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 यूएन महासभा ने 2012 में एक प्रस्ताव पारित करके फ़लस्तीन को ग़ैर सदस्य पर्यवेक्षक राष्ट्र का दर्जा दिया. (फ़ाइल)

संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीन का दर्जा व पूर्ण सदस्यता - कुछ अहम तथ्य

UN Photo/Rick Bajornas
यूएन महासभा ने 2012 में एक प्रस्ताव पारित करके फ़लस्तीन को ग़ैर सदस्य पर्यवेक्षक राष्ट्र का दर्जा दिया. (फ़ाइल)

संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीन का दर्जा व पूर्ण सदस्यता - कुछ अहम तथ्य

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण रूप से सदस्य देश बनने के लिए फ़लस्तीन को किन शर्तों को पूरा करना होगा? ग़ाज़ा पट्टी में तबाही लाने वाले युद्ध के बीच सुरक्षा परिषद में इस विषय पर चर्चा हो रही है. एक नज़र यूएन में फ़लस्तीन के मौजूदा दर्जे और पूर्ण सदस्य बनने के लिए ज़रूरी अहर्ताओं व प्रक्रियाओं पर...

फ़लस्तीन का मौजूदा दर्जा

फ़िलहाल, फ़लस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई पर्यवेक्षक राष्ट्र का दर्जा प्राप्त है, जिससे संगठन की सभी प्रक्रियाओं में इसकी भागेदारी स्वीकृत है. हालांकि, यूएन के मुख्य अंगों व निकायों में लिए जाने वाले महत्वपूर्ण निर्णयों और प्रस्तावों के मसौदों पर मतदान की अनुमति नहीं है.

इनमें सुरक्षा परिषद से लेकर महासभा और छह प्रमुख समितियाँ हैं.

फ़लस्तीन ने 2 अप्रैल को यूएन महासचिव के पास एक पत्र भेजा, जिसमें संगठन की सदस्यता के लिए फ़लस्तीनी आवेदन पर नए सिरे से विचार किए जाने का अनुरोध किया गया था.

इस सिलसिले में, फ़लस्तीन ने पहली बार 2011 में आवेदन दाख़िल किया था. 

फ़लस्तीन के नवीनतम अनुरोध के बाद, यूएन प्रमुख ने इस पत्र को सुरक्षा परिषद को सौंप दिया, जिसके बाद 8 अप्रैल को एक बैठक में इस पर चर्चा हुई.

इससे पहले, सितम्बर 2011 में फ़लस्तीनी राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए आवेदन व सदस्यता के अनुरोध को तत्कालीन यूएन प्रमुख ने सुरक्षा परिषद व महासभा को भेज दिया था.

सुरक्षा परिषद के प्रक्रिया नियमों के अनुरूप, इस मामले को नए सदस्यों की भर्ती पर समिति को सुपुर्द किया गया, जहाँ सदस्यों ने विचार किया, मगर इस अनुरोध को स्वीकृति दिए जाने पर सर्वसहमति नहीं बन सकी.

यूएन में फ़लस्तीन के लिए स्थाई पर्यवेक्षक रियाद मन्सूर.
UN Photo/Evan Schneider
यूएन में फ़लस्तीन के लिए स्थाई पर्यवेक्षक रियाद मन्सूर.

यूएन का सदस्य देश बनने की क्या प्रक्रिया है

यूएन में किसी नए सदस्य को शामिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद के बीच समझौता ज़रूरी है.

यूएन सदस्यता के लिए कोई भी आवेदन पहले महासचिव के पास आता है, जिसे फिर सुरक्षा परिषद और महासभा को बढ़ा दिया जाता है.

15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद की प्रासंगिक समिति चर्चा के बाद, 193 सदस्य देशों वाली महासभा में नए सदस्य की भर्ती की अनुशन्सा किए जाने या ना किए जाने के सम्बन्ध में निर्णय लेती है.

इस प्रक्रिया के बारे में यूएन चार्टर में भी बताया गया है, जहाँ यूएन सदस्यता उन सभी शान्तिप्रिय देशों के लिए खुली हुई है, जोकि चार्टर में उल्लिखित दायित्वों को स्वीकार करें और उनका निर्वहन करने के लिए तैयार व सक्षम हों.

