थाईलैंड – समुद्री अभयारण्य में केकड़ों के संरक्षण के प्रयास
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम यानि यूनेप थाईलैंड में, तटीय इलाक़ों में समुद्री प्रजातियों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास कर रहा है जिनकी बदौलत समुद्री प्रजातियों की पुनर्बहाली सम्भव हुई है. इन प्रयासों में, स्थानीय मछुआरों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करके, सफलतापूर्वक सतत उपायों भरी एक परियोजना कार्यन्वित की जा रही है.
थाईलैंड के पूर्वी तट पर सुबह-सवेरे मछुआरे सुथम हिमानी को शीशे की तरह साफ़ पानी में तैरती हुई मादा केकड़ा नज़र आती है. गर्भवती होने की वजह से उसके नीचे का हिस्सा फूला हुआ था.
57 वर्षीय सुथम, केकड़ों के पेट पर फूले हुए पीले थैलों की तरफ़ इशारा करते हुए बताते हैं कि इस तरह की मादा केकड़ा, लाखों बच्चे जनने की क्षमता रखती है. हम अंडे जनने वाली इन मादा केकड़ों को केकड़ा बैंक में रखते हैं.
इस प्रकार के नीले तैराक केकड़े पारम्परिक रूप से, मुनाफ़े के लिए बेच दिए जाते थे. लेकिन सुथम हिमाने ने, जब एक दशक पहले कभी प्रचुर संख्या में होने वाले केकड़ों की आबादी को घटते देखा, तो उन्होंने उनके संरक्षण की ठान ली.
उन्होंने, अपने साथी मछुआरों के साथ मिलकर, पकड़ी हुई मछलियों के बीच से भावी केकड़ा माताओं को अलग करना शुरू किया और किनारे पर एक टैंक में डालकर, वापस पानी में छोड़ने से पहले उनके अंडों को सेने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान किया.
इसी तरह जन्म हुआ केकड़ा बैंक का.
![थाईलैंड में, यूनेप की परियोजना से, सुथम हिमानी जैसे मछुआरों को आजीविका अर्जित करने में महत्वपूर्ण लाभ हुआ है. थाईलैंड में, यूनेप की परियोजना से, सुथम हिमानी जैसे मछुआरों को आजीविका अर्जित करने में महत्वपूर्ण लाभ हुआ है.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/03-07-2024_GEF_IW_Thailand_2.jpg/image770x420cropped.jpg)
उनकी इस पहल की असीम सम्भावनाओं के बावजूद, समुद्र की ख़तरनाक लहरों में अक्सर अनगिनत बाल केकड़े, बड़े होने से पहले ही मर जाते हैं.
उनके जीवित बचने की सम्भावनाओं को बढ़ाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने, स्थानीय मछुआरा समुदायों व शोधकर्ताओं के साथ मिलकर, केकड़ों के लिए सुरक्षित स्थल तैयार किए, जहाँ केकड़ों समेत अन्य सभी समुद्री प्रजातियाँ प्रजनन कर सकती हैं व अपने अंडे से सकती हैं.
पहले, मत्स्य पालन शरणस्थली के नाम से जाने-जाने वाले इस क्षेत्र में, 6 दक्षिण-पूर्वी देशों में फैले, यूनेप द्वारा समर्थित समुद्री अभयारण्य का विशाल जाल स्थित है.
एक प्रमुख उद्योग
नीला तैराक केकड़े से, थाईलैंड की खाड़ी की बैन डॉन बे के मछुआरों की 80 फ़ीसदी आय आती है. 2019 में इस क्षेत्र से लगभग एक करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य की आमदनी हुई थी, जो देश में सर्वाधिक आय वाले स्रोतों में तीसरे स्थान पर थी.
बैन डॉन का उथला पानी, पास के जल स्रोतों से एकत्रित हुई तलछट से भरपूर है, जिससे वो केकड़ों व अन्य समुद्री जीवों के लिए एक आदर्श नर्सरी व आहार स्थल बन गया है. इसमें डूगोंग नामक स्तनधारी जीव भी शामिल है, जो समुद्री घास खाता है.
जहाँ प्रशान्त व भारत महासागर मिलते हैं, थाईलैंड की खाड़ी और पास स्थित चीन सागर, समुद्री जीव-जन्तुओं का हॉट-स्पॉट है. यहाँ लगभग सभी साल क्लैम प्रजातियाँ, समस्त प्रवाल भित्तियाँ और सभी प्रकार की समुद्री घास की एक तिहाई क़िस्में पाई जाती हैं.
