वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

एशिया-प्रशान्त में सतत विकास लक्ष्य, मंज़िल से बहुत दूर

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के बाहरी इलाक़े में, झुग्गी बस्ती से होकर बहती एक प्रदूषित नहर.
© UNICEF/Farhana Satu
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के बाहरी इलाक़े में, झुग्गी बस्ती से होकर बहती एक प्रदूषित नहर.

एशिया-प्रशान्त में सतत विकास लक्ष्य, मंज़िल से बहुत दूर

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के लिए एक चिन्ताजनक स्थिति सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक़, क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में, 2062 तक की देर हो सकती हैजो कि निर्धारित समय सीमा से 32 साल अधिक है.

2015 में विश्व नेताओं द्वारा अपनाए गए 17 लक्ष्य, 2030 तक अत्यधिक निर्धनता व भुखमरी को समाप्त करने, स्वच्छ पानी एवं साफ़-सफ़ाई तक पहुँच सुनिश्चित करने और अन्य लक्ष्यों के अलावा गुणवत्तापूर्ण सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करने पर केन्द्रित हैं.

एशिया और प्रशान्त के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) ने 2024 एसडीजी प्रगति रिपोर्ट जारी की है जिसमें ग़रीबी और असमानता की मौजूदा चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, उसमें लिंग और स्थान की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

एशिया और प्रशान्त के लिए आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCAP) की कार्यकारी सचिव, आर्मिडा सलसियाह अलिसजाहबना ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है, " पूरे क्षेत्र में एसडीजी की दिशा में प्रगति असमान और अपर्याप्त होने के कारण इसके प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता बेहद महत्वपूर्ण है."

उनका कहना है, "हालाँकि सभी जगहों पर अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है, ये विस्तृत आँकड़े उन असमानताओं को सम्बोधित करने की तात्कालिकता पर बल देते हैं, जो महिलाओं, लड़कियों, ग्रामीण आबादी और शहरी निर्धनों समेत हाशिए पर रहने वाले समूहों को प्रभावित करती हैं, और जो शिक्षा एवं रोज़गार के अवसरों से वंचित हैं." 

वार्षिक एसडीजी प्रगति रिपोर्ट एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में वैश्विक लक्ष्यों पर प्रगति का एक सिंहावलोकन प्रदान करती है. यह रिपोर्ट, ESCAP और उसके भागीदारों की गतिविधियों एवं नीति प्रतिक्रियाओं के लिए एक आधार के रूप में कार्य करती है.

LDCs, LLDCs और SIDS  की प्रगति.
ESCAP report

लैंगिक विभाजन

रिपोर्ट में पुरुषों और महिलाओं के सामने मौजूद विभिन्न सामाजिक चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया, विशेषकर तथाकथित "लिंग आधारित" भूमिकाओं पर.

महिलाओं के सामने मुख्य रूप से शिक्षा व रोज़गार सम्बन्धित चुनौतियाँ रहीं. उनकी नामांकन दर कम थी और साक्षरता लक्ष्यों पर स्थिति संघर्षपूर्ण थी. श्रम बाज़ारों तक युवा महिलाओं की पहुँच भी कठिन रही, जिससे युवा बेरोज़गारी की दर में वृद्धि हुई.

पुरुष, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत सुरक्षा से अधिक जुड़े हुए थे, जिनमें नए एचआईवी संक्रमण, बीमारियों के कारण होने वाली मृत्यु दर, आत्महत्या की दर, शराब का सेवन, सड़क यातायात से होने वाली मौतें, विषाक्तता के कारण होने वाली मृत्यु दर, तम्बाकू का व्यापक उपयोग शामिल हैं.

शहरी-ग्रामीण विभाजन

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले लोगों को, बुनियादी पेयजल एवं स्वच्छता सुविधाओं तक सीमित पहुँच जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट नुक़सान का सामना करना पड़ा. 

इसके अलावा, इन क्षेत्रों में भोजन पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन की कमी से गम्भीर श्वसन रोगों में वृद्धि हुई, ख़ासतौर पर उन महिलाओं और लड़कियों में जो रसोई में अधिक समय बिताती थीं.

सामान्य तौर पर, शहरी क्षेत्रों में बेहतर हालात देखने को मिले, लेकिन फिर भी विरोधाभासी रूप से, इन क्षेत्रों में, सबसे निर्धन लड़कों व लड़कियों को उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने में अनगिनत बाधाओं का सामना करना पड़ा.

तत्काल जलवायु कार्रवाई की ज़रूरत

एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से कई देश स्थित हैं. यहाँ चित्रित है, पाकिस्तान में 2022 में आई बाढ़.
© UNICEF/Saiyna Bashir

रिपोर्ट के अनुसार, 17 एसडीजी में से, जलवायु कार्रवाई पर लक्ष्य 13 पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके सभी लक्ष्यों पर प्रगति पटरी पर नहीं है और कुछ विपरीत दिशा में हैं.

इसमें जलवायु कार्रवाई को राष्ट्रीय नीतियों में एकीकृत करने, सहनसक्षमता को मज़बूत करने तथा जलवायु सम्बन्धी आपदाओं से निपटने के लिए अनुकूलन क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

रिपोर्ट में टिकाऊ बुनियादी ढाँचे और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश बढ़ाने का भी आहवान किया गया है.