज्ञानिक समर्थन, सुरक्षा और आशा मुहैया कराए जाने की आवश्यकता है, जो उन्हें उनके स्कूलों में मिलती थी.

उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी लोगों के सामने जो स्वास्थ्य, शैक्षणिक और उससे भी अधिक चुनौतियाँ हैं, उनका सामना करने में मदद करने के लिए, केवल UNRWA के पास क्षमता, कौशल और नैटवर्क है.

सहायता पहुँच में लगातार बाधा

यूएन प्रमुख ने पूरे ग़ाज़ा क्षेत्र में, मानवीय सहायता सामग्री की भारी क़िल्लत के कारण बनी गम्भीर आपदा स्थिति के विशाल दायरे के बारे में व्यक्त की गई चिन्ताओं को दोहराया. “कम से कम आधे मानवीय सहायता मिशनों को रोका गया है, उनके रास्ते में बाधा पहुँचाई गई है, या फिर उन्हें सुरक्षा व संचालन कारणों से रद्द ही कर दिया गया.”

इस बीच, जिनीवा में, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय  - OHCHR ने, गत सप्ताहान्त के दौरान, नुसीरत में इसराइल द्वारा बन्धकों को रिहा कराने के लिए चलाए गए अभियान के बहुत घातक प्रभावों पर, गहरी चिन्ता व्यक्त की है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता जैरेमी लॉरेंस ने कहा है कि उस अभियान में, अनेक बच्चों सहित, सैकड़ों फ़लस्तीनी मारे गए हैं और अनेक घायल हुए हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि इतनी घनी आबादी वाले इलाक़े में, जिस तरह से ये अभियान चलाया गया, उस पर अनेक सवाल खड़े होते हैं कि क्या इसराइली सेनाओं ने, युद्ध के नियमों के अनुसार, लड़ाकों व आम नागरिकों के बीच फ़र्क करने, अनुपात के अनुसार बल प्रयोग करने और ऐहतियात बरतने के सिद्धान्तों का सम्मान किया या नहीं.