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रूस: विपक्षी नेता ऐलेक्सई नवालनी की जेल में मौत पर गहरा क्षोभ

ऐलेक्सई नवालनी, 20 फ़रवरी 2021 को मॉस्को की एक अदालत में पेशी के दौरान.
© Evgeny Feldman
ऐलेक्सई नवालनी, 20 फ़रवरी 2021 को मॉस्को की एक अदालत में पेशी के दौरान.

रूस: विपक्षी नेता ऐलेक्सई नवालनी की जेल में मौत पर गहरा क्षोभ

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने शुक्रवार को रूस में विपक्षी नेता ऐलेक्सई नवालनी की जेल में मौत होने की ख़बर पर स्तब्धता व क्षोभ प्रकट किया है. उन्होंने इस मामले की एक निष्पक्ष व पारदर्शी ढंग से स्वतंत्र जाँच कराए जाने की अपील की है.

समाचार माध्यमों के अनुसार, 47 वर्षीय ऐलेक्सई नवालनी को उनके बेहोश होने के बाद फिर नहीं उठाया जा सका. मीडिया माध्यमों ने बताया कि गुरूवार को वह एक वीडियो के ज़रिये कोर्ट में पेश हुए थे.

वह पिछले लगभग दो दशकों से भ्रष्टाचार-विरोधी मुखर कार्यकर्ता और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के आलोचक के रूप में सक्रिय रहे और अनेक अवसरों पर विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया.

वर्ष 2020 में उन्हें कथित रूप से नोवीचॉक नामक ज़हर दिए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यह एक ऐसा नर्व एजेंट है जिसे रूस ने शीत युद्ध के दौरान विकसित किया था.

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यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रोसेल ने जिनीवा से बताया कि यदि राजसत्ता की हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत होती है, तो इसकी ज़िम्मेदारी राजसत्ता की मानी जाती है. 

“एक ऐसी ज़िम्मेदारी, जिसे केवल एक स्वतंत्र निकाय द्वारा की गई निष्पक्ष, पारदर्शी जाँच के द्वारा ही नकारा जा सकता है.”

उन्होंने रूस से ऐसी विश्वसनीय जाँच प्रक्रिया को सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. 

संरक्षण की पुकार

यूएन कार्यालय का कहना है कि जिन व्यक्तियों को उनकी स्वाधीनता से वंचित किया गया हो, राजसत्ता के लिए उनके जीवन की रक्षा करने का दायित्व बढ़ जाता है.

इस क्रम में, उन्होंने रूप से सभी विपक्षी राजनीतिज्ञों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों समेत अन्य लोगों का उत्पीड़न बन्द करने का अनुरोध किया.

लिज़ थ्रोसेल ने कहा कि वे सभी लोग जिन्हें अपने मानवाधिकारों का इस्तेमाल करने के मामलों में जेल में बन्द किया गया है, उनकी तत्काल रिहाई और उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों को वापिस लिया जाना चाहिए.

मानवाधिकार प्रवक्ता ने ध्यान दिलाया कि अन्य देशों की तरह, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत रूस का यह दायित्व है कि आज़ादी से वंचित किए गए व्यक्तियों के जीवन की रक्षा की जाए.

इसके लिए व्यापक स्तर पर, स्वतंत्र जाँच कराई जानी होगी और शव का पूर्ण रूप से पोस्टमॉर्टम कराया जाना ज़रूरी है.

कई आरोपों में घिरे

ऐलेक्सई नवालनी पर कई आरोप लगाए थे, वर्ष 2021 में उन्हें गिरफ़्तार किया गया था और अगस्त महीने में चरमपंथ के आरोप लगाए गए थे, और सज़ा मिलने के बाद वह जेल में बन्द थे. 

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों और हिरासत में रखे जाने पर बार-बार गम्भीर चिन्ताएँ व्यक्त की.

पिछले वर्ष अगस्त महीने में, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बताया कि ऐलेक्सई नवालनी को 19 साल जेल की सज़ा सुनाए जाने से न्यायिक उत्पीड़न के बारे में सवाल खड़े होते हैं.

साथ ही, रूस में राजनैतिक मक़सद के लिए न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग किए जाने की आशंका पर चिन्ता व्यक्त की थी और उनकी रिहाई की मांग की थी. 

रूस में विपक्षी नेता ऐलेक्सई नवालनी की गिरफ़्तारी के विरोध में प्रदर्शन. (फ़ाइल फ़ोटो)
Unsplash/Kirill Zharkoy
रूस में विपक्षी नेता ऐलेक्सई नवालनी की गिरफ़्तारी के विरोध में प्रदर्शन. (फ़ाइल फ़ोटो)

जबरन गुमशुदगी

पिछले वर्ष दिसम्बर में, रूस में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएन की विशेष रैपोर्टेयर मरियाना कात्ज़ारोवा ने एक ऐलर्ट जारी किया था, जिसमें उन्होंने ऐलेक्सई नवालनी की जबरन गुमशुदगी पर चिन्ता जताई थी. 

उस समय 10 दिन बीत जाने के बाद भी उनके बारे में कोई सूचना नहीं मिल पाई थी. बताया गया है कि ऐलेक्सई नवालनी को दिसम्बर के अन्तिम दिनों में इस जेल में स्थानान्तरित किया गया था, जहाँ उनकी मौत हुई है.

यातना मामलों पर यूएन की विशेष रैपोर्टेयर ऐलिस एडवर्ड्स ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के कई स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने निजी व सार्वजनिक तौर पर रूसी सरकार से आग्रह किया था कि जिन दंडात्मक परिस्थितियों में नवालनी को रखा गया है, उसका अन्त किया जाना होगा.

उन्होंने ऐलेक्सई नवालनी को यातना दिए जाने के विश्वसनीय आरोपों की जाँच कराए जाने का आग्रह किया था और कहा कि तथाकथित रूप से ज़हर दिए जाने के बाद उन्हें उपचार की आवश्यकता है.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. 

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. 

ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.