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भारत: पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली अपनाने के लिये 'लाइफ़ आन्दोलन'

विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत ने अनेक यूएन एजेंसियों व अन्य भागीदारों के साथ मिलकर, LiFE आन्दोलन शुरू किया है, जिसका मक़सद - सतत उत्पादन व टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देने के समाधानों का विस्तार करना है.
Press Information Bureau, India
विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत ने अनेक यूएन एजेंसियों व अन्य भागीदारों के साथ मिलकर, LiFE आन्दोलन शुरू किया है, जिसका मक़सद - सतत उत्पादन व टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देने के समाधानों का विस्तार करना है.

भारत: पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली अपनाने के लिये 'लाइफ़ आन्दोलन'

जलवायु और पर्यावरण

भारत ने अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व स्थानीय सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देकर, लोगों व समुदायों में जलवायु-अनुकूल व्यवहार-परिवर्तन लाने वाले समाधान पेश करने के लक्ष्य से, संयुक्त राष्ट्र की अनेक एजेंसियों की साझेदारी में LiFE नामक एक आन्दोलन शुरू किया गया है. इसके लिये लोगों, विश्वविद्यालयों, चिन्तकों, ग़ैर-लाभकारी संस्थाओं आदि को जलवायु सम्बन्धी, पारम्परिक एवं अभिनव उत्कृष्ट प्रथाएँ व समाधान पेश करने के लिये जलवायु-अनुकूल उत्पादन व रोज़गार-सृजन को बढ़ावा देने के लिये आमंत्रित किया गया है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 5 जून को, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये, 'पर्यावरण-उचित जीवन शैली आन्दोलन' यानि LiFE का शुभारम्भ किया.

इस शुरुआत के साथ ही, ‘LiFE Global Call for Ideas and Papers’ भी शुरू हुआ, जिसमें दुनिया भर से व्यक्तियों, विश्वविद्यालयों, थिंक टैंक, ग़ैर-लाभकारी व अन्य लोगों को ऐसे उत्कृष्ट जलवायु-अनुकूल व्यवहार परिवर्तन समाधान प्रस्तुत करने के लिये आमंत्रित किया जा रहा है, जिनका विस्तार किया जा सके.

नरेन्द्र मोदी ने इस मौक़े पर कहा कि समय की आवश्यकता है कि टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने वाले मानव-केन्द्रित, सामूहिक प्रयासों और मज़बूत कार्रवाई से, पृथ्वी के सामने मौजूद इस संकट का सामना किया जाए.

कॉप26 में पनपा विचार 

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LiFE अभियान का यह विचार, भारत के प्रधानमंत्री ने 2021 में ग्लासगो में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) के दौरान पेश किया था.

इसमें, पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली को बढ़ावा देने और 'बिना सोचे-समझे संसाधन ख़र्च करने व फ़िजूलख़र्ची' करने के बजाय, 'सावधानीपूर्वक व उचित उपयोग' पर ध्यान केन्द्रित करने के उपायों का विस्तार किया जाएगा.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने कहा, “LiFE का दृष्टिकोण - एक ऐसी जीवन शैली अपनाना है, जो हमारे ग्रह के अनुरूप हो और इसे नुक़सान न पहुँचाए. ऐसी जीवन शैली जीने वालों को "ग्रह के अनुकूल लोगों" का दर्जा दिया जाता है."

"मिशन LiFE, अतीत से प्रेरणा लेकर, वर्तमान में कार्रवाई करके, भविष्य पर ध्यान केन्द्रित करता है. ‘रिड्यूस, रीयूज़ और री-सायकिल’ (Reduce, Reuse & Recycle) हमारे जीवन की मूल अवधारणाएँ हैं. चक्रीय अर्थव्यवस्था, हमारी संस्कृति और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग रही है.”

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत का वन क्षेत्र बढ़ रहा है और शेरों, बाघों, तेन्दुओं, हाथियों और गैण्डों की आबादी भी बढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से स्थापित बिजली क्षमता के 40% तक पहुँचने की भारत की प्रतिबद्धता निर्धारित समय से 9 साल पहले हासिल कर ली गई है.

पैट्रोल में 10% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य, नवम्बर 2022 की समय सीमा से 5 महीने पहले हासिल कर लिया गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार अक्षय ऊर्जा पर बहुत अधिक ध्यान दे रही है और आगे का रास्ता, नवाचार व खुलेपन का है. महात्मा गांधी द्वारा कार्बन-शून्य जीवन शैली अपनाने का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि जब तकनीक और परम्परा का मेल होगा तो जीवन का यह दृष्टिकोण और आगे बढ़ेगा.

साझीदारों की भूमिका अहम

यह मिशन, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र, विश्व संसाधन संस्थान, सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन केन्द्र (CSBC) और बिल एण्ड मैलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन (BMGF) के साथ साझेदारी में शुरू किया है.

इस वर्चुअल कार्यक्रम में मौजूद, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संस्थान (UNEP) की विश्व प्रमुख,  इंन्गेर एण्डरसन ने कहा, "हम एक तिहरे ग्रह संकट से जूझ रहे हैं: जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि, और प्रदूषण व अपशिष्ट. ये संकट दशकों के अन्धाधुन्ध एवं असतत उपभोग व उत्पादन का परिणाम हैं. हम किस तरह जीते और उपभोग करते हैं, और यह बहुत मायने रखता है.” 

