
कॉप26: 2030 तक वनों की पुनर्बहाली का लक्ष्य, 100 से अधिक देशों ने जताई प्रतिबद्धता
कॉप26 जलवायु सम्मेलन के दौरान, विश्व नेताओं की शिखर बैठक के दूसरे दिन, वन संरक्षण व पुनर्बहाली के लिये एक अहम प्रतिज्ञा की आधिकारिक घोषणा की गई है. इसके साथ ही, सार्वजनिक व निजी सैक्टर के पक्षकारों ने जलवायु परिवर्तन, जैविविधता लुप्त होने, भुखमरी और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिये संकल्प व्यक्त किये हैं.
संयुक्त राष्ट्र का 26वाँ वार्षिक जलवायु सम्मेलन, 31 अक्टूबर से 12 नवम्बर तक, स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में आयोजित हो रहा है.
मंगलवार को, कॉप26 बैठक कक्ष को, हरे रंग से प्रकाशमान किया गया था और वहाँ चिड़ियों के चहचहाने व पत्तियों की सरसराहट की आवाज़ें सुनी जा सकती थीं, जोकि विशालकाय वीडियो स्क्रीन और स्पीकर से आ रही थीं.
As world leaders commit to halt and reverse deforestation by 2030 at #COP26, find out more about the global effort to save the world’s forests. We are #BetterWithForests https://t.co/T1gAGZzUFH
UNEP
इस माहौल में देशों के प्रतिनिधि भी इत्मीनान के साथ बैठे दिखाई दिये, मानो वो भी स्वच्छ हवा में साँस लेने में आनन्दित महसूस कर रहे हों.
समारोह की प्रमुख सैण्ड्रीन डिक्सन-डिक्लेव ने कहा, “आज एक ऐतिहासिक दिवस होने जा रहा है, हम तय करने जा रहे हैं कि हम दुनिया के फेफड़ों का किस तरह संरक्षण कर सकते हैं.”
उन्होंने ‘वन एवं भूमि इस्तेमाल’ नामक विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रतिभागियों का स्वागत किया, जिसके बाद सर डेविड ऐटनबरॉ द्वारा वर्णित एक फ़िल्म स्क्रीन पर चलाई गई.
“हम वनों को नष्ट करके, जैवविविधता और अपने जीवन को हानि पहुँचा रहे हैं...वन ताज़ा पानी प्रदान करते हैं, जिस हवा में हम साँस लेते हैं, उसे साफ़ करते हैं, आध्यात्मिक मूल्य को प्रेरित करते हैं, और हमें भोजन प्रदान करते हैं.”
विशाल उपक्रम
उन्होंने कहा कि अब वनों की पुनर्बहाली की शुरुआत की जानी होगी, जोकि एक विशाल उपक्रम है और जिसके लिये हर एक देश को अपनी एक अलग तैयारी करनी होगी.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंच पर आकर घोषणा करते हुए बताया कि कम से कम 110 देशों ने महत्वपूर्ण ‘COP26 Glasgow Leaders Declaration on Forests and Land Use’ घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये हैं.
इन देशों के पास, पृथ्वी पर वन क्षेत्र की 85 प्रतिशत हिस्सेदारी है और अब उन्होंने वर्ष 2030 तक वनों की कटाई रोकने और उन्हें पुनर्बहाल किये जाने का संकल्प लिया है.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के मुताबिक़ चीन, रूस और ब्राज़ील ने भी इस वादे को पूरा करने की बात कही है, जोकि रोज़गार सृजन के समानान्तर अवसर पैदा कर सकता है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बॉलसोनारो सहित अन्य नेताओं ने भी इस प्रतिज्ञा को अपना समर्थन दिया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने एक ट्वीट सन्देश में सचेत किया, “घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करना आसान है. यह अतिआवश्यक है कि अब इसे आमजन व पृथ्वी के लिये लागू किया जाए.”
घोषणापत्र के अहम बिन्दु
इस घोषणापत्र के ज़रिये, नेताओं ने वन और पृथ्वी-सम्बन्धी अन्य पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण के लिये साझा प्रयासों को मज़बूत बनाने और उनकी पुनर्बहाली की गति तेज़ करने का वादा किया है.
साथ ही, अन्तरराष्ट्रीय व घरेलू स्तर पर टिकाऊ व्यापार और विकास नीतियों की सुगमता को बढ़ावा दिया जाएगा.
घोषणापत्र के मसौदे में आदिवासियों सहित स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाए जाने पर ज़ोर दिया गया है और कृषि नीतियों में भुखमरी कम करने वाले और पर्यावरण के लिये लाभकारी फेरबदल का लक्ष्य रखा गया है.
इस प्रतिज्ञा को पूरा किये जाने के लिये वित्त पोषण अहम होगा.
इस क्रम में, नेताओं ने वित्तीय लेनदारी को, वन हानि व क्षरण से निपटने के प्रयासों के अनुरूप बनाए जाने का वादा किया है, जिसे हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिये नीतियाँ सुनिश्चित करते हुए आगे बढ़ा जाएगा.
पिछले एक दशक में, वन रक्षा, संरक्षण और टिकाऊ कृषि के बजाय उन्हें नुक़सान पहुँचाने वाली विनाशकारी भूमि-इस्तेमाल के तौर-तरीक़ों के लिये 40 गुना धनराशि उपलब्ध कराई गई है.
टिकाऊ व्यापार व उत्पादन
इस प्रतिबद्धता पर 30 से अधिक वित्तीय संस्थाओं ने भी हस्ताक्षर किये हैं, जोकि आठ हज़ार 700 अरब डॉलर मूल्य सम्पत्तियों की देखरेख करती हैं.