यह जल, आवश्यक मत्स्य पालन भी बनाए रखता है, जो इसके तटों पर रहने वाले 27 करोड़ लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इससे, इलाक़े में सालाना 3.7 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद का योगदान मिलता है.
![थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण योजना से, सुथम हिमानी जैसे मछुआरों को आवीजिका अर्जन में ख़ासा लाभ हुआ है. थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण योजना से, सुथम हिमानी जैसे मछुआरों को आवीजिका अर्जन में ख़ासा लाभ हुआ है.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/03-07-2024_GEF_IW_Thailand_3.jpg/image770x420cropped.jpg)
लेकिन आबादी के बढ़ते दबाव के कारण, मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए प्रबल तरीक़े अपनाने पड़े. किसी ने विस्फोटकों व ज़हरीले पदार्थों का उपयोग किया तो अन्य ने समुद्री तल पर भारी-भरकम जाल फैलाए, जिससे उन कमज़ोर समुद्री तलों पर क़हर टूट पड़ा, जो समुद्री जीवों के रहने व खाने के लिए ज़रूर होते हैं.
तटीय आश्रयों के क्षरण समुद्री जैवविविधता को हानि पहुँचती है और तटीय समुदायों का आर्थिक व सामाजिक ताना-बाना बिखर जाता है, जिसे उनका भविष्य ख़तरे में पड़ जाता है.
सुथम हिमानी कहते हैं, "नीला तैराक केकड़ा हमारी आजीविका की कुँजी है. हम, मेरे दादा की पीढ़ी से ही केकड़ा पालन करते आ रहे हैं. मुझे चिन्ता होती है कि अगर हमने अपने तरीक़े नहीं बदले तो अगली पीढ़ी के के लिए क्या बचेगा."
भविष्य में निवेश
बिगड़ती स्थिति को देखते हुए, थाईलैंड के पर्यावरण व मत्स्य पालन मंत्रालय ने, यूनेप की मदद से, बिगड़ते समुद्री आवासों की समस्या का समाधान तलाश करने के लिए, स्थानीय सराकारों, निजी श्रेत्र व तटीय समुदायों के साथ साझेदारी की. इसका उद्देश्य था, तटीय समुदायों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, पारिस्थितिकी सन्तुलन को बहाल करना.
स्थानीय मछुआरों के समूहों व उनके केकड़ा बैंक की नींव को आगे बढ़ाते हुए, बैन डॉन बे में 900 एकड़ का विशाल समुद्री स्थल स्थापित किया गया.
छोटे छेदों वाले जाल जैसे हानिकारक मत्स्य पालन तरीक़ों को ख़त्म किया गया और मछुआरे, जीवों के प्रजनन समय के दौरान अपनी गतिविधियाँ घटाने पर राज़ी हुए.
इस क्षेत्र के मछुआरों ने संकल्प लिया कि केकड़ा शिशुओं के जाल में फँसने पर या तो वो उसे वापस पानी में छोड़ देंगे, या फिर स्थानीय केकेड़ा बैंक में सुक्षा के लिए ले आएँगे.
एक स्थानीय कम्पनी, वीया केकड़ा प्रसंस्करण द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि बाल केकड़ों को 25-30 दिन तक नर्सरी में रखने से उनके ज़िन्दा रहने की सम्भावना 95 फ़ीसदी तक बढ़ जाती है.
![थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण योजना से, मछुआरों को आवीजिका अर्जन में ख़ासा लाभ हुआ है. थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण योजना से, मछुआरों को आवीजिका अर्जन में ख़ासा लाभ हुआ है.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/03-07-2024_GEF_IW_Thailand_4.jpg/image770x420cropped.jpg)
स्थानीय केकड़ा बैंक के मैनेजर, सोमसक मकाथन ने बताया, हम हर महीने लगभग एक लाख केकड़ों को वापस समुद्र में छोड़ते हैं.
उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप, केकड़ों की स्थानीय आबादी में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
यूनेप के नेतृत्व वाली यह पहल, वैश्विक पर्यावरण सुविधा द्वारा वित्त पोषित, व्यापक मत्स्य पालन आश्रय पहल का हिस्सा है.
थाईलैंड के मत्स्य पालन विभाग में समुद्री विशेषज्ञ, प्राउलाई नूटमॉर्न ने बताया कि इसके लिए थाईलैंड में जो सबसे पहला क़दम उठाया गया, वो था, लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव लाकर उन्हें एकमत करना.
