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ग़ाज़ा: रफ़ाह से साढ़े तीन लाख लोग विस्थापित, $2.8 अरब की नई सहायता अपील

इसराइली बमबारी में तेज़ी आने की वजह से ग़ाज़ावासी फिर विस्थापित हो रहे हैं.
© UNRWA
इसराइली बमबारी में तेज़ी आने की वजह से ग़ाज़ावासी फिर विस्थापित हो रहे हैं.

ग़ाज़ा: रफ़ाह से साढ़े तीन लाख लोग विस्थापित, $2.8 अरब की नई सहायता अपील

मानवीय सहायता

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने सोमवार को आगाह किया है कि इसराइली बमबारी के कारण पिछले एक सप्ताह में अब तक, क़रीब तीन लाख 60 हज़ार लोग रफ़ाह शहर छोड़कर जा चुके हैं. हिंसा में एक और यूएन मानवीय राहतकर्मी के मारे जाने की ख़बर है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, एक सप्ताह पहले, पूर्वी रफ़ाह में शरण लेने वाले लोगों को इसराइली सेना की ओर से जगह ख़ाली करने के लिए पहली बार आदेश जारी किया गया था.  

इसके बाद अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक लोग दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित रफ़ाह छोड़कर जा चुके हैं. 

UNRWA ने अपने एक ऐलर्ट में बताया है कि मानवीय सहायता पहुँचाने के मार्ग पर पाबन्दियाँ हैं और ग़ाज़ा पट्टी में मौजूदा हालात में यह जीवन व मृत्यु का प्रश्न बन गया है. 

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आम फ़लस्तीनियों को निरन्तर बमबारी का सामना करना पड़ रहा है और खाद्य असुरक्षा बेहद गम्भीर स्तर पर है.

इसराइली सेना ने एक सप्ताह पहले रफ़ाह में अपने आक्रामक अभियान को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया, जिसके तहत ग़ाज़ा स्थित रफ़ाह व केरेम शेलॉम चौकियों पर नियंत्रण कर लिया गया है.

यूएन एजेंसी UNRWA ने ज़ोर देकर कहा है कि मानवीय सहायताकर्मियों और अन्य कर्मचारियों के लिए तत्काल, सुरक्षित मार्ग की आवश्यकता है. वहीं, उत्तरी ग़ाज़ा में स्थित जबालिया शरणार्थी शिविर में झड़पों और बमबारी की ख़बरें मिली हैं.

“बमबारी और जगह ख़ाली करने के अन्य आदेशों से और विस्थापन हुआ है और हज़ारों परिवारों में भय उपजा है. उनके पास जाने के लिए कोई स्थान नहीं है. युद्धविराम के बिना किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं है.”

सहायता धनराशि की अपील

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में अगले आठ महीनों के दौरान 30 लाख लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिए 2.8 अरब डॉलर की अपील की है. 

यूएन मानवतावादी एजेंसी में सहायक महासचिव जॉयस म्सूया ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में जिस रफ़्तार से महिलाओं और बच्चों की जान गई है वह इस सदी में किसी भी अन्य युद्ध की तुलना में अधिक है.

और लड़ाई में अब तक किसी तरह अपनी जान बचाने वाले लोगों को भोजन, सुरक्षित पेयजल, दवाओं व स्वास्थ्य देखभाल की क़िल्लत से जूझना पड़ रहा है.

उन्होंने कुवैत से जानकारी देते हुए बताया कि हर दिन महिलाएँ भयावह परिस्थितियों में बच्चों को जन्म दे रही हैं, अक्सर बमबारी के बीच, बेहोशी की दवा या अन्य दवाओं को दिए बिना.

अधिक प्रयासों की दरकार

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार, पिछले सात महीनों से जारी लड़ाई में अब तक कम से कम 35 हज़ार लोगों की जान गई है. 70 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी घायल या लापता बताए गए हैं. अनेक लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, मानवीय सहायता पर निर्भर लोगों तक तत्काल मदद पहुँचाने की ज़रूरत है और युद्धविराम के अभाव में भी, सही परिस्थितियाँ होने पर काफ़ी कुछ किया जा सकता है.

इस बीच, पश्चिमी तट में स्थित हेब्रान के अल अर्रूब शिविर में फ़लस्तीनी इमारतों को ध्वस्त किए जाने की ख़बरें हैं. 

OCHA के आँकड़ें दर्शाते हैं कि पश्चिमी तट में इस वर्ष अब तक 435 ढाँचों को ढहाया जा चुका है, जिसकी वजह से 824 लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं.