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ग़ाज़ा में 'तत्काल और पूर्ण' युद्धविराम प्रस्ताव, सुरक्षा परिषद में पारित

फ़लस्तीन के प्रश्न सहित, मध्य पूर्व स्थिति पर, सुरक्षा परिषद की बैठक, जिसमें इसराइल और हमास के बीच युद्धविराम की पेशकश करने वाला प्रस्ताव पारित किया गया (10 जून 2024).
UN Photo/Eskinder Debebe
फ़लस्तीन के प्रश्न सहित, मध्य पूर्व स्थिति पर, सुरक्षा परिषद की बैठक, जिसमें इसराइल और हमास के बीच युद्धविराम की पेशकश करने वाला प्रस्ताव पारित किया गया (10 जून 2024).

ग़ाज़ा में 'तत्काल और पूर्ण' युद्धविराम प्रस्ताव, सुरक्षा परिषद में पारित

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, 8 महीने से भीषण युद्ध से त्रस्त फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में युद्धविराम की पेशकश करने वाला एक प्रस्ताव, सोमवार को पारित कर दिया है. संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव के समर्थन में 14 वोट पड़े हैं. वीटो अधिकार रखने वाले स्थाई सदस्य - रूस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव में, एक व्यापक युद्धविराम तत्काल लागू किए जाने का प्रस्ताव किया गया है जिसे तीन चरणों में लागू किया जाएगा.

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अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफ़ील्ड ने प्रस्ताव पारित होने के बाद हमास से इस युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार करने की पुकार लगाई.

सुरक्षा परिषद में एक विशाल बहुमत से पारित इस प्रस्ताव में, इसराइल और हमास दोनों ही पक्षों से, इस युद्धविराम को बिना देरी किए और बिना किसी शर्त के स्वीकार करने और इस पर अमल करने का आग्रह किया गया है.

ग़ौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडेन ने, 31 मई को यह युद्धविराम प्रस्ताव सामने रखा था, जिसे इसराइल स्वीकार कर चुका है.

उन्होंने इस समझौते को ना केवल एक ऐसा युद्धविराम क़रार दिया कमज़ोर या अस्थाई नहीं होगा, बल्कि इससे युद्ध की एक टिकाऊ समाप्ति का रास्ता निकलेगा.

उन्होंने बताया था कि इस समझौते की शर्तें, क़तर ने हमास तक पहुँचा दी हैं.

तीन चरणों में अमल

ग़ाज़ा में युद्ध का एक दीर्घकालिक और व्यापक अन्त सुनिश्चित करने के लिए, इस प्रस्ताव को तीन चरणों में लागू करने की बात कही गई है.

प्रथम चरण में, एक पूर्ण और व्यापक युद्धविराम तत्काल लागू किए जाने, हमास के पास बन्धक तमाम लोगों को तत्काल रिहा किए जाने के साथ-साथ और फ़लस्तीनी क़ैदियों की रिहाई होगी. हमास के क़ब्ज़े में जिन कुछ बन्दियों की मौत हो चुकी है, उनके शव भी लौटाए जाएंगे.

प्रस्ताव में, इसराइली सेना से, ग़ाज़ा के आबादी वाले इलाक़ों से हटने, पूरे ग़ाज़ा क्षेत्र में लोगों को अपने घरों को वापिस लौटने की अनुमति देने का आहवान किया गया है. साथ ही सुरक्षित और कारगर मानवीय सहायता आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने का भी आग्रह किया गया है.

युद्ध का स्थाई अन्त

दूसरे चरण में, ग़ाज़ा में बाक़ी बचे बन्धकों की रिहाई के बदले में, युद्ध का स्थाई अन्त होगा, और इसराइली सेनाएँ, ग़ाज़ा से पूरी तरह हट जाएंगी.

तीसरे चरण में, ग़ाज़ा की अनेक वर्षों तक चलने वाली प्रमुख पुनर्निर्माण योजना शुरू होगी, और ग़ाज़ा में मौत का शिकार हो चुके बन्धकों के शव इसराइल को लौटाए जाएंगे.

सुरक्षा परिषद ने इस प्रस्ताव के इस प्रावधान को भी रेखांकित किया गया है कि अगर वार्ताएँ छह सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहती हैं तो युद्धविराम तब तक लागू रहेगा, जब तक कि वार्ताएँ जारी रहेंगी.

ग़ाज़ा पट्टी के आकार में कोई बदलाव नहीं

सुरक्षा परिषद ने इस प्रस्ताव में, ग़ाज़ा पट्टी के जनसांख्यिकी या क्षेत्रीय ढाँचे में किसी भी बदलाव के प्रयास को रद्द किया है. इन प्रावधानों में, ग़ाज़ा के इलाक़े को कम करने के कोई प्रयास भी नहीं किए जा सकेंगे.