नूटमॉर्न ने बताया, “हमें सभी हितधारकों को यह अहसास करवाना पड़ा कि अगर केकड़ों की आबी बहाल नहीं की गई तो उसके हानिकारक आर्थिक नतीजे भुगतने पड़ेंगे. अब वो समझने लगे हैं कि उनका व्यावसायिक मॉडल ख़तरे में है, निजी क्षेत्र भी संरक्षण गतिविधियों को समर्थन दे रहा है और स्थानीय मछुआरों को स्थिरतापूर्ण तरीक़े से मछली पकड़ने में सहयोग दे रहा है.“
योजना का विस्तार
आश्रय स्थल स्थापित करने का दृष्टिकोण दरअसल, मछली पकड़ने पर प्रतिबन्ध लगाने के बजाय, मत्स्य पालन के सतत तरीक़ों का उपयोग करने के कारण सफल हो सका है.
इस परियोजना में मछुआरों को ही उन प्रजातियों का संरक्षक बना दिया गया है, जिन पर उनकी आजीविका निर्भर करती है.
समुद्री जीवों के इन आश्रयस्थलों के उपाय को अब दक्षिणी चीन समुद्री क्षेत्र में जगह-जगह अपनाया जा रहा है.
![थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण परियोजना से, मछुआरों में नया उत्साह भी जागा है. थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण परियोजना से, मछुआरों में नया उत्साह भी जागा है.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/03-07-2024_GEF_IW_Thailand_5.jpg/image770x420cropped.jpg)
UNEP के Fisheries Refugia पहल के साझीदारों ने 6 देशों में 13 लाख प्रजातियों के लिए इस तरह के स्थलों का जाल तैयार किया है – कुल मिलाकर यह क्षेत्र, न्यूयॉर्क से दस गुना बड़ा है.
इसके तहत, ब्लैक टाइगर झींगा मछली, सिगानिड, मैकेरल, ब्लड कॉकल, सपाइनी लॉबस्टर जैसी अनेक प्रजातियों के आवासों की सुरक्षा की जा रही है.
यह परियोजना, दक्षिण-पूर्व एशियाई मत्स्य पालन विकास केन्द्र और कम्बोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, थाईलैंड और वियतनाम की सरकारी एजेंसियों का संयुक्त प्रयास है.
यूनेप में समुद्री व ताज़ा जल विभाग की प्रमुख लैटीशिया कारवालहो ने बताया कि मतस्य पालन उद्योग व पर्वारण मंत्रालयों के बीच यह सहयोग ज़्यादातर दक्षिण-पूर्वी एशिया या उससे परे तक सीमित रहता है, जिसमें संरक्षण व अर्थव्यवस्था को अलग-अलग, प्रतिस्पर्धी मुद्दों की तरह देखा जाता है.
वो कहती हैं, “fisheries refugia दृष्टिकोण, इस अन्तराल को पाटने का अवसर प्रदान करता है. पर्यावरण के संरक्षण के ज़रिए स्थानीय समुदायों का सशक्तिकरण करके, इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि वो इसका कुशलतापूर्वक उपयोग करेंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इसका लाभ उठाने में सक्षम हो.”
पूरे क्षेत्र में नीति सुधार जारी हैं, और 6 देशों ने refugia मॉडल को क़ानून से जोड़कर उसे, समुद्री प्रबन्धन की नींव बनाया है.
कारवालहो कहती हैं, “दक्षिण चीनी समुद्र क्षेत्र से सीखे हुए सबक़, समान चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य इलाक़ों के लिए उदाहरण के रूप में काम करेंगे, जिससे दुनिया भर में मत्स्य पालन व आवास संरक्षण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त होगा.”
सुथम हिमानी व उनके सहयोगी मछुआरों के लिए, दाँव बहुत स्पष्ट हैं. वो आगाह करते हैं, “अगर हमने साथ मिलकर काम नहीं किया तो यह केकड़े दन्तकथा बनकर रह जाएंगे.”
![थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण योजना से, सुथम हिमानी जैसे मछुआरों में नया उत्साह और उम्मीद जागे हैं. थाईलैंड में यूनेप की केकड़ा संरक्षण योजना से, सुथम हिमानी जैसे मछुआरों में नया उत्साह और उम्मीद जागे हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production%20Library/03-07-2024_GEF_IW_Thailand_6.jpg/image770x420cropped.jpg)