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दक्षिण सूडान में गहराता मानवीय संकट, WHO की चेतावनी

बच्चे अपने घर से जुड़े हुए एक पाइप के ज़रिये स्वच्छ जल एकत्र कर रहे हैं.
© UNICEF/Ahmed Mohamdeen Elfatih
बच्चे अपने घर से जुड़े हुए एक पाइप के ज़रिये स्वच्छ जल एकत्र कर रहे हैं.

दक्षिण सूडान में गहराता मानवीय संकट, WHO की चेतावनी

प्रवासी और शरणार्थी

स्वाधीनता मिलने के 13 वर्ष बाद, दक्षिण सूडान में आम लोग अब भी विशाल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जोकि पड़ोसी देश सूडान में जारी युद्ध के कारण और गहरी हुई हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को वहाँ मौजूदा हालात पर अपनी चिन्ता व्यक्त की है.

दक्षिण सूडान ने 9 जुलाई 2011 को सूडान से स्वतंत्रता प्राप्त की थी, जिसके बाद दुनिया के सबसे नए देश के रूप में इसका जन्म हुआ. यह 2005 में हुए एक शान्ति समझौते के बाद छह वर्ष तक चली शान्ति प्रक्रिया का नतीजा था, जिससे गृहयुद्ध समाप्त हो गया था. 

मगर, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ध्यान दिलाया कि वर्ष 2013 में हिंसक टकराव फिर से भड़क उठा, जिसके साथ ही मानवीय, आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक संकटों की शुरुआत हो गई थी.

सूडान में लड़ाई भड़कने के बाद यहाँ हालात बद से बदतर हो गए हैं. अप्रैल 2023 में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच युद्ध से जान बचाने के लिए बड़े पैमाने पर सूडानी नागरिकों ने दक्षिण सूडान में शरण ली है. अब तक साढ़े छह लाख से अधिक लोग यहाँ पहुँचे हैं.

फ़िलहाल, देश की आबादी का क़रीब 46 फ़ीसदी हिस्सा, 60 लाख लोग संकट स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, और आगामी दिनों में यह संख्या बढ़कर 71 लाख तक पहुँच सकती है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की रिपोर्ट बताती है कि 2023-24 में ‘अल नीन्यो’ मौसमी प्रभाव के कारण, यहाँ शुष्क परिस्थितियाँ उपजीं, अनिश्चित ढंग से बारिश हुई और इसका स्थानीय पैदावार पर बड़ा असर हुआ. इन हालात में यहाँ लगभग पूरे साल बाढ़ जैसे हालात रहे, ये उन इलाक़ों में भी हुआ जोकि पहले इससे अछूते थे.

WHO ने सचेत किया कि गम्भीर बाढ़ आने, बार-बार हिंसा होने, कमज़ोर शासन प्रणाली, निर्धनता, बुनियादी ढाँचे के अभाव समेत अन्य चुनौतियों ने एक ऐसा जटिल मानवीय संकटा खड़ा किया है, जिससे दक्षिण सूडान का विकास प्रभावित हो रहा है.

बाढ़ और हिंसक टकराव की दृष्टि से सम्वेदनशील इलाक़ों में 89 लाख लोगों पर असर हुआ है. महिलाओं, बच्चों, वृद्धजन और विकलांगजन पर विशेष ख़तरा है.

दक्षिण सूडान में, एक लड़की, दूर स्थान से पानी भरकर, विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविर में अपने निवास के लिए ले जाते हुए.
© UNICEF/Mark Naftalin
दक्षिण सूडान में, एक लड़की, दूर स्थान से पानी भरकर, विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविर में अपने निवास के लिए ले जाते हुए.

पहला विस्थापन सर्वेक्षण

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने सोमवार को अपना पहला विस्थापन सर्वे प्रस्तुत किया, जिससे हालात की गम्भीरता उजागर हुई है और यह स्पष्ट हुआ है कि शरणार्थी व मेज़बान समुदाय चिन्ताजनक स्तर पर पीड़ा से जूझ रहे हैं.

‘जबरन विस्थापन सर्वेक्षण’ को अप्रैल और दिसम्बर 2023 के दौरान कराया गया और इसमें दक्षिण सूडान के 3,100 घर-परिवारों से जानकारी प्राप्त की गई.

इस सर्वेक्षण के अनुसार, सभी समुदायों को सीमित सेवाओं, ऊँचे स्तर पर बेरोज़गारी, शिक्षा अभाव, ख़राब बुनियादी ढाँचे और भीड़भाड़ भरे आश्रय स्थलों समेत अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

भूख संकट

सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 74 प्रतिशत शरणार्थी व मेज़बान समुदायों के घर परिवारों के लिए भोजन की व्यवस्था कर पाना एक बड़ा मुद्दा है.

दोनों समूहों में 40 फ़ीसदी से अधिक लोगों के पास पिछले साल की तुलना में कम आय थी. सूडान संकट के कारण यहाँ शरण लेने वाले शरणार्थियो से हालात अस्थिर हुए हैं और सेवाओं पर बोझ बढ़ा है.

हिंसक टकराव की वजह से दक्षिण सूडान की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है और मुख्य तेल पाइपलाइन बन्द हो गई है.

दक्षिण सूडान में यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रतिनिधि मैरी-हेलेन वर्ने ने बताया कि जितना सम्भव हो सके, मानवीय सहायता को स्थिरीकरण व विकास कार्यक्रमों से जोड़ने की ज़रूरत है.

इसके साथ ही, ठोस, दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता होगी ताकि शरणार्थियों और उनकी मेज़बानी करने वाले समुदायों के जीवन में बेहतरी लाई जा सके. दक्षिण सूडान में सूडान, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इथियोपिया से साढ़े चार लाख से अधिक शरणार्थी हैं.

सूडान में युद्ध की वजह से, दक्षिण सूडान में हर दिन क़रीब 1,600 लोग शरण लेने के लिए पहुँच रहे हैं. विस्थापन सर्वेक्षण के ज़रिये व्यापक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक डेटा जुटाया जा रहा है ताकि कारगर नीतिगत उपायों व कार्यक्रमों को विकसित किया जा सके और लक्षित ढंग से ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाना सम्भव हो सके.