वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

शहरी कार्बन उत्सर्जन में कमी करते हुए, शीतलन के नुस्ख़े

दुनिया भर में एयरकंडीशनिंग और फ़्रिज जैसे शीतलन उपकरणों का, जलवायु परिवर्तन में, विशाल हिस्सा है.
© Unsplash/Sergei A
दुनिया भर में एयरकंडीशनिंग और फ़्रिज जैसे शीतलन उपकरणों का, जलवायु परिवर्तन में, विशाल हिस्सा है.

शहरी कार्बन उत्सर्जन में कमी करते हुए, शीतलन के नुस्ख़े

जलवायु और पर्यावरण

वर्ष 2050 तक शीतलन उपकरणों की वैश्विक स्थापित क्षमता तीन गुनी होने के अनुमान हैं, जिनके संचालन पर बिजली की खपत भी दोगुनी से अधिक होने का अनुमान है. ऐसे में, वातावरण ठंडा रखने के लिए ऊर्जा की बेइन्तहा खपत करने वाले वाताकूलन उपकरणों (Air conditioners) के मुक़ाबले, निष्क्रिय शीतलन के कुछ विकल्पों पर बात...

शीतलन यानि वातावरण को ठंडा रखने के तरीक़े, जलवायु पर दोहरा बोझ हैं: शीतलन करने वाली मशीनें यानि (Air Conditioners) और रैफ़्रिजिरेटर में बिजली की खपत से कार्बन का अप्रत्यक्ष उत्सर्जन और रैफ़्रिजरेंट गैसों के निकलने से प्रत्यक्ष उत्सर्जन होता है, जिनमें से अधिकांश उत्सर्जन, पृथ्वी ग्रह को गर्म करने की अधिक क्षमता रखते हैं. 

2050 तक, मानवता अगर, जलवायु-परिवर्तनकारी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को, गम्भीरता के साथ कम नहीं करती है, तो लगभग 1,000 शहरों में, गर्मियों के मौसम में औसत तापमान 35 डिग्री सेल्सियस रहेगा. शहरों की ये संख्या, वर्तमान संख्या से लगभग तीन गुना होगी. इस उच्च तापमान के सम्पर्क में आने वाली शहरी आबादी भी, 800 प्रतिशत तक बढ़ सकती है, जो सदी के मध्य तक एक अरब 60 करोड़ तक पहुँचने की अपेक्षा है.

यूनेप ने दिसम्बर 2023 में, ‘Cool Coalition’ के हिस्से के रूप में, 80 से अधिक साझीदारों को जोड़ने वाला एक वैश्विक नैटवर्क Nature for Cool Cities Challenge  शुरू किया था. इसका उद्देश्य विश्व को तेज़ी से कुशल एवं जलवायु-अनुकूल शीतलन उपायों की ओर ले जाना है. यहाँ, कार्बन उत्सर्जन बढ़ाए बिना, लोगों को ठंडक देने में मदद करने वाले पाँच शीतलन विकल्प दिए गए हैं...

बुर्कीना फ़ासो के स्कूल में पारम्परिक तकनीकों से शीतलन व्यवस्था

बुर्कीना फ़ासो के कौडौगौ शहर के धूल भरे बाहरी इलाक़े में स्थित, स्कॉर्ज सेकेंडरी स्कूल एक ऐसा उदाहरण है, जो  स्पष्ट करता है कि पारम्परिक तकनीकों और नई सामग्रियों के मेल से, क्या-कुछ नवीन सम्भव हो सकता है. 

स्कूल में केन्द्रीय प्रांगण के चारों ओर व्यवस्थित नौ तकनीकी इकाइयाँ, केन्द्रीय स्थान को हवा और धूल से बचाती हैं. प्रत्येक इकाई स्थानीय रूप से प्राप्त विशेष ईंटों से बनाया गया है, जो दिन के दौरान गर्मी को अवशोषित करती है और रात में इस गर्मी को छोड़ती हैं. स्थानीय यूकेलिप्टस वृक्ष की लकड़ी से बना एक अग्रिम हिस्सा, पारदर्शी कपड़े की तरह कक्षा-कमरों के चारों ओर लपेटा जाता है, जिससे छात्रों को दिन के उच्च तापमान से बचाने के लिए छाया मिलती है.

