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एक करोड़ से ज़्यादा बच्चों को नहीं मिल पाएगा स्कूल

बहुत सारे बच्चों को परिवार की आमदनी के लिए कामकाज करना पड़ता है जिससे वो स्कूली शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. (2017)
© UNICEF/Frank Dejongh
बहुत सारे बच्चों को परिवार की आमदनी के लिए कामकाज करना पड़ता है जिससे वो स्कूली शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. (2017)

एक करोड़ से ज़्यादा बच्चों को नहीं मिल पाएगा स्कूल

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक संगठन (यूनेस्को) ने शुक्रवार को नए आंकड़े जारी किए हैं जो दर्शाते हैं कि तत्काल कार्रवाई के अभाव में लगभग एक करोड़ 20 लाख बच्चे कभी स्कूल नहीं जा पाएंगे. लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज़्यादा बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ोले ने कहा, “हमारे अनुमानों के मुताबिक़ प्राइमरी स्कूल जाने की उम्र की 90 लाख लड़कियां कभी स्कूल नहीं जाएंगी या कक्षा में क़दम नहीं रखेंगी.” लड़कियों की तुलना में ऐसे लड़कों की संख्या सिर्फ़ 30 लाख है.

स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या पर नज़र यूनेस्को का सांख्यिकी संस्थान (यूआईएस) रखता है और उसके अनुसार पिछले एक दशक में कुछ ख़ास प्रगति देखने को नहीं मिली है.

वर्ष 2018 में छह से 17 साल की उम्र के 25 करोड़ से ज़्यादा बच्चे, किशोर और युवा स्कूल नहीं जा पा रहे थे.

तीन दशकों से चले आ रहे संघर्ष से अफ़ग़ानिस्तान की शिक्षा प्रणाली तबाह हो गई है.

इन आंकड़ों से सभी के लिए समावेशी और गुणवत्तापरक शिक्षा मुहैया कराने के रास्ते में आने वाली दिक़्कतों का पता चलता है.

यह टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर आधारित 2030 एजेंडा का एक अहम लक्ष्य है.

साथ ही इन आंकड़ों से संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक संगठन (यूनेस्को) के उन अनुमानों की भी पुष्टि होती है जिनके मुताबिक़ वर्ष 2030 तक हर छह में से एक बच्चा प्राथमिक या माध्यमिक स्कूल नहीं जा पाएगा.

ताज़ा विश्लेषण से विश्व के सबसे अमीर और ग़रीब देशों के बीच अंतर भी रेखांकित किया गया है.

उदाहरण के तौर पर, निम्न आय वाले देशों में छह से 11 वर्ष की उम्र के 19 फ़ीसदी बच्चे स्कूल से बाहर हैं, जबकि उच्च आय वाले देशों में सिर्फ़ 2 फ़ीसदी बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं.

बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ यह अंतर और ज़्यादा गहरा होता जाता है.

निम्न आय वाले देशों में 15 से 17 वर्ष की उम्र के 61 फ़ीसदी बच्चों को स्कूली शिक्षा नहीं मिल रही है वहीं अमीर देशों में यह आंकड़ा महज़ आठ फ़ीसदी है.

यूआईएस की निदेशक सिल्विया मोंतोया ने बताया, “अपने वादे को पूरा करने और हर बच्चे की स्कूल और पढ़ाई तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए हमारे पास सिर्फ़ 11 साल हैं. लेकिन नए आंकड़े दर्शाते हैं कि ख़राब गुणवत्ता और सुलभता की कमी की तस्वीर साल दर साल नहीं बदल रही है.”

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि तेज़ी से कार्रवाई करके और निवेश बढ़ाकर इस स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है.

“हमें हर एक सरकार से वास्तविक संकल्प की आवश्यकता है, जिसे संसाधनों का सहारा हासिल हो ताकि काम पूरा किया जा सके.”

यूआईएस की ओर से इन आंकड़ों को न्यूयॉर्क में यूएन महासभा के वार्षिक सत्र से एक सप्ताह पहले जारी किया गया है ताकि वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में प्रगति के प्रयासों की समीक्षा और धन का इंतज़ाम हो सके.

महत्वाकांक्षी लक्ष्यों और वास्तविक स्थिति के बीच बड़ा अंतर दर्शाता है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने और इस विषय में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा के लिए सटीक आंकड़ों का होना अहम होगा.