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वैश्विक भूख स्थिति के विरुद्ध संघर्ष की रफ़्तार 15 वर्ष धीमी

माली की लगभग एक चौथाई आबादी, गम्भीर स्तर के खाद्य अभाव का सामना कर रही है.
© UNICEF/Tiécoura N’Daou
माली की लगभग एक चौथाई आबादी, गम्भीर स्तर के खाद्य अभाव का सामना कर रही है.

वैश्विक भूख स्थिति के विरुद्ध संघर्ष की रफ़्तार 15 वर्ष धीमी

एसडीजी

दुनिया भर में भूख के ख़िलाफ़ संघर्ष में प्रगति को 15 वर्ष का झटका लगा है जिसके कारण वर्ष 2023 में लगभग 73 करोड़ 30 लाख लोगों को भूखे पेट रहने के लिए विवश होना पड़ा है. विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति पर बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ये संख्या 11 में से एक व्यक्ति के बराबर है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) में मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो का कहना है, “असल बात ये है कि वर्ष 2023 तक, दुनिया को भूख की स्थिति, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण से छुटकारा दिलाने के लक्ष्य की दिशा में हम अब भी वांछित रफ़्तार से बहुत पीछे हैं.”

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उन्होंने यह बात टिकाऊ विकास लक्ष्यों में विशेष रूप से लक्ष्य-2 का सन्दर्भ देते हुए कही जिसमें शून्य भूख का मुक़ाम हासिल करने का लक्ष्य है.

मैक्सिमो टोरेरो ने ध्यान दिलाया कि अगर मौजूद रफ़्तार ही जारी रही तो, वर्ष 2023 में क़रीब 58 करोड़ 20 लाख लोग, भूखे पेट रहने को मजबूर होंगे, जबकि उसकी आधी संख्या अफ़्रीका में होगी.

यह रिपोर्ट FAO, अन्तरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD), यूनीसेफ़, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संयुक्त रूप से प्रकाशित की है.

अफ़्रीका, एशिया, लातीनी अमेरिका पर है ध्यान

क्षेत्रीय रुझानों में नज़र आता है कि अफ़्रीका में भूख की स्थिति में लगातार बढ़ रही है, जिससे लगभग 20 प्रतिशत आबादी प्रभावित है. उधर एशिया में भूख की स्थिति से प्रभावित आबादी की संख्या क़रीब 8 प्रतिशत पर स्थिर है.

लातीनी अमेरिका में कुछ प्रगति दर्ज की गई है जहाँ इसकी 6.2 प्रतिशत आबादी भूख की स्थिति से प्रभावित है. अलबत्ता, वर्ष 2022 से 2023 के दौरान, पश्चिमी एशिया, कैरीबियाई और अधिकतर अफ़्रीकी उप क्षेत्रों में, भूख की स्थिति में इज़ाफ़ा हुआ है.

भेरपेट भोजन, दूर की कौड़ी

रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी गई है कि दुनिया भर में अरबों लोग ऐसे हैं, जिनके लिए भरपेट भोजन, पहुँच से बाहर है.

वर्ष 2023 में दुनिया भर में लगभग 2 अरब 33 करोड़ लोग, मामूली या गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षित थे, यानि उन्हें भेरपेट भोजन नसीम नहीं हो रहा था. इतनी ही संख्या कोविड महामारी के दौरान थी.

86 करोड़ 40 लाख से अधिक लोगों को अत्यन्त गम्भीर खाद्य असुरक्षा का अनुभव करना पड़ा जिसका मतलब है कि उन्हें कुछ समय के लिए भोजन खाए बिना भी गुज़ारा करना पड़ा.

लातीनी अमेरिका में खाद्य सुरक्षा की स्थिति में कुछ सुधार देखा गया है, अफ़्रीका में पूरी आबादी का लगभग 58 प्रतिशत हिस्सा, मामूली या गम्भीर खाद्य असुरक्षा से प्रभावित है.

इस स्थिति के लिए आर्थिक कारण मुख्य रूप से ज़िम्मेदार हैं, और रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में लगभग 2 अरब 80 करोड़ लोग एक स्वस्थ भोजन ख़ुराक का ख़र्च उठाने की स्थिति में नहीं थे.

भूख से कोरोनावायरस का सम्बन्ध

वैश्विक स्तर पर भूख की स्थिति का मुक़ाबला करने में, कोरोनावायरस एक महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है.

वर्ष 2020 में दुनिया भर में 1 अरब 68 करोड़ लोग, एक स्वस्थ भोजन ख़ुराक का ख़र्च वहन नहीं कर सकते थे.

खाद्य और कृषि संगठन (FAO) में मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो ने भूख की स्थिति के बारे में देशों के बीच विषमता के लिए, मुख्य रूप से कोविड-19 द्वारा उत्पन्न परिस्थितियों को ज़िम्मेदार ठहराया है.

रिपोर्ट में दिखाया गया है कि बाल पोषण के क्षेत्र में प्रगति मिश्रित रही है.