बहुत से देशों में, गर्मी के मौसम में, ठंडक हासिल करने के लिए, इस तरह के खुले और हरित स्थान भी विकसित किए जा रहे हैं. यह सियोल का एक नज़ारा है.
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भारत में सफ़ेद छतें बचा रही हैं जीवन

भारत के अहमदाबाद शहर ने, वर्ष 2010 की तीव्र गर्मी के बाद, तापलहर से बचाने के लिए एक योजना बनाई. इसके तहत, कम आय वाले लगभग 7 हज़ार घरों की छतों को सफ़ेद रंग से रंगा गया. यह एक छोटा सा उपाय था, जो सूरज की रौशनी को प्रतिबिम्बित करके, अन्दर के तापमान को नाटकीय रूप से कम करने में सहायक साबित हुआ. 

शहर में पेड़ भी लगाए गए और जनता को निशुल्क पानी उपलब्ध कराया, जिससे प्रति वर्ष अनुमानित 1,100 लोगों की जान बचने की उम्मीद है. अहमदाबाद ने भारत के 30 अन्य शहरों के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया, जहाँ अब समान शीतलन योजनाएँ विकसित की जा रही हैं.

मालदीव में गर्मी से बचने के लिए छाया और इंसुलेशन की ओर रुख़ 

मालदीव जलवायु संकट में सबसे अग्रिम स्थान पर है. समुद्र के बढ़ते स्तर और बढ़ते तापमान ने, निचले स्तर पर स्थित इस देश को तबाह करके रख दिया है. यूनेप, मालदीव के पर्यावरण मंत्रालय के साथ मिलकर, यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि देश के निवासी बिजली की खपत बढ़ाए बिना, वातावरण को किस तरह ठंडा रह सकते हैं. 

स प्रयास का केन्द्रबिन्दु है - अड्डू शहर में मालदीव मौसम विज्ञान सेवा भवन का निर्माण. यूनेप के दिशानिर्देशों के आधार पर विकसित इस भवन में, तापमान को कम रखने के लिए छाया, इंसुलेशन जैसे तरीक़ों का उपयोग करके, निष्क्रिय शीतलन उपायों पर बल दिया गया है.

कम्बोडिया में भवन निर्माण मानकों से गर्मी से राहत 

कम्बोडिया में, वर्ष 2020 और 2040 के बीच इमारतों में शीतलन उपायों की मांग दोगुनी होने की अपेक्षा है. यूनेप और एशिया व प्रशान्त के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग ((UN ESCAP), उस प्रवृत्ति का मुक़ाबला करने के लिए दो भवन निर्माताओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. 

ये साझीदार, इंसुलेशन, छाया और छतों के आकार व रूपों जैसे निष्क्रिय शीतलन उपायों की प्रभावशीलता का परीक्षण कर रहे हैं. अन्ततः परियोजना का लक्ष्य है - राष्ट्रीय भवन नियमों और शहरी नियोजन मानकों में सबसे सफल रणनीतियों को एकीकृत करना, जिससे इमारत में रहने वालों को गर्मी से राहत देते हुए, शीतलन के लिए ऊर्जा की माँग को कम किया जा सके.

कोरिया गणराज्य में एक जल धारा की पुनर्बहाली से शीतलन

सियोल के केन्द्र में स्थित 11 किमी लम्बी चेओंगगीचियोन नहर, 2005 तक विभिन्न रास्तों वाली दो सड़कों के नीचे छिपी हुई थी. फिर स्थानीय सरकार ने बुनियादी ढाँचे को तोड़कर, इस नहर की धारा को पुनर्जीवित किया. इससे शहर का तापमान बढ़ाने वाला द्वीप प्रभाव कम हो गया. 

पास में स्थित समानान्तर सड़क के मुक़ाबले, इस जल धारा के पास तापमान 3.3°C से 5.9°C तक कम हो गया है. यह परियोजना शहरी तापमान पर प्राकृतिक समाधानों के गहरे प्रभाव को दर्शाती है.

Global Cooling Watch के बारे में अधिक जानकारी यहाँ देखी जा सकती है.