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काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य: 'हमारी आँखों के सामने घटित हो रही है मानवीय आपदा'

UNICEF ने डीआर काँगो में दक्षिणी किवू प्रान्त में एक महिला को मोबाइल प्रदान किया है ताकि उन्हें नक़दी हस्तांतरण किया जा सके.
© UNICEF/Jospin Benekire
UNICEF ने डीआर काँगो में दक्षिणी किवू प्रान्त में एक महिला को मोबाइल प्रदान किया है ताकि उन्हें नक़दी हस्तांतरण किया जा सके.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य: 'हमारी आँखों के सामने घटित हो रही है मानवीय आपदा'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि बिन्टू कैटा ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में हाल ही में चुनाव सम्पन्न होने के बाद से हालात बद से बदतर हुए हैं और कई प्रान्तों में असुरक्षा गहरा रही है.

विशेष प्रतिनिधि कैटा, डीआरसी के लिए यूएन शान्तिरक्षा मिशन (MONUSCO) की प्रमुख भी हैं, और उन्होंने चेतावनी जारी की है कि देश में इंसानी आपदा हमारी आँखों के सामने घटित हो रही है.

डीआरसी में 70 लाख से अधिक लोग विस्थापित हैं, जिसकी वजह एम23 और एडीएफ़ नामक सशस्त्र गुटों का पूर्वी प्रान्तों, उत्तरी किवू, दक्षिणी किवू और इतुरी में सक्रिय होना है.

बिन्टू कैटा के अनुसार डीआरसी में अवैध रूप से मौजूद विदेशी सैन्य बलों को वापिस लौटना होगा, और राष्ट्रीय व विदेशी हथियारबन्द गुटों को भी हथियार त्यागने की ज़रूरत है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि सुरक्षा परिषद ने इसे कई बार दोहराया है, और अफ़्रीकी संघ की शान्ति व सुरक्षा परिषद ने भी इस विषय में एक वक्तव्य जारी किया था. 

यूएन की शीर्ष अधिकारी ने सुरक्षा परिषद में अपनी नवीनतम MONUSCO रिपोर्ट प्रस्तुत की जोकि पिछले तीन महीनों के दौरान डीआरसी में राजनैतिक, सुरक्षा, मानवाधिकारों की स्थिति पर केन्द्रित है.

बिन्टू कैटा ने कहा कि व्यवस्था सम्बन्धी चुनौतियों के बावजूद, दिसम्बर 2023 में राष्ट्रपति, राष्ट्रीय और प्रान्तीय चुनाव मोटे तौर पर शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुए. 

राष्ट्रपति फ़ेलिक्स त्शिसेकेडी ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुए हैं और उन्होंने सुरक्षा व प्रतिरक्षा व्यवस्था में सुधार को अपनी प्राथमिकताओं में गिनाया है. नई सरकार के गठन के मुद्दे पर बातचीत जारी है.

बढ़ता तनाव और अत्याचार 

मगर, दिसम्बर चुनावों के बाद से पूर्वी डीआसी में सुरक्षा हालात बद से बदतर हुए हैं. एम23 नामक हथियारबन्द गुट ने तेज़ी से अपने नियंत्रण वाले इलाक़े में विशाल विस्तार किया है.

इससे बेहद चिन्ताजनक मानवीय स्थिति उपजी है और देश की सीमाओं के भीतर विस्थापन रिकॉर्ड संख्या को छू रहा है.

बताया गया है कि डीआरसी और रवांडा के बीच क्षेत्रीय तनाव की पृष्ठभूमि में अंगोला ने मध्यस्थता के लिए प्रयास किए हैं, और उत्तरी किवू में दक्षिणी अफ़्रीका मिशन की तैनाती शुरू की गई है.

एम23 हथियारबन्द गुट के कारण मौजूदा संकट पर काफ़ी ध्यान गया है. बिन्टू कैटा ने कहा कि अन्य गुटों द्वारा भी अत्याचारों को अंजाम दिया जा रहा है, विशेष रूप से उत्तरी किवू और इतुरी में. इस साल की शुरुआत से अब तक 200 लोगों की जान गई है.

बिन्टू कैटा ने कहा कि इतुरी प्रान्त में पसरी असुरक्षा के लिए मुख्य तौर पर चार गुट ज़िम्मेदार हैं. दक्षिणी किवू में भी तनाव उभर रहा है, जिसकी वजह हथियारबन्द गुट और अन्तर-सामुदायिक टकराव है.

एम23 नामक गुट की मौजूदगी की अफ़वाह बार-बार फैलने और हिंसक टकराव उत्तरी किवू से दक्षिणी किवू तक पहुँचने से परिस्थितियाँ और जटिल हो गई हैं. 

विशेष प्रतिनिधि ने बताया कि आम नागरिकों की रक्षा करने के लिए MONUSCO और काँगो सैन्य बलों ने इतुरी और उत्तरी किवू में अपना साझा अभियान जारी रखा है और ‘स्प्रिंगबोक’ नामक प्रतिरक्षा अभियान को समर्थन दिया है ताकि उत्तरी किवू की राजधानी गोमा में सुरक्षा की जा सके.

विस्थापन की लहर 

बिन्टू कैटा ने मौजूदा मानवीय हालात का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तरी किवू में एम23 नामक गुट की हिंसा और इतुरी व दक्षिणी किवू में हथियारबन्द सशस्त्र संघर्ष के कारण परिस्थितियाँ बिगड़ी है. 

यूएन मानवतावादी कार्यालय (UNOCHA) ने बताया कि तीन महीने पहले सुरक्षा परिषद में उनके पिछले सम्बोधन के बाद से अब तक आठ लाख लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं. इससे विस्थापितों की कुल संख्या बढ़कर 71 लाख पहुँच गई है.  

विशेष प्रतिनिधि के अनुसार डीआरसी में हर चार में से एक व्यक्ति, यानी 2.34 करोड़ लोग भूख और कुपोषण का सामना कर रहे हैं.

घरेलू विस्थापितों का गोमा व उसके आस-पास के इलाक़ों में पहुँचना जारी है. पिछले महीने तक, इसी शहर में विस्थापितों के लिए 104 स्थल चिन्हित किए गए थे, जहाँ सवा छह लाख से अधिक लोगों ने शरण ली है.

लिंग-आधारित हिंसा और यौन शोषण के मामले भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गए हैं. जनवरी 2024 में क़रीब साढ़े दस हज़ार लिंग-आधारित हिंसा के मामले देश भर में दर्ज किए गए.

बिन्टू कैटा ने कहा कि डीआरसी में ज़रूरतमन्दों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए 2.6 अरब डॉलर की योजना तैयार की गई थी, जिसमें फ़िलहाल 14 प्रतिशत का ही प्रबन्ध हो पाया है.