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कॉप15: युवजन का नेतृत्व और न्याय की चाहत, ‘आशा के सर्वश्रेष्ठ संकेत’

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के माँट्रियाल में यूएन जैव विविधता सम्मेलन कॉप15 में, युवाओं के साथ बातचीत करते हुए.
UN Photo/Evan Schneider
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के माँट्रियाल में यूएन जैव विविधता सम्मेलन कॉप15 में, युवाओं के साथ बातचीत करते हुए.

कॉप15: युवजन का नेतृत्व और न्याय की चाहत, ‘आशा के सर्वश्रेष्ठ संकेत’

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने मौजूदा वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को, नैतिक दीवालिया क़रार देते हुए इसकी आलोचना की है और कैनेडा के माँट्रियाल में, यूएन जैवविविधता सम्मेलन कॉप15 के लिए एकत्र युवजन से, न्याय की ख़ातिर आगे बढ़ने की पुकार लगाई है, ताकि तमाम देश, विशेष रूप से विकासशील दुनिया को, जैव विविधता हानि को रोकने और इनसानों व प्रकृति के दरम्यान सन्तुलन बहाल करने के लिए दरकार उपकरण हासिल हो सकें.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, कॉप15 के दौरान मंगलवार को, वैश्विक युवजन जैवविविधता नैटवर्क और अन्य युवा संगठनों द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में कहा, “जैव विविधता से परे, जलवायु से परे, आज की दुनिया में एक केन्द्रीय सवाल भी है और वो है – न्याय. हम एक ऐसी व्यवस्था में रहते हैं जहाँ आर्थिक नियम और वित्तीय ढाँचा, दोनों ही नैतिक रूप से दीवालिया हैं.”

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जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन के लिए पक्षों के 15वाँ सम्मेलन - कॉप15 19 दिसम्बर तक चलेगा, और इसमें अगले दशक के दौरान, जैव विविधता व पारिस्थितिकी के संरक्षण, सुरक्षा, बहाली और टिकाऊ प्रबन्धन पर, एक रोडमैप अपनाए जाने की अपेक्षा है.

यूएन महासचिव ने युवजन से मुख़ातिब होते हुए कहा, “प्रकृति के विरुद्ध युद्ध से निपटने में आप लोगों का नेतृत्व, आशा का सर्वश्रेष्ठ संकेत हैं कि ये युद्ध लड़ने के लायक़ है और ये भी कि हमारी जीत की सम्भावना मौजूद है.”

“युवजन मानवता की बहाली के युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर डटे हुए हैं... यहाँ तक कि जब सरकारें स्थिति को गम्भीरता से लेने में झिझकती हैं, तो युवजन सक्रिय रहते हैं.”

उन्होंने कहा कि दुनिया के युवजन, सिविल सोसायटी और कारोबारी समुदाय को ये समझाने में सक्रिय हैं कि पासा पलटने का यही सटीक लम्हा है. “प्रकृति के साथ शान्ति स्थापित करने का यही क्षण है."

"यही लम्हा यह विचार करने का है कि जैव विविधता और जलवायु, हमारे दौर के दो अति महत्वपूर्ण मुद्दे हैं और ये दो ऐसे संघर्ष हैं जिनमें हम अपनी हार नहीं देख सकते.”

विशाल सुधारों की ज़रूरत

यूएन महासचिव ने कहा कि हम जिस दुनिया में रहते हैं वो बहुत अन्यायपूर्ण है: उदाहरण के लिए (कोविड-19 महामारी के दौरान) वैक्सीन के टीकों का वितरण बहुत भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण रूप में हुआ. न्यूयॉर्क जैसे शहर में लोगों को दो टीके लग गए थे, और कुछ लोगों को तीन टीके लगे. मगर अफ़्रीकी महाद्वीप में अब भी विशाल आबादी ऐसी है जिन्हें अभी पहला टीका भी नहीं लग सका है.

उन्होंने कहा कि साथ ही ये बात भी है कि चूँकि विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएँ ठोस हैं, तो उन्होंने उन्होंने महामारी से उबरने में मदद के लिये... ट्रिलियन डॉलर के बराबर अपनी मुद्रा की उपलब्धता बढ़ाई.

विकासशील देश अपनी मुद्रा की उपलब्धता नहीं बढ़ा सकते, क्योंकि अगर वो ऐसा करेंगे तो उनकी मुद्रा की क़ीमत नीचे जाएगी. इसलिए विकासशील देशों को महामारी से उबरने में विशालकाय कठिनाइयाँ हुईं, जिनके कारण शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र, रोज़गार और जीवन के अन्य क्षेत्र प्रभावित हुए, और उन देशों भारी क़र्ज़ भी लेना पड़ा.

यूएन प्रमुख ने कहा, “हमें ये कहने में समर्थ बनना पड़ेगा कि एक ऐसी - ज़्यादा समान आर्थिक और वित्तीय व्यवस्था बनाने के लिए, विशाल सुधारों की आवश्यकता है, जिसमें विकासशील देशों को अपने नागरिकों को, विकसित देशों में प्रौद्योगिकी के लाभों जैसी गारंटी देने के अवसर उपलब्ध हों.”

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के माँट्रियाल में, यूएन जैव विविधता सम्मेलन - कॉप15 में युवजन के साथ संवाद करते हुए.
UN Photo/Evan Schneider
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के माँट्रियाल में, यूएन जैव विविधता सम्मेलन - कॉप15 में युवजन के साथ संवाद करते हुए.