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ओटावा वार्ताओं के बाद, प्लास्टिक सन्धि की दिशा में ठोस प्रगति

दुनिया भर में प्लास्टिक उत्पादन और प्रयोग, क़ाबू से बाहर होता जा रहा है जिससे ख़तरनाक स्तर पर प्रदूषण फैल रहा है. यूएन एजेंसियाँ इससे निपटने में मदद कर रही हैं.
UN News/ Brianna Rowe
दुनिया भर में प्लास्टिक उत्पादन और प्रयोग, क़ाबू से बाहर होता जा रहा है जिससे ख़तरनाक स्तर पर प्रदूषण फैल रहा है. यूएन एजेंसियाँ इससे निपटने में मदद कर रही हैं.

ओटावा वार्ताओं के बाद, प्लास्टिक सन्धि की दिशा में ठोस प्रगति

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम – UNEP ने बताया है कि दुनिया भर में प्लास्टिक के प्रयोग और उसकी मौजूदगी को कम करने के लिए, विश्व की पहली सन्धि की दिशा में इस सप्ताह कैनेडा में हुए सम्मेलन में ख़ासी प्रगति हुई है.

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यह सम्मेलन कैनेडा के ओटावा में गत सोमवार को सम्पन्न हुआ और यह सन्धि वर्ष 2025 में हो जाने की सम्भावना है.

ग़ौरतलब है कि प्लास्टिक का प्रयोग 1950 के दशक में शुरू हुआ था और उसके बाद से अभी तक दुनिया भर में लगभग 9 अरब 20 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन हो चुका है, जिसमें से लगभग 7 अरब टन प्लास्टिक कूड़े-कचरे के रूप में फेंक दिया गया है.

इस समय हर वर्ष लगभग 43 करोड़ टन प्लास्टिक कूड़ा-करकट उत्पन्न होता है और यह आँकड़ा वर्ष 2060 तक तीन गुना हो जाने की सम्भावना है.

कैनेडा की राजधानी ओटावा में, सोमवार को सम्पन्न हुई इस बैठक में 170 देशों के ढाई हज़ार से अधिक प्रतिनिधियों ने शिरकत की. 

बैठक में प्लास्टिक के उत्पादन, प्रयोग, उसके निपटान और रीसायकलिंग के बारे में, नए वैश्विक नियमों के बारे में चर्चा हुई.

प्रगति और पड़ाव

प्रतिनिधियों ने प्रस्तावित सन्धि के मसौदे पर विचार-विमर्श करते हुए, कार्बन उत्सर्जन, उत्पादन, अपशिष्ट प्रबन्धन, और वित्त पर ध्यान केन्द्रित किया. 

दक्षिण कोरिया के बूसान में होने वाले बातचीत के अगले दौर में, एक क़ानूनी मसौदा समूह गठित किया जाएगा.

नवम्बर (2024) में मसौदा आलेख का जायज़ा लिया जाएगा और वर्ष 2025 के मध्य तक, ये सन्धि हस्ताक्षरों के लिए तैयार हो जाने की आशा है.

इस सन्धि के लिए वार्ता समिति सचिवालय की कार्यकारी सचिव ज्योति माथुर-फ़िलिप ने कहा, “इस पड़ाव तक पहुँचने में, 18 महीनों की महत्वाकांक्षी समय सीमा और चार सत्र लगे हैं, और हम अब बूसान के रास्ते पर मज़बूती के साथ आगे बड़ रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “बातचीत के इस अग्रिम स्तर पर समायोजन और प्रतिबद्धता मज़बूत हैं.”

ज्योति माथुर-फ़िलिप ने ज़ोर देकर कहा कि यह प्रक्रिया, “आगामी पीढ़ियों को प्लास्टिक प्रदूषण के प्रकोप और अभिशाप से बचाने के लिए” बहुत महत्वपूर्ण है.