उन्होंने कहा, “मैं भारत के प्रधानमंत्री द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर लाइफ़ आन्दोलन की शुरूआत का स्वागत करती हूँ, क्योंकि हर व्यक्ति और हर देश को ग्रह के लिये नेतृत्व करने की आवश्यकता है. भारत, एक अरब से अधिक लोगों का घर और नवीन उद्यमियों की एक बड़ी तादाद होने के कारण, वैश्विक पर्यावरणीय कार्रवाई का केन्द्र है. मैं इसमें आपके सफल होने की कामना करती हूँ क्योंकि जब भारत हाथ बढ़ाता है, तो पूरी दुनिया की नज़र उसपर होती है और वे उसका अनुसरण करते हैं.”

वहीं, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रशासक, एख़िम स्टाईनर ने भारत के इस क़दम की सराहना करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र, देशों और समुदायों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम कर रहा है, ताकि मानव विकास को आगे बढ़ाते हुए, हमारी प्राकृतिक दुनिया को कार्बन-रहित बनाने व बहाल करने में मदद मिल सके. भारत जैसे देश, विश्व मंच पर जलवायु कार्रवाई के पीछे की शक्ति के रूप में कार्य कर रहे हैं. इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन, आपदा सहनसक्षम बुनियादी ढाँचा गठबन्धन और ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ जैसे कार्य शामिल हैं, जिनका उद्देश्य है - वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा को आपस में जोड़ना.”

बिल एण्ड मैलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन के सह-अध्यक्ष बिल गेट्स ने कहा, “हम सब मिलकर, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिये, एक हरित औद्योगिक क्रान्ति ला सकते हैं, जो कमज़ोर समुदायों की रक्षा करके, दुनिया को प्रगति के पथ पर ले जा सकती है. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये, सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता इससे अधिक कभी नहीं रही है, और यह सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी कि हम जलवायु लक्ष्य हासिल कर सकें."

स्थाई जीवनशैली

अन्तरराष्ट्रीय जलवायु अर्थशास्त्री लॉर्ड निकोलस स्टर्न ने भी कहा, “पर्यावरण के अनुरूप स्थाई जीवन शैली को बढ़ावा देना बहुत ज़रूरी है. हमें अपने संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग व पुन: उपयोग करने के लिये, दृढ़ता से कार्य करना चाहिये."

"सार्वजनिक कार्रवाई, निजी कार्रवाई को प्रोत्साहित कर सकती है. हमें अपने क़स्बों और शहरों में निवेश करना चाहिये, ताकि साइकिल चलाने और पैदल चलने जैसी स्थाई जीवन शैली सम्भव हो सके. यह बदलाव लाने के लिये वित्तपोषण की भी आवश्यकता होगी.”

विश्व संसाधन संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और अध्यक्ष, अनिरुद्ध दासगुप्ता ने कहा, “भारत और दुनिया भर के प्राचीन समाजों ने, आवश्यकता व ज्ञान के कारण, प्रकृति के साथ रहने, प्रकृति के साथ फलने-फूलने और प्रकृति की देखभाल करने के तरीक़े खोजे हैं. उस ज्ञान को अब हमारे सामूहिक ज्ञान का हिस्सा बनने की ज़रूरत है.”

विश्व बैंक के अध्यक्ष, डेविड मलपास ने ज़मीनी स्तर पर कार्रवाई तेज़ करने परह ज़ोर देते हुए कहा कि सतत विकास के लिये समुदायों को संगठित करना विश्व बैंक के काम का मूल आधार है.

उन्होंने कहा कि समुदायों को संगठित करने के लिये अग्रिम पंक्ति के प्रेरकों की आवश्यकता होती है. भारत की आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता और स्वयं सहायता समूहों के सदस्य अग्रिम मोर्चों के कार्यकर्ताओं के उदाहरण हैं जो समुदायों के बीच रहकर, बड़े पैमाने पर काम करते हैं.

"सतत विकास के लिये, व्यवहार और प्रोत्साहन में कई बदलाव लाने हेतु, समुदायों के बीच जाकर काम करने वाले अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी. साथ ही, समुदायों को संगठित करने के लिये अधिक प्रभावी स्थानीय शासन और प्रशासन की भी ज़रूरत होगी." 

सामूहिक कार्रवाई की शक्ति

LiFE मूवमेंट का उद्देश्य है - सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का उपयोग करना और दुनिया भर के व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन में सरल जलवायु-अनुकूल कार्य करने के लिये प्रेरित करना.

इसके अतिरिक्त, LiFE आन्दोलन के तहत, जलवायु के आसपास के सामाजिक मानदण्डों को प्रभावित करने के लिये, सामाजिक नैटवर्क की ताक़त का लाभ उठाने का भी प्रयास रहेगा. 

मिशन की योजना व्यक्तियों का एक वैश्विक नैटवर्क बनाने की है, जिसका नाम 'प्रो-प्लैनेट पीपुल' (P3) है, जो पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिये, एक साझा प्रतिबद्धता होगी. मिशन - P3 समुदाय के माध्यम से एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करेगा, जिससे पर्यावरण के अनुकूल व टिकाऊ व्यवहार सुदृढ़ हों.

इस आन्दोलन के ज़रिये, वर्तमान में प्रचलित, 'उपयोग-और-निपटान' की ग़ैर-ज़िम्मेदार अर्थव्यवस्था को, परिपत्र अर्थव्यवस्था में बदलने की कोशिश की जाएगी, जिससे सावधानीपूर्ण व सतत उपयोग का विस्तार हो.