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म्याँमार: चक्रवाती तूफ़ान ‘मोका’ प्रभावितों के लिए, 33 करोड़ डॉलर की सहायता अपील

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में स्थित एक विस्थापन शिविर में एक व्यक्ति अपने क्षतिग्रस्त अस्थाई घर की मरम्मत कर रहा है.
© UNOCHA/Pierre Lorioux
म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में स्थित एक विस्थापन शिविर में एक व्यक्ति अपने क्षतिग्रस्त अस्थाई घर की मरम्मत कर रहा है.

म्याँमार: चक्रवाती तूफ़ान ‘मोका’ प्रभावितों के लिए, 33 करोड़ डॉलर की सहायता अपील

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र ने म्याँमार में चक्रवाती तूफ़ान ‘मोका’ से प्रभावित, 16 लाख सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए, 33 करोड़ डॉलर राशि की अपील जारी की है. मध्य - मई में देश के पश्चिमी हिस्से में आए इस चक्रवाती तूफ़ान के कारण बड़ी संख्या में घर बर्बाद हो गए हैं.

म्याँमार और बांग्लादेश में चक्रवाती तूफ़ान के कारण हुई तबाही की तस्वीर जैसे-जैसे स्पष्ट हो रही है, मानवीय सहायताकर्मी, प्रभावितों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के लिए प्रयासरत हैं और उन्हें तत्काल सहायता धनराशि की आवश्यकता है.

म्याँमार में मानवीय राहत मामलों के लिए प्रमुख रामानाथन बालाकृष्षन ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि इस प्राकृतिक आपदा से, लाखों लोगों के पास सिर छुपाने के लिए छत नहीं है, जबकि मॉनसून का मौसम नज़दीक आ रहा है.

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फ़िलहाल, यूएन राहतकर्मियों की प्राथमिकता ज़रूरतमन्दों के लिए सुरक्षित शरण का प्रबन्ध करना और जल-जनित बीमारियों के फैलाव की रोकथाम करना है.

14 मई को जब ‘मोका’, बंगाल की खाड़ी के तट से टकराया तो अपने साथ 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएँ, भारी बारिश और बाढ़ लेकर आया.

म्याँमार के उन इलाक़ों में भूस्खलन की घटनाएँ भी हुईं, जहाँ लम्बे समय से जारी हिंसक संघर्ष के कारण विस्थापितों ने शरण ली हुई है. इनमें राख़ीन प्रान्त में रोहिंज्या अल्पसंख्यक समुदाय भी है.

16 लाख ज़रूरतमन्द

यूएन द्वारा जारी की गई अपील में, सहायता धनराशि तत्काल मुहैया कराए जाने का अनुरोध किया गया है, ताकि सर्वाधिक प्रभावित राख़ीन, चिन, मैग्वे, सगाइंड और काचीन प्रान्तों में राहत कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके.

यूएन के मानवीय राहत समन्वयक रामानाथन बालाकृष्षन ने यंगून से पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि नई अपील के तहत, 16 लाख लोगों की समर्थन के लिए शिनाख़्त की गई है.

इनमें वे लोग हैं जिनके घर बर्बाद हो गए हैं, जिनके लिए स्वास्थ्य सेवाएँ व स्वच्छ जल सुलभ नहीं हैं, जो लोग खाद्य असुरक्षा से पीड़ित या कुपोषित हैं, शिविरों में विस्थापितों के रूप में रह रहे हैं, राष्ट्रविहीन हैं, और महिलाएँ, बच्चे, और विकलांगजन.

उन्होंने आगाह किया कि यदि तूफ़ान प्रभावित लोगों तक मदद पहुँचाने के लिए तत्काल संसाधन संगठित नहीं किए गए तो उन्हें एक लम्बे, बेहद कठिन मॉनसून का सामना करना पड़ेगा.

यूएन के शीर्ष अधिकारी ने पत्रकारों को उन कठिन परिस्थितियों से भी अवगत कराया, जिनसे म्याँमार के राख़ीन प्रान्त की राजधानी सित्वे में देश की सीमाओं के भीतर हुए विस्थापितों को जूझना पड़ रहा है.

