वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां
इंडोनेशिया के रियाउ में स्थित वन में आग लगने से हुआ नुक़सान.

वनों में आग लगने की घटनाओं की रोकथाम, पथ प्रदर्शक की भूमिका में इंडोनेशिया

© UN Indonesia
इंडोनेशिया के रियाउ में स्थित वन में आग लगने से हुआ नुक़सान.

वनों में आग लगने की घटनाओं की रोकथाम, पथ प्रदर्शक की भूमिका में इंडोनेशिया

जलवायु और पर्यावरण

विश्व भर में हर साल सात करोड़ हेक्टेयर वन, आग लगने की घटनाओं से प्रभावित होता है, जिससे बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय और आर्थिक क्षति होती है. इस वर्ष 21 मार्च को ‘अन्तरराष्ट्रीय वन दिवस’ के अवसर पर, एक नज़र इंडोनेशिया में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में लागू की गई एक पहल पर, जिसके ज़रिये वनों में आग लगने की घटनाओं में कमी लाने, आजीविकाओं की रक्षा करने और हानिकारक उत्सर्जन में कटौती करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

मार्लिज़ार, आग लगने की घटनाओं पर क़ाबू पाने के लिए स्वैच्छिक रूप से सक्रिय हैं. वर्ष 2019 में वह अपनी नियमित गश्त पर थे जब उन्होंने बड़े पैमाने पर ‘पीटलैंड’ (peatland) में धुँए को सुलगते हुए देखा.

‘पीटलैंड’ से तात्पर्य आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र से हैं, जहाँ दलदल युक्त परिस्थितियों के कारण पौधे पूरी तरह से सड़ या अपघटित नहीं हो पाते हैं.  

यहाँ से धुँआ निकलते देखने के बाद, उन्होंने अपने सहकर्मियों को सात किलोमीटर दूर स्थिति रियाउ प्रान्त के तेलुक मरान्ती गाँव के शिविर में रवाना किया, ताकि वे जल्द से जल्द आग बुझाने के लिए एक पाइप ला सकें.

उनके वापिस आने तक 42 वर्षीय मार्लिज़ार ने अकेले ही आग का सामना किया और लपटों को पेड़ की एक शाखा से बुझाने का प्रयास किया. साथ ही, उन्होंने आपदा प्रबन्धन एजेंसी को सूचित कर दिया.

अनुभव से उन्होंने सीखा है कि धुँए को साँस लेते समय निगलने से किस तरह बचना है. “उस समय मेरे मन में यही विचार था कि मैं आग को फैलने से किस तरह रोक सकता हूँ.”

मार्लिज़ार के साहसिक प्रयासों के बावजूद, आग की लपटों ने एक घंटे के भीतर पाँच हेक्टेयर भूमि को अपनी चपेट में ले लिया. पानी के पाइप को लाने में क़रीब दो घंटे लग गए, जिसके स्पीड बोट के ज़रिये, अनेक अग्निशमन कर्मचारियों के कंधे पर लादकर लाया गया था. 

तब तक जहाँ तक देखा जा सकता था, आग वहाँ तक फैल चुकी थी.

इसके बाद अगले कुछ हफ़्तों तक, तेलुक मेरान्ती के स्कूलों, हवाई अड्डों और सरकारी कार्यालयों को बन्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा, चूँकि धुँए के कारण हवा में साँस लेना मुश्किल हो गया था.

मार्लिज़ार, आग लगने की घटनाओं पर क़ाबू पाने के लिए सक्रिय स्वैच्छिक कार्यकर्ता.
UNIC Jakarta

अरबों डॉलर की क्षति

वर्ष 2019 में, इंडोनेशिया में जंगलों में आग लगने की घटनाओं से 31 लाख हेक्टेयर जल कर खाक हो गया, जोकि आकार में बेल्जियम से भी बड़ा है. धुँए भरी धुन्ध से छह अन्य देश प्रभावित हुए और वातावरण में  60 करोड़ टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड फैल गई.

नौ लाख से अधिक लोगों ने श्वसन तंत्र सम्बन्धी समस्याओं से पीड़ित होने की शिकायत की. विश्व बैन्क के अनुसार, आग लगने की वजह से इंडोनेशिया को 5.2 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ. इससे पहले 2015 में इससे भी बड़े पैमाने पर आग लगने की घटना में 16 अरब डॉलर की क्षति हुई थी.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, अभी इससे भी बदतर हालात का सामना करने की आशंका बरक़रार है.

यूएन एजेंसी का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक, विश्व भर में वनों में आग लगने की घटनाओं में 14 प्रतिशत की वृद्धि होने की सम्भावना है, जिसकी वजह जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में आने वाले बदलाव हैं.

मगर, इंडोनेशिया में, यूएन पर्यावरण कार्यक्रम के नेतृत्व में आग प्रबन्धन पर केन्द्रित एक पायलट परियोजना शुरू की गई है, जोकि अमेरिकी दानदाता संगठन USAID द्वारा वित्त पोषित है.

वर्ष 2021 के बाद से अब तक, इसके ज़रिये आग लगने की घटनाओं की दृष्टि से सम्वेदनशील देश के तीन ज़िलों में बेहतर बचाव व्यवस्था तैयार करने में मदद मिली है.

इस योजना के तहत भूमि प्रबन्धन के लिए इलाक़ा-आधारित (cluster-based) तौर-तरीक़ों को अपनाया जाता है. इसमें आग पर क़ाबू पाने के लिए स्थानीय समुदायों के ज्ञान, सरकारी एजेंसियों की पहुँच और इंडोनेशिया की निजी कम्पनियों के संसाधनों को एक साथ लाया गया है.  