सुरक्षा परिषद ऐसे प्रस्तावों पर मतदान कर सकती है, और इस स्थिति में कम से कम 9 सदस्यों का उसके पक्ष में होना ज़रूरी है. साथ ही, ऐसा तभी हो सकता है, जब सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों में से किसी ने भी प्रस्ताव के विरोध में वीटो अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया हो.

नए सदस्यों की भर्ती पर समिति

सुरक्षा प्रक्रिया में प्रक्रिया नियमों के नियम 59 के तहत, सुरक्षा परिषद द्वारा ऐसे मामलों को नए सदस्यों की भर्ती के लिए समिति को सौंप दिया जाता है. इस समिति की 8 अप्रैल, 11 अप्रैल को दो बार बैठक हो चुकी है.

वर्ष 2011 में समिति के सदस्यों ने दो महीने तक चली बैठकों के दौरान फ़लस्तीन के इस अनुरोध पर चर्चा की थी, मगर वे सर्वमत से सुरक्षा परिषद को परामर्श प्रदान करने की स्थिति में नहीं थे. 

कुछ सदस्य देशों ने इस अनुरोध का समर्थन किया, मगर अन्य ने कुछ और विकल्प दिए जैसेकि महासभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया जाना, जिसमें फ़लस्तीन को एक पर्यवेक्षक देश का दर्जा दिया गया हो.

इस समिति द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें. 

इसराइली प्रतिनिधिमंडल के सदस्य यूएन महासभा कक्ष में अपने स्थानों पर बैठ रहे हैं. उस समय इसराइल को यूएन में 59वें सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया था.
UN Photo/Albert Fox
इसराइली प्रतिनिधिमंडल के सदस्य यूएन महासभा कक्ष में अपने स्थानों पर बैठ रहे हैं. उस समय इसराइल को यूएन में 59वें सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया था.

विश्व निकाय में मतदान

सुरक्षा परिषद से सकारात्मक सिफ़ारिश मिलने के बाद, यूएन महासभा की भूमिका शुरू होती है.

स्वीकृति दिए जाने की स्थिति में, जैसाकि 1948 में इसराइल व अन्य वर्षों में दक्षिण सूडान (2011) समेत दूसरे देशों को दी गई, महासभा द्वारा एक प्रस्ताव के मसौदे को तैयार किया जाता है.

परिषद की सिफ़ारिश मिल जाने के बाद, यूएन महासभा में इस विषय पर मतदान होता है, जिसमें सभी 193 सदस्य देश हिस्सा लेते हैं. 

पूर्ण सदस्यता का दर्जा 

वर्ष 1945 में यूएन की स्थापना के बाद से अब तक 100 से अधिक सदस्य देशों को संगठन में भर्ती किया गया है, जिसके लिए महासभा में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है. 

एक बार प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद, नए सदस्य को आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र में शामिल कर लिया जाता है.

यूएन महासभा हॉल में फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास (स्क्रीन पर) मतदान से पहले प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे हैं.
UN Photo/Rick Bajornas
यूएन महासभा हॉल में फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास (स्क्रीन पर) मतदान से पहले प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे हैं.

सदस्यता के तौर पर यूएन बैठकों में हिस्सा लेना, वार्षिक बक़ाया धनराशि का भुगतान करना, संगठन के समक्ष प्रस्तुत होने वाले सभी मुद्दों पर मतदान करना. 

नए सदस्य का ध्वज, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय और विश्व भर में यूएन कार्यालयों में अन्य देशों के झंडों के साथ लगाया जाता है.

ग़ैर-सदस्य स्थाई पर्यवेक्षक दर्जा

फ़लस्तीन के मामले में, औपचारिक अनुरोध के एक वर्ष 2012 में यूएन महासभा ने उसे ग़ैर-सदस्य स्थाई पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में मान्यता दिए जाने का निर्णय लिया.

उस समय तक केवल वेटिकन का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘होली सी’ (Holy See) को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त था.

एक स्थाई पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में, फ़लस्तीन का ध्वज यूएन मुख्यालय में लहराता है, हालांकि इसे अन्य सदस्य देशों के झंडों से थोड़ा अलग रखा गया है, और यह वर्णमाला के आधार पर क्रमबद्ध नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र के जिनीवा कार्यालय में फ़लस्तीन के ध्वज को फहराया जा रहा है. (फ़ाइल)
UN Photo/Jean Marc Ferré
संयुक्त राष्ट्र के जिनीवा कार्यालय में फ़लस्तीन के ध्वज को फहराया जा रहा है. (फ़ाइल)