वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

मेरा एक सपना है

बाल विवाह एक वैश्विक मुद्दा है. 2016 में, UNICEF ने UNFPA के साथ, भारत और 11 अन्य देशों में 'बाल विवाह को समाप्त करने के लिये वैश्विक कार्यक्रम' शुरू किया.
UN India/JAS
बाल विवाह एक वैश्विक मुद्दा है. 2016 में, UNICEF ने UNFPA के साथ, भारत और 11 अन्य देशों में 'बाल विवाह को समाप्त करने के लिये वैश्विक कार्यक्रम' शुरू किया.

मेरा एक सपना है

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र, भारत के राजस्थान प्रदेश में, सरकार और स्थानीय निकायों के साथ मिलकर, एक नवीन मोबाइल फ़ोन सेवा की मदद से, बाल विवाह की रोकथाम के प्रयास कर रहा है.

छोटे क़द-काठी की इस लड़की के बालों में चोटी बँधी है जिसे एक गुलाबी रिबन से पिरोया हुआ है. एक बूढ़े व्यक्ति के साथ चलते हुए उसके चेहरे पर निराशा साफ़ झलक रही है. दोनों के गले में पड़ी मालाएँ इस बात का संकेत दे रही हैं कि उनकी अभी-अभी शादी हुई है.

उसके हाथ में एक छोटा सा ब्लैकबोर्ड है, जिस पर हिन्दी वर्णमाला के पहले अक्षर उकेरे हुए हैं, जिससे स्पष्ट हो रहा है कि उसका बस चले तो वह शायद स्कूल जाना पसन्द करे.

एक दूसरी तस्वीर - यह भी वही लड़की है - इस बार ख़ुशी से खिलखिलाते हुए, स्कूल जाने के लिये तैयार – वो अपनी मुस्कुराती हुई माँ के बगल में बैठी है.

नम्बर पर मिस्ड कॉल देने पर, उपयोगकर्ता को 15 मिनट के मुफ़्त इन्फ़ोटेनमेंट कैप्सूल के साथ एक कॉल बैक मिलता है, जिसमें हिन्दी फिल्मी गाने और लघु कथाएँ व कॉमेडी या व्यंग्य के ज़रिये सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटक सुनाए जाते हैं.
UN India/Zainab Dehgamwala
नम्बर पर मिस्ड कॉल देने पर, उपयोगकर्ता को 15 मिनट के मुफ़्त इन्फ़ोटेनमेंट कैप्सूल के साथ एक कॉल बैक मिलता है, जिसमें हिन्दी फिल्मी गाने और लघु कथाएँ व कॉमेडी या व्यंग्य के ज़रिये सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटक सुनाए जाते हैं.

बच्ची की दो अलग-अलग छवियों वाले पोस्टर में एक सरल लेकिन प्रभावी सन्देश है. अपने बच्चों को शिक्षित करें; बाल विवाह को रोकें – भारत के पश्चिमी प्रदेश राजस्थान में क्लाउड टेलीफ़ोनी-आधारित रेडियो चैनल नौबत बाजा मिस्ड कॉल रेडियो के फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट किये गए चित्रों पर यही सन्देश दिए गए हैं, जो किशोरों के कल्याण, सशक्तिकरण और स्वास्थ्य के मुद्दों पर ज़ोर देते हैं.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ‘नौबत बाजा परियोजना’, महिला अधिकारिता निदेशालय, राजस्थान सरकार, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (REC) संस्थान और यूएनएफ़पीए की एक संयुक्त पहल है. इसे एक ग़ैर-सरकारी संगठन, जीवन आश्रम संस्थान (JAS) के सहयोग से लागू किया गया है.

नौबत बाजा पोस्टर की यह छोटी लड़की जयपुर की सपना भी हो सकती है. सपना उसका असली नाम नहीं है. लेकिन इस सपना की यह इच्छा केवल सपना बनकर भी रह सकता थी – एक कोरा सपना मात्र. कुछ दिन पहले ही, उसका परिवार उसे स्कूल से निकालकर, उसकी शादी की तैयारी कर रहा था.