इस परियोजना का उद्देश्य समुदायों, सरकार और भूमि का निजी तौर पर इस्तेमाल करने वाले पक्षों के बीच आपसी समन्वय को प्रोत्साहन देना है. इसके अनुभवों का लाभ उन देशों तक पहुँच सकता है, जोकि वनों में आग की चुनौती से जूझ रहे हैं. 

यूएन पर्यावरण एजेंसी के कार्यक्रम अधिकारी योहान किएफ़ ने बताया कि वनों में आग लगने से बड़े पैमाने पर मानवीय, पर्यावरणीय और आर्थिक क्षति पहुँचती है, और इसलिए उन्हें फैलने से रोकना सभी के हित में है.

“इंडोनेशिया ने वनों की कटाई को रोकने और कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए महत्वाकाँक्षी लक्ष्य स्थापित किए हैं. आग लगने के जोखिम को घटाना, इसे हासिल करने का एक अहम अंग है.”

ऐर्नावती एक पूर्व वॉलन्टियर हैं, जो रियाउ के तेलुक मरान्ती में स्थानीय किसानों का नेतृत्व करती हैं.
UNIC Jakarta
ऐर्नावती एक पूर्व वॉलन्टियर हैं, जो रियाउ के तेलुक मरान्ती में स्थानीय किसानों का नेतृत्व करती हैं.

लपटों पर क़ाबू पाना

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने आग की रोकथाम के लिए इन क्लस्टर्स को 2021 में स्थापित करना शुरू किया.

इस पायलट परियोजना का पहला ज़िला मध्य कलीमन्तान पुलांग पिसाउ था, जहाँ 2022 के शुष्क मौसम के दौरान आग लगने की दृष्टि से कोई सम्वेदनशील स्थान (हॉटस्पॉट) नहीं पाया गया. 

रियाउ के पेलालावन ज़िले में आग लगने की घटनाएँ, 2021 में 139 से घटकर 2022 में 88 तक पहुँच गई. 

दक्षिणी सुमात्रा के ओगन कोमेरिंग इलिर ज़िला, इस परियोजना का तीसरा क्षेत्र है, जहाँ आग लगने की घटनाएँ, 345 से घटकर 109 तक रह गई हैं.

पायलट परियोजना को आरम्भिक चरण में तीन ज़िलों में लागू किया गया था, और इन परिणामों के बाद इसका विस्तार करते हुए इसे छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में लागू किए जाने की योजना है, जिन्हें फिर राष्ट्रव्यापी स्तर पर लागू किया जाएगा.

वनों के क्षेत्रफल की दृष्टि से ब्राज़ील और काँगो लोकतांत्रिक जनगणराज्य के बाद इंडोनेशिया, विश्व में तीसरे स्थान पर है, मगर औद्योगिकीकरण और कृषि उत्पादन के कारण वन आच्छादित क्षेत्र में कमी आई है.

समन्वित प्रयास

सैकड़ों किलोमीटर तक, वनों के कोलाहल और विविधता का स्थान अब दूर-दूर तक फैले हुए और एक जैसे नज़र आने वाले ताड़ के पेड़ों, सफ़ेद रबड़ के पेड़ों ने ले लिया है. 

रियाउ के पेलालावन ज़िले में 14 कम्पनियाँ सक्रिय हैं. इनमें APRIL क़ाग़ज़ और लुग्दी बनाने वाली एक बड़ी कम्पनी है, जिसके बाद डेढ़ लाख वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है. 

APRIL कम्पनी में अग्नि व आपात प्रतिक्रिया विभाग के उपप्रमुख युनेल्डी ने बताया कि पेलालावन में आग लगने की अधिकाँश घटनाएँ कम्पनी की ज़मीन के बजाय, स्थानीय समुदायों के इलाक़ों में ज़्यादा होती हैं. 

मगर, यदि कम्पनी के इलाक़े से बाहर भी कभी आग फैलती है तो APRIL अपने संसाधन, उपकरण, और कर्मचारियों को प्रभावित इलाक़े के लिए रवाना कर देती है ताकि पुलिस व सैन्य बल को मदद दी जा सके.

सैटेलाइट तस्वीरों और वास्तविक समय में मौसम की निगरानी के लिए उपकरण, APRIL कम्पनी के पास जिस तरह के संसाधन मौजूद हैं, वो मार्ज़िलार जैसे सामुदायिक कार्यकर्ताओं को उपलब्ध नहीं हैं. 

संसाधनों की उपलब्धता में पसरी इन दूरियों की वजह से ही, यूएन पर्यावरण कार्यक्रम ने समन्वित उपायों को अपनाया है, और एकीकृत रणनीति तैयार की है ताकि सभी प्रभावितों को मदद पहुँचाई जा सके.

तेलुक मरान्ती में, समुदाय आधारित जागरूकता प्रयासों का लाभ नज़र आने लगा है. ऐसे संकेत चिन्ह लगाए गए हैं, जिनमें मछुआरों और पक्षी पकड़ने वालों को सिगरेट के टुकड़े फेंकने से मना करने, खाना बनाने के लिए आग जलाने के प्रति सतर्क किया गया है. 

साथ ही, किसानों को सूखे हुए पीटलैंड जलाने में निहित जोखिमों के प्रति भी आगाह किया गया है.