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भारत: बाल हितैषी ग्राम पंचायतों के ज़रिये एसडीजी प्राप्ति के लिये अनूठी पहल

इस पहल का उद्देश्य है - टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिये 'बाल/बालिका सभाओं' के माध्यम से युवाओं व बच्चों की आवाज़ को ग्राम सभाओं में शामिल करना.
UNICEF India
इस पहल का उद्देश्य है - टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिये 'बाल/बालिका सभाओं' के माध्यम से युवाओं व बच्चों की आवाज़ को ग्राम सभाओं में शामिल करना.

भारत: बाल हितैषी ग्राम पंचायतों के ज़रिये एसडीजी प्राप्ति के लिये अनूठी पहल

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों (यूनीसेफ़ और यूएएफ़पीए) ने, भारत सरकार के साथ विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जिनके तहत स्थानीयकरण एवं विकेन्द्रीकरण के ज़रिये, टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDG) हासिल करने की कोशिश की जाएगी.

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इसके लिये, स्थानीय प्रशासन व ग्राम पंचायतों में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, व महिलाओं के हितों पर ख़ास ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.

भारत में यूनीसेफ़ के स्थानीय प्रतिनिधि यासुमासा किमूरा और पंचायती राज्य मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने भारत की स्वतन्त्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में राजधानी दिल्ली में बुधवार को आयोजित ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के दौरान, भारत में युवाओं व बच्चों के अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये.

बाल-हितैषी ग्राम पंचायतें

यूएन एजेंसियों का कहना है कि भारत की एक तिहाई आबादी बच्चों की है और उसमें लगभग 22 फीसदी संख्या किशोरों व युवाओं की है.

ऐसे में, इस पहल का उद्देश्य है - टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिये 'बाल/बालिका सभाओं' के माध्यम से युवाओं व बच्चों की आवाज़ को ग्राम सभाओं में शामिल करना. 

ये बाल सभाएँ बच्चों की प्राथमिकताओं की पहचान करके, उन्हें ग्राम पंचायत विकास योजनाओं में एकीकृत करने में मदद करेंगी.

इससे सरकारी नीतियों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं व कार्यक्रमों को, बच्चों व किशोरों की ज़रूरतों के लिये समावेशी और प्रासंगिक बनाना सुनिश्चित हो सकेगा.

यह साझेदारी, हर बच्चे को विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिये सही मंच देने के बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन के अनुच्छेद 12 पर आधारित है. 

भारत के पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने इस अवसर पर कहा कि सभी राज्य सरकारों, भागीदारों और अन्तरारष्ट्रीय एजेंसियों की ज़िम्मेदारी है कि वो सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में पूर्ण योगदान करें.

यह साझेदारी, हर बच्चे को विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिये सही मंच देने के बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन के अनुच्छेद 12 पर आधारित है.
UNICEF India
यह साझेदारी, हर बच्चे को विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिये सही मंच देने के बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन के अनुच्छेद 12 पर आधारित है.

उन्होंने कहा, “इस समय हम सभी को साथ आने की ज़रूरत है. इसमें एक पूर्ण सामाजिक दृष्टिकोण बनाने के लिये, न केवल केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को, बल्कि विशेषज्ञों, शिक्षण संस्थानों, ग़ैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) व पंचायतों को भी शामिल होने की आवश्यकता है.” 

उन्होंने यूनीसेफ़ के समर्थन के लिये आभार व्यक्त करते हुए कहा, “इसमें यूनीसेफ़ की मौजूदगी, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिये अभिसरण, सहयोग और प्रतिबद्धता की ज़रूरत उजागर करती है.” 

वहीं भारत में यूनीसेफ़ के स्थानीय प्रतिनिधि, यासुमासा किमुरा ने कहा, “यूनीसेफ़ और पंचायती राज मंत्रालय की साझेदारी यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चों और युवाओं की आवाज़, ग्राम पंचायत की निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग हो."

"इससे लड़के और लड़कियाँ अपने जीवन पर असर डालने वाली नीतियों एवं विकास योजनाओं में शामिल हो सकेंगे. हमें विश्वास है कि यह मॉडल बच्चों की पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, जुड़ाव और सुरक्षा की आकाxक्षाओं को गाँव के एजेण्डे के केन्द्र में लाने में सक्षम होगा.”

उन्होंने कहा कि यूनीसेफ़ को इस भागीदारी के तहत भारत सरकार के मंत्रालय को तकनीकी सहयोग प्रदान करने पर बहुत गर्व है. 

स्थानीयकरण के ज़रिये एसडीजी प्राप्ति

समझौते के तहत, यूएनएफ़पीए की मदद से स्थानीय स्तर पर मातृ-स्वास्थ्य बेहतर करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.
UNFPA India
समझौते के तहत, यूएनएफ़पीए की मदद से स्थानीय स्तर पर मातृ-स्वास्थ्य बेहतर करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.

इस अवसर पर टिकाऊ विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में सहयोग हेतु, भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के बीच एक अन्य संयुक्त समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गए, जिसमें सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के लिये, विशेष रूप से एसडीजी 5 पर सहयोग का प्रावधान किया गया है. 

कार्यक्रम में मौजूद, भारत में यूएनएफ़पीए की कार्यक्रम प्रबन्धक अनुजा गुलाटी ने महिला-हितैषी गाँव, महिला सुरक्षा, परिवार नियोजन और ग्रामीण शासन में समान भागीदारी प्राप्त करने को प्राथमिकता देने पर ज़ोर दिया. 

इस समझौते में यूएनएफ़पीए की मदद से, पंचायती राज के निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों का क्षमता निर्माण, पढ़ने/सीखने और प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध कराने का प्रावधान और महिलाओं व लड़कियों का महत्व बढ़ाने के लिये, राज्य ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थानों को मज़बूत करने में सहयोग दिया जाएगा.

इसके अलावा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदण्डों पर ध्यान देने, लिंग आधारित हिंसा और हानिकारक प्रथाओं की रोकथाम पर उत्कृष्ट प्रथाओं का प्रलेखन करना आदि शामिल है. 

यूएनएफ़पीए ने महिला-हितैषी गाँव, महिला सुरक्षा, परिवार नियोजन और ग्रामीण शासन में समान भागीदारी प्राप्त करने को प्राथमिकता देने पर ज़ोर दिया.
UNFPA India
यूएनएफ़पीए ने महिला-हितैषी गाँव, महिला सुरक्षा, परिवार नियोजन और ग्रामीण शासन में समान भागीदारी प्राप्त करने को प्राथमिकता देने पर ज़ोर दिया.