सित्वे के एक शिविर में रह रहे एक विस्थापित ने यूएन कर्मचारियों को बताया कि उनका शरण स्थल बर्बाद हो गया, जबकि उनके परिवार ने एक केन्द्र पर उस समय शरण ली, जब तूफ़ान चरम पर था.

मानवीय सहायता अभियान

राख़ीन प्रान्त में सैकड़ों मानवीय सहायताकर्मी ज़मीनी स्तर पर ज़रूरतमन्दों तक भोजन, जल और स्वच्छता सम्बन्धी सामग्री पहुँचाने का हरसम्भव प्रयास कर रहे हैं.

वहीं, सचल स्वास्थ्य दल भी लोगों को आवश्यक समर्थन प्रदान कर रही है. आगामी दिनों में इन प्रयासों को मज़बूत किए जाने की योजना है.

रामानाथन बालाकृष्षन ने बताया कि हज़ारों लोगों को पहले ही समर्थन प्राप्त हुआ है और राख़ीन व चिन में प्रभावित समुदायों के लिए दो-सप्ताह की राहत वितरण योजना को जल्द ही अनुमति मिलने की आशा है.

बांग्लादेश के लिए राहत अपील

पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी, यूएन ने चक्रवाती तूफ़ान ‘मोका’ से प्रभावित हुए लोगों तक राहत पहुँचाने के लिए चार करोड़ 20 लाख डॉलर की अपील जारी की है.

इनमें तीन करोड़ 60 लाख डॉलर, तूफ़ान प्रभावित इलाक़ों में स्थित शिविरों में रह रहे रोहिंज्या शरणार्थियों तक राहत पहुँचाने के लिए निर्धारित हैं.

बांग्लादेश में यूएन के रैज़ीडेंट समन्वयक ग्वेन लुइस ने ढाका से बताया कि देश में चार लाख लोगों पर असर हुआ है और 40 हज़ार रोहिंज्या शरणार्थियों के अस्थाई घर बर्बाद या क्षतिग्रस्त हुए हैं.

ग्वेन लुईस ने ज़ोर देकर कहा कि यह प्राकृतिक आपदा, ऐसे समय में आई है जब कुछ ही समय पहले शऱणार्थियों की रसद में कटौती की गई और उससे पहले मार्च में भयावह आग में 16 हज़ार लोगों ने अपने घर खो दिए थे.  

बताया गया है कि शरणार्थियों के लिए हालात बेहद कठिन है और सहायता धनराशि के अभाव में यूएन को, एक जून को फिर से खाद्य सहायता में कटौती के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में अनेक लोगों के शरण स्थल बर्बाद हो गए हैं.
© UNOCHA/Pierre Lorioux

रोहिंज्या समुदाय पर असर

इसका अर्थ है कि रोहिंज्या शरणार्थियों को अपनी आवश्यकता की केवल 67 प्रतिशत खाद्य रसद ही प्राप्त हो पाएगी, यानि लगभग 10 लाख लोगों को अपनी ज़रूरत का केवल दो-तिहाई भोजन ही मिल सकेगा.  

यूएन अधिकारी लुईस के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने चक्रवाती तूफ़ान की चेतावनी पर तत्काल कार्रवाई करते हुए, तूफ़ान के रास्ते में रहने वाले सात लाख लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया था, जिससे अनगिनत ज़िन्दगियों की रक्षा करने में मदद मिली है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि नई सहायता धनराशि से बांग्लादेश के शिविरों में रहने वाले रोहिंज्या शरणार्थियों के घरों को फिर से खड़ा करने मे मदद मिलेगी, और उन्हें मौसमी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया जाएगा.

इससे पहले, विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने सोमवार को चरम मौसम घटनाओं के दुष्प्रभावों की रोकथाम करने में समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों की अहमियत को रेखांकित किया था.

यूएन एजेंसी के अनुसार, अतीत के वर्षों में चक्रवाती तूफ़ान ‘मोका’ जैसी आपदाओं से म्याँमार और बांग्लादेश में हज़ारों लोगों की मौत हुई होती, मगर चेतावनी व्यवस्था से इन्हें टालने में मदद मिली है.