तभी जयपुर में रहने वाली 20 साल की छात्रा श्रेया ने वहाँ क़दम रखा. दरअसल, उसका भी असली नाम श्रेया भी नहीं है. वह अपनी असली पहचान ज़ाहिर नहीं करना चाहती, लेकिन जयपुर में एक निम्न मध्यम वर्गीय मोहल्ले में उसने जो किया, वो अभूतपूर्व था. श्रेया ने सपना के सुरक्षित भविष्य का सपना साकार करने में सपना की मदद की.

श्रेया, JAS संस्था में स्वयंसेवक हैं, और महिलाओं व लड़कियों के सशक्तिकरण में मदद करती हैं. जब श्रेया ने स्कूल की इस छात्रा के बाल-विवाह के बारे में सुना, तो उसने तुरन्त एक मोबाइल नम्बर पर कॉल करके उसकी शादी रुकवा दी.

यह घटना राजस्थान सरकार, स्थानीय ग़ैर-सरकारी संगठनों व संयुक्त राष्ट्र के बीच सहयोग की सफलता पर प्रकाश डालती है.

‘नौबत बाजा’ का अर्थ है – बहुत से संगीत वाद्ययंत्र, जो पुराने ज़माने में लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिये एक साथ बजाए जाते थे. इसी तरह, नौबत बाजा नाम की यह संयुक्त पहल, बाल विवाह और लैंगिक भेदभाव जैसी हानिकारक प्रथाओं के ख़िलाफ़ सन्देशों को प्रसारित करने के लिये एक घोषणा का कार्य करते हैं.
 
8 मार्च 2019 को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर शुरू की गई, नौबत बाजा पहल काफ़ी हद तक, भारत के कोने-कोने तक फैले मोबाइल फ़ोन की ताक़त पर निर्भर करती है. यह पहल इस तथ्य पर आधारित है कि मोबाइल फ़ोन संचार, युवाओं का पसन्दीदा माध्यम है, ख़ासतौर पर उन क्षेत्रों में जहाँ लोगों की टैलीविज़न, केबल कनेक्शन या इण्टरनेट तक पहुँच बहुत कम है.

कार्रवाई का समय

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, भारत में,  23.3 प्रतिशत विवाह कम उम्र में होते हैं.
UN India/JAS
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, भारत में, 23.3 प्रतिशत विवाह कम उम्र में होते हैं.


श्रेया को एक स्वयंसेवक के रूप में नौबत बाजा मिशन और चाइल्ड हैल्पलाइन नम्बर के बारे में पूरी जानकारी थी. जून 2021 में, उसे मालूम हुआ कि एक बच्ची की शादी 30 साल के व्यक्ति से करवाई जा रही है. सपना के पिता ने इस व्यक्ति के परिवार से क़र्ज़ लिया था. जब वह इसे चुका नहीं सके, तो दूल्हे के पिता ने कहा कि अगर सपना ने उनके बेटे से शादी की तो वह उनका क़र्ज़ माफ़ कर देंगे. 

श्रेया ने हेल्पलाइन पर कॉल की और पुलिस हरकत में आई. शादी रोक दी गई. सपना को दो महीने के लिये आश्रयस्थल में भेज दिया गया था, लेकिन अब वह घर वापस आ गई है और वो फिर से स्कूल जाने लगी है.

बाल विवाह एक वैश्विक मुद्दा है. 2016 में, UNICEF ने UNFPA के साथ, भारत और 11 अन्य देशों में 'बाल विवाह को समाप्त करने के लिये वैश्विक कार्यक्रम' शुरू किया. यूनीसेफ़ का मानना है, "बाल विवाह से बचपन समाप्त हो जाता है."

"यह बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के अधिकारों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. ये परिणाम न केवल सीधे लड़की को बल्कि उसके परिवार और समुदाय को भी प्रभावित करते हैं.”

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, भारत में,  23.3 प्रतिशत विवाह कम उम्र में होते हैं. बाल विवाह का मतलब है - 18 वर्ष से कम आयु में लड़की/या 21 वर्ष से कम उम्र में लड़के का विवाह.