अब ये संस्थाएँ, वनों के लिये ज़्यादा जोखिम वाले निवेशों के बजाय टिकाऊ उत्पादन पर केन्द्रित कार्यक्रमों में निवेश पर आगे बढ़ेंगी.

इण्डोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने बोरिस जॉनसन के साथ मिलकर घोषणा की है कि 28 देश टिकाऊ व्यापार को बढ़ावा देने वाली कार्रवाई पर सहमत हुए हैं.
इन देशों का समूह, वनों को नुक़सान पहुँचाने वाले अहम उत्पादों में वैश्विक व्यापार के 75 फ़ीसदी को प्रदर्शित करता है, जैसेकि ताड़ का तेल और कोको.
वन, कृषि एवं वस्तु व्यापार कार्रवाई रोडमैप, मुख्य उत्पादक व उपभोक्ता देशों की सरकारों के बीच एक साझेदारी है, जिसके ज़रिये वनों में कटाई और कृषि वस्तुओं में सम्बन्ध को तोड़ने का प्रयास किया जाएगा.
काँगो बेसिन प्रतिज्ञा
कॉप26 के सह-मेज़बानों ने काँगो बेसिन प्रतिज्ञा भी पेश की गई, जिस पर 10 से अधिक देशों, बेज़ोस पृथ्वी कोष और योरोपीय संघ ने हस्ताक्षर किये हैं.
इसके तहत वनों, जलमय भूमि और कार्बन सोखने वाले अन्य पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा के लिये डेढ़ अरब डॉलर की राशि जुटाई जाएगी.
यह कार्यक्रम, 12 अरब डॉलर की नई वैश्विक वन वित्त पोषण प्रतिज्ञा का भी हिस्सा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इसे इतिहास में जलवायु कार्रवाई के लिये सार्वजनिक कोष वाले, सबसे बड़े सामूहिक संकल्प क़रार दिया है.
जैफ़ बेज़ोस सहित निजी सैक्टर के वादे
ऐमेज़ोन कम्पनी के संस्थापक जैफ़ बेज़ोस ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा, “प्रकृति सुन्दर है, मगर यह नाज़ुक भी है.”
उन्होंने यह बात, ब्लू ओरिजिन के साथ अन्तरिक्ष की यात्रा करने पर महसूस की. ऐमेज़ोन के प्रमुख ने बताया कि पृथ्वी को अन्तरिक्ष से देखना आपके नज़रिये को बदल देता है.
उन्होंने, अपने Bezos Earth Fund के ज़रिये प्रकृति की पुनर्बहाली और खाद्य प्रणालियों की कायापलट कर देने वाले के लिये अतिरिक्त दो अरब डॉलर मुहैया कराने का संकल्प लिया है.
इस कोष के तहत, उन्होंने सितम्बर में पहले ही एक अरब डॉलर का संकल्प लिया था.

अन्य पहलें
मंगलवार को तीन अन्य बड़ी पहलों को भी पेश किया गया है:
ऐमेज़ोन, सेराडो और चाचो के लिये नवाचारी वित्त पोषण (IFACC) ने दक्षिण अमेरिका में वनों की पुनर्बहाली को गति देने करने और वनों को नुक़सान पहुँचाए बिना, सोया व मवेशी उत्पादन के लिये तीन अरब डॉलर की घोषणा की है.
टिकाऊ बाज़ारों के लिये पहल प्राकृतिक पूंजी निवेश गठबन्धन (NCIA) ने प्राकृतिक पूंजी में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिये, 12 नए सदस्यों और योजनाओं की घोषणा की है. इसके ज़रिये वर्ष 2022 के अन्त तक निजी पूंजी में 10 अरब डॉलर की धनराशि जुटाई जाएगी.
कार्बन उत्सर्जन में कटौती के ज़रिये वनों के लिये त्वरित वित्त पोषण (LEAF) पर केन्द्रित गठबन्धन की मदद से, सार्वजनिक और निजी कोष के लिये एक अरब डॉलर की शुरुआती धनराशि का प्रबन्ध किया जाएगा.
इस गठबन्धन में Delta, PWC, Airbnb, Unilever जैसी कई बड़ी कम्पनियाँ शामिल हैं.
इसके ज़रिये वनों की कटाई से होने वाले उत्सर्जन में सफलतापूर्वक कमी लाने वाले देशों को वित्तीय समर्थन दिया जाएगा.
निवेश के केन्द्र में प्रकृति
इन सभी निवेशों की घोषणाओं व संकल्पों के समर्थन में विश्व बैंक सहित नौ बहुपक्षीय विकास बैंक ने एक साझा बयान जारी किया है, जिसमें प्रकृति को निवेश योजनाओं की मुख्यधारा व देशों के साथ नीति सम्वाद में शामिल किये जाने की प्रतिबद्धता जताई गई है.
विश्व भर में, डेढ़ अरब से ज़्यादा लोग अपनी आजीविका के लिये वनों पर निर्भर हैं. आदिवासी समुदायों को विश्व के 36 फ़ीसदी वनों के रक्षक के रूप में देखा जाता है.
विश्व के विभिन्न हिस्सों से अनेक आदिवासी नेताओं ने ग्लासगो में वन व भूमि इस्तेमाल पर हुए संकल्पों पर अपनी प्रतिक्रिया में साक्ष्यों को परखे जाने की बात कही है.
ऐमेज़ोन बेसिन में आदिवासी संगठनों में समन्वयक तुनतियाक कटाक ने बताया कि अगर प्रस्तावित घोषणा का 80 फ़ीसदी भी, भूमि अधिकारों और आदिवासी व स्थानीय समुदायों को समर्थन देने पर निर्देशित किया जाता है, तो प्राकृतिक संसाधनों को तबाह करने वाले मौजूदा रुझानों की दिशा को पलटा जा सकेगा.