2024 को शिक्षा के लिए, रूपान्तरकारी बदलाव का साल बनाने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने कहा है कि अच्छी शिक्षा, भावी पीढ़ियों के लिए आशा का एक प्रतीक है और इसलिए सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में रूपान्तरकारी बदलाव लाने की ज़रूरत है.
यूएन उपप्रमुख ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में गुरूवार को योरोपीय संघ द्वारा शिक्षा पर एक उच्चस्तरीय बैठक क सम्बोधित करते हुए यह बात कही.
उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी में हिंसा की चपेट में आए बच्चों को श्रृद्धांजलि अर्पित की, जो पिछले छह महीने से पढ़ाई-लिखाई से वंचित हैं. ग़ाज़ा युद्ध के दौरान अब तक 212 स्कूलों पर सीधे हमला हो चुका है.
उपमहासचिव मोहम्मद ने कहा कि ग़ाज़ा और स्थानीय बच्चों के लिए रौशनी ख़त्म हो गई है. और इसलिए एक ऐसा संकल्प लिया जाना होगा, जिससे वहाँ बच्चों और आम लोगों के लिए फिर से प्रकाश की व्यवस्था की जा सके.
“शिक्षा ही आशा है. शिक्षा ही भविष्य है.”
संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक शिक्षा संकट की पृष्ठभूमि में, सितम्बर 2022 में शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलाव लाने के इरादे से एक शिखर बैठक का आयोजन किया था, जिसकी नींव पर इस वर्ष कई अहम बैठकें हो रही हैं.
कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व भर में 90 फ़ीसदी से अधिक बच्चे अपनी कक्षाओं में पढ़ाई-लिखाई से दूर हो गए थे, जिसे एक बड़े संकट के रूप में देखा गया.
विश्व नेता सितम्बर 2024 में, भविष्य की शिखर बैठक के दौरान एक नई अन्तरराष्ट्रीय सहमति गढ़ने के लिए एकजुट होंगे.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने इस समिट के दौरान शिक्षा के मुद्दे पर दो विशिष्ट नतीजों की महत्ता को रेखांकित किया.
“पहला, हमें विश्व नेताओं से यह स्पष्ट समर्थन चाहिए कि शिक्षा में आमूल-चूल बदलाव और निवेश की आवश्यकता, एक वैश्विक अनिवार्यता है.”
“दूसरा, हमें ऐसे मुद्दों पर असाधारण प्रगति की ज़रूरत है, जोकि शिक्षा के लिए अहम हैं. इनमें अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण तंत्र में सुधार, डिजिटल सहयोग को मज़बूती और शान्ति के लिए नया एजेंडा भी है.”
शिक्षा, एक मानवाधिकार
उन्होंने कहा कि अतिरिक्त उपायों के बिना, 8.4 करोड़ बच्चों और युवाओं के वर्ष 2030 तक स्कूली कक्षाओं के दायरे से बाहर रह जाने की आशंका है. वहीं, 30 करोड़ छात्रों को बुनियादी और ज़रूरी, गणना व साक्षरता कौशल हासिल नहीं होंगे.
उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने ध्यान दिलाया कि शिक्षा एक बुनियादी मानवाधिकार है. “शिक्षा में निवेश, हमारे साझा भविष्य, शान्ति, टिकाऊ विकास और विशेष रूप से लैंगिक समानता में महानतम निवेश है.”
उनके अनुसार, विश्व भर में समकालीन शिक्षा प्रणालियाँ अनेक चुनौतियों से जूझ रही हैं, जिनमें शिक्षा सुलभता, समता, प्रासंगिकता और डिजिटल असमानता समेत ऐसी कई कठिनाइयाँ हैं, जिनकी वजह से अरबों लोग पीछे छूट सकते हैं.
“मैं जानती हूँ कि हम 2024 को, शिक्षा के लिए बदलाव का एक मोड़ बना सकते हैं. आइए, हम काम पर लग जाएं.”
यूएन उपमहासचिव ने अपनी ब्रसेल्स यात्रा के दौरान ‘स्पॉटलाइट’ नामक पहल के प्रशासकीय निकाय की बैठक की अध्यक्षता भी है, जोकि महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन पर लक्षित प्रयास है.
इसे योरोपीय संघ और अन्य हितधारकों के साथ साझेदारी में शुरू किया गया है, और इसका उद्देश्य महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा के सभी रूपों से निपटना है.