हालाँकि, यह प्रतिबन्धित प्रथा अब भी राजस्थान समेत कई प्रदेशों में जारी है. श्रेया ने इसे ख़ुद महसूस किया है. वह बताती हैं कि उनकी दो बड़ी बहनों की शादी तब कर दी गई थी, जब वो नाबालिग़ थीं.

मास्टर्स की पढ़ाई कर रही श्रेया कहती हैं, “मैंने देखा है कि शिक्षा की कमी के कारण वो किन कठिनाइयों का सामना कर रही हैं. मैं नहीं चाहती कि दूसरी लड़कियाँ भी इस मुसीबत में फँसें.” 

महामारी का डर

कोविड-19 महामारी ने बाल विवाह को लेकर चिन्ता बढ़ा दी है. यूनीसेफ़ का कहना है कि स्वास्थ्य संकट के रूप में शुरू हुई महामारी, अब बाल अधिकारों का संकट बन चुकी है.

मार्च 2021 में जारी 'कोविड-19: बाल विवाह के ख़िलाफ़ प्रगति को ख़तरा' रिपोर्ट में, यूनीसेफ़ ने भविष्यवाणी की है कि महामारी के परिणामस्वरूप, दशक के अन्त से पहले एक करोड़ अतिरिक्त बाल विवाह होने की आशंका है. महामारी से पहले भी, अगले दशक में 10 करोड़ लड़कियों के बाल विवाह का ख़तरा था.

यूनीसेफ़ के एक बयान में कहा गया है, "स्कूल बन्द होने, आर्थिक तनाव, सेवा में व्यवधान, गर्भावस्था और महामारी के कारण माता-पिता की मौत होना, सबसे कमज़ोर वर्ग की लड़कियों को बाल विवाह के ख़तरे में डाल रहे हैं."

JAS की निदेशिका राधिका शर्मा कहती हैं, “भारत में भी, बाल विवाह पर महामारी से उपजे आर्थिक संकट और असुरक्षा के प्रभाव के बारे में चिन्ताएँ हैं. “जिन परिवारों को भरण-पोषण में कठिनाई आ रही है, वो अपनी लड़कियों की शादी करना बेहतर समझेंगे, भले ही वो अभी नाबालिग़ हों. क्योंकि इसका मतलब होगा, खिलाने के लिये कम मुँह.”

वह कहती हैं कि इसका एक बड़ा कारण महामारी के समय शादी करने से समारोहों पर लगे प्रतिबन्ध के कारण कम ख़र्चा भी है. 

लोगों के घर छोड़ने और काम की तलाश में दूर-दराज़ के इलाक़ों की यात्रा करने के कारए, बेटियों की शादी कम उम्र और जल्दी कर देना भी माता-पिता को उनकी सन्तानों की सुरक्षा का आश्वासन देता है.

राधिका शर्मा कहती हैं, “माता-पिता अक्सर महसूस करते हैं कि अगर बेटियों की शादी जल्दी कर दी जाती है तो उनकी लड़कियाँ सुरक्षित रहेंगी. शादीशुदा होने पर उनका शारीरिक शोषण नहीं किया जाएगा. ग़रीबी, शिक्षा की कमी, पितृसत्ता और लैंगिक असमानताएँ भी बाल-विवाह का महत्वपूर्ण कारक हैं.”

अभिनव तरीक़े

बाल विवाह की रोकथाम के लिये, यूएनएफ़पीए एवं भागीदारों के संयुक्त प्रयास काफी सफल हो रहे हैं.
UN India/Zainab Dehgamwala
बाल विवाह की रोकथाम के लिये, यूएनएफ़पीए एवं भागीदारों के संयुक्त प्रयास काफी सफल हो रहे हैं.

राजस्थान में, JAS जैसे नागरिक समाज संगठन इस प्रथा से जूझ रहे हैं - और नौबत बाजा जैसे अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से बाल विवाह के ख़तरों के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिशें कर रहे हैं.

नौबत बाजा कार्यक्रम को श्रोताओं की अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है. कॉल करने वालों को इण्टरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है.

7733959595 नम्बर पर मिस्ड कॉल देने पर, उपयोगकर्ता को 15 मिनट के मुफ़्त इन्फ़ोटेनमेंट कैप्सूल के साथ एक कॉल बैक मिलता है, जिसमें हिन्दी फिल्मी गाने और लघु कथाएँ व कॉमेडी या व्यंग्य के ज़रिये सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटक सुनाए जाते हैं.