सुरक्षा परिषद ने इस प्रस्ताव में, इसराइल और फ़लस्तीन के रूप में दो राष्ट्रों की स्थापना के समाधान को भी अपनी चिर प्रतिबद्धता दोहराई है. ये देश अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और सुरक्षा परिषद के सम्बन्धित प्रस्तावों में मान्यता प्राप्त सीमाओं पर आधारित होंगे.

प्रस्ताव में ग़ाज़ा पट्टी और पश्चिमी तट को एकजुट करके, फ़लस्तीनी प्राधिकरण के तहत लाए जाने की महत्ता को भी रेखांकित किया गया है.

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सदस्य देशों के बयान:

अमेरिका

अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफ़ील्ड ने प्रस्ताव पारित होने के बाद कहा कि युद्ध आज ही रुक सकता है, बशर्ते कि हमास सुरक्षा परिषद द्वारा पारित इस समझौते को स्वीकार कर लेता है.

उन्होंने कहा कि अब एक नया रास्ता अपनाने का अवसर मौजूद है और अमेरिका ये सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि इसराइल अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाए, बशर्ते कि हमास भी इस युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है.

अल्जीरिया

अल्जीरिया के राजदूत अमार बेन्दजामा ने कहा कि उनके देशवासी, फ़लस्तीनी लोगों की तकलीफ़ों को भलीभाँति समझते हैं क्योंकि उनका देश भी, औपनिवेशिक संघर्ष के अतीत से गुज़र चुका है.

उन्होंने कहा, "मुक्त व गरिमापूर्ण लोगों के रूप में, फ़लस्तीनी जन, कभी भी क़ब्ज़े में रहना पसन्द नहीं करेंगे. वो आज़ादी के अपने अधिकार का कभी भी त्याग नहीं करेंगे."

अल्जीरियाई दूत ने कहा कि "फ़लस्तीनियों की ज़िन्दगियाँ भी मायने रखती हैं."

उन्होंने कहा कि उनके देश में इस प्रस्ताव के समर्थन में इसलिए वोट दिया क्योंकि यह एक तत्काल और दीर्घकालिक युद्धविराम की दिशा में रास्ता दिखाता है.

चीन

चीन के राजदूत फू कोंग ने कहा कि उन्होंने इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया है, मगर एक स्थाई युद्धविराम की आवश्यकता है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की चिन्ताओं के केन्द्र में रहा है.

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में युद्ध के तले दबे लोगों के लिए, बमबारी और आक्रमण को रोका जाना, सबसे तात्कालिक ज़रूरत है.

चीन के राजदूत ने ध्यान दिलाया कि सुरक्षा परिषद के सभी प्रस्ताव क़ानूनी रूप से बाध्यकारी हैं, और आज का प्रस्ताव भी उनसे अलग नहीं है. "सभी प्रस्तावों को कारगर और रचनात्मक रूप में लागू किया जाना चाहिए."

रूस

सुरक्षा परिषद में रूस के स्थाई प्रतिनिधि वैसिली नेबेन्ज़िया ने कहा कि उनके देश ने, अनेक चिन्ताओं के कारण, मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

उन्होंने कहा, "सैन्य भड़काव आरम्भ होने के समय से ही हम, एक स्थाई युद्धविराम व्यवस्था की ज़रूरत की हिमायत करते रहे हैं, जिसमें बन्धकों की रिहाई और ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की व्यवस्था की शर्त भी शामिल थी."

रूस के राजदूत ने कहा कि प्रस्ताव में अलबत्ता हमास से इस समझौते को स्वीकार करने का आहवान किया गया है, मगर अभी इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या इसराइल ने आधिकारिक रूप से इस समझौते के लिए अपनी स्वीकृति दी है, जैसाकि इस प्रस्ताव में लिखा गया है.

उन्होंने इसराइली नेताओं के इन बयानों का हवाला दिया कि युद्ध तब तक जारी रहेगा, जब तक कि हमास को पूरी तरह हरा नहीं दिया जाता है, ऐसे में उन्होंने सवाल पूछा, "इसराइल आख़िरकार विशिष्ठ रूप में किस बात पर सहमत हुआ है."

इसराइल

इसराइल की प्रतिनिधि रेयूत शापिर बेन नैफ़्तली ने कहा कि उनके देश के लक्ष्य 7 अक्टूबर के बाद से ही, "बिल्कुल स्पष्ट" रहे हैं: "सभी बन्धकों को वापिस लौटाना और हमास की क्षमताओं को ध्वस्त करना... और ये सुनिश्चित करना कि ग़ाज़ा, भविष्य में इसराइल के लिए कोई ख़तरा नहीं बने."

उन्होंने कहा, "जैसाकि हम इस चैम्बर में भी कई बार कह चुके हैं, जब ये लक्ष्य हासिल हो जाएंगे, तो युद्ध ख़त्म हो जाएगा."

इसराइली प्रतिनिधि ने कहा कि अब भी 120 लोग बन्धक हैं और हमास, इसराइली क़स्बों और शहरों पर राकेट दागना जारी रखे हुए है.