इसके अलावा, युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर, सामान्य ज्ञान, और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के समाचार भी होते हैं.

इसके लिये सामग्री नियमित रूप से अपडेट की जाती है. कार्यक्रम, यूएनएफ़पीए के प्रतिनिधियों की देखरेख में बनता है, स्टूडियो में शोधकर्ताओं की एक टीम की मदद से सामग्री तैयार की जाती है और पेशेवर रेडियो जॉकी इसे प्रस्तुत करते हैं.

यह कार्यक्रम ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वयंसेवकों, सामुदायिक नेताओं, पंचायतों के सदस्यों (ग्रामीण शासी निकाय) और आँगनवाड़ी (ग्रामीण बाल देखभाल केन्द्र) व आशा कार्यकर्ताओं (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) द्वारा सोशल मीडिया, भित्तिचित्र और जागरूकता अभियानों के माध्यम से प्रचारित की जाती है.

नौबत बाजा से जुड़े स्वयंसेवकों और किशोर समूह के नेताओं को चैम्पियन के नाम से सम्बोधित किया जाता है. श्रेया भी ऐसी ही एक चैम्पियन हैं.

भारत में यूएनएफ़पीए के अन्तरिम प्रतिनिधि, श्रीराम हरिदास कहते हैं, "REC फाउण्डेशन द्वारा समर्थित नौबत बाजा पहल का उद्देश्य कमज़ोर समुदायों के युवाओं और किशोरों, विशेष रूप से लड़कियों को सशक्त बनाना है, ताकि बाल विवाह और लिंग आधारित भेदभाव जैसी हानिकारक प्रथाओं को रोकने के लिये बदलाव के प्रवर्तक बन सकें, और लोग बालिकाओं का महत्व समझ सकें." 

रेडियो पर छोटे-छोटे नाटकों के ज़रिये, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, किशोर लड़कियों के स्वास्थ्य, मासिक धर्म स्वच्छता, लिंग सम्वेदीकरण, वित्तीय जागरूकता, कोविड-19 नियम और सावधानियों जैसे विषयों पर सन्देश दिए जाते हैं. 

यूएनएफ़पीए, युवाओं के बीच सामाजिक रूप से प्रासंगिक सन्देश फैलाने के लिये, नए और अभिनव तरीक़ों का उपयोग कर रहा है.
UN India/Zainab Dehgamwala
यूएनएफ़पीए, युवाओं के बीच सामाजिक रूप से प्रासंगिक सन्देश फैलाने के लिये, नए और अभिनव तरीक़ों का उपयोग कर रहा है.

बाल-विवाह की कई घटनाएँ देखने वाले झुंझुनू के ज़िला मजिस्ट्रेट, उमर दीन ख़ान कहते हैं, "यह युवाओं तक, सामाजिक रूप से प्रासंगिक सन्देश पहुँचाने का एक नया और अभिनव तरीक़ा है.”  

पूरे राजस्थान में, अभियान में हितधारकों को आकर्षित करने के उपाय किए जा रहे हैं.

बाल विवाह को समाप्त करने पर एक राज्य कार्य योजना के हिस्से के रूप में, यूएनएफ़पीए और यूनीसेफ़ ने पंचायत नेताओं के प्रशिक्षण में मदद की है, ताकि लैंगिक असमानता और बाल विवाह जैसी हानिकारक प्रथाओं से निपटने में उनकी भूमिका को रेखांकित किया जा सके; और महिलाओं और लड़कियों का महत्व बढ़ सके.

प्रभावी प्रोग्रामिंग उपाय, जैसे लड़कियों को स्कूल वापस लाना और सामाजिक सुरक्षा व आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों और स्वास्थ्य और सुरक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना, बाल विवाह से निपटने में मदद करेगा.

इसी उद्देश्य के साथ, UNFPA-UNICEF के 'बाल विवाह को समाप्त करने के लिये वैश्विक कार्यक्रम' ने पहले चार साल के चरण (2016-2019) को पूरा करने के बाद, 2020 में अपने अभियान का दूसरा चरण शुरू किया.

यह कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि "बाल विवाह के जोखिम में और इससे प्रभावित किशोरियाँ, विवाह, शिक्षा, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य पर, प्रभावी ढंग से उपयुक्त जानकारी पर आधारित स्वयं के निर्णय लें." 

इसके साथ ही, "व्यवस्था और संस्थान किशोरियों और उनके परिवार की ज़रूरतों के लिये प्रभावी ढंग से कार्रवाई करते हैं; और बाल विवाह को रोकने के लिये क़ानूनी व राजनैतिक प्रतिक्रिया बढ़ी है.

चरण-1 की रणनीतियों और उपलब्धियों पर 2019 की रिपोर्ट में यूएनएफ़पीए-यूनीसेफ़ का कहना है कि इस वैश्विक कार्यक्रम ने, अपने अधिकतर लक्ष्य हासिल कर लिये हैं." कार्यक्रम सम्बन्धी 12 देशों में, लाखों लोगों ने बाल विवाह को समाप्त करने के लिये कार्रवाई की.

कार्यक्रम के ज़रिये लगातार किशोरियों और समुदाय तक पहुँच बढ़ाई गई है. अधिकतर देश अपने लक्ष्य तक पहुँच गए हैं या उससे आगे निकल गए हैं, और वैश्विक कार्यक्रम के कार्यान्वयन के चार वर्षों में कार्यक्रम की उपलब्धियों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं."

भविष्य का रास्ता

राजस्थान में बाल विवाह के ख़िलाफ़ अभियान में अधिक से अधिक भागीदारों को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है.

अग्रिम पंक्ति के स्थानीय कार्यकर्ता और दुनिया के सबसे बड़े युवा नेटवर्क में से एक, नेहरू युवा केन्द्र संगठन (एनवाईकेएस) के सदस्यों  को नौबत बाजा द्वारा प्रसारित सन्देशों के माध्यम से, समुदाय की किशोरियों और परिवारों के साथ बैठकें और बातचीत करने के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है.

एनवाईकेएस के क्षेत्रीय निदेशक और नौबत बाजा के सलाहकार, भुवनेश जैन ने ज़ोर देकर कहा कि हितधारकों को बड़े पैमाने पर स्कूल से सम्बन्धित कार्यक्रमों के साथ साझेदारी को अधिक सक्रिय व रणनीतिक बनाने व महिला केन्द्रित जीवन कौशल और प्रशिक्षण के लिये बढ़ाए जाने योग्य स्कूल एवं समुदाय-आधारित मंचों की पहचान करने की आवश्यकता है.

भारत में यूएनएफ़पीए के अन्तरिम प्रतिनिधि, ए आई हरिदास कहते हैं: "यह पहल यूएनएफ़पीए और भागीदारों द्वारा अपनाई गई उन नवीन रणनीतियों में से एक है, जिनसे यह सुनिश्चित करा जा सके कि युवा अपने अधिकारों और उपलब्ध अवसरों के बारे में जागरूक बनें,  एवं स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में सटीक जानकारी और सेवाओं तक उनकी पहुँच , और उन सामाजिक मुद्दों को सम्बोधित करने में भाग लेने में सक्षम हों जो उन्हें प्रभावित करते हैं."

एक बार जब रणनीतियाँ फल देने लगेंगी, और जब नौबत बाजा जैसी कई पहलें श्रेया जैसे युवाओं को सशक्त बनाएंगी, तो सपना जैसी हज़ारों लड़कियाँ, सपने देखने का साहस करेंगी.

बाल विवाह के ख़िलाफ़ नौबत बाजा का पोस्टर इसे बखूबी बयाँ करता है. इसमें विद्यालय जाती एक ख़ुशहाल लड़की के साथ खड़ी उसकी माँ कह रही है, "मैं अपने बच्चों को सपनों की उड़ान भरने दूंगी."

नौबत बाजा जैसे अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से बाल विवाह के ख़तरों के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिशें कर रहे हैं.
UN India/Zainab Dehgamwala
नौबत बाजा जैसे अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से बाल विवाह के ख़तरों के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिशें कर रहे हैं.