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UNRWA को वित्तीय सहायता रोकने का निर्णय ‘स्तब्धकारी’, पुनर्विचार की अपील

UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी, ग़ाज़ा में एजेंसियों के कर्मचारियों से मुलाक़ात करते हुए.
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UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी, ग़ाज़ा में एजेंसियों के कर्मचारियों से मुलाक़ात करते हुए.

UNRWA को वित्तीय सहायता रोकने का निर्णय ‘स्तब्धकारी’, पुनर्विचार की अपील

मानवीय सहायता

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) ने नौ देशों द्वारा वित्तीय सहायता को अस्थाई रूप से रोके जाने की घोषणा पर क्षोभ प्रकट करते हुए इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है. यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में लड़ाई के बीच फँसे आम नागरिकों तक जीवनरक्षक सहायता उनके वित्तीय समर्थन पर निर्भर है, जिसके अभाव में राहत अभियान पर असर होने का जोखिम है.

7 अक्टूबर को हमास और अन्य फ़लस्तीनी चरमपंथियों द्वारा दक्षिणी इसराइल में किए गए हमलों में यूएन एजेंसी के कुछ कर्मचारियों के संलिप्त होने के आरोप सामने आए हैं, जिसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी समेत अन्य देशों ने UNRWA को वित्तीय सहायता रोकने की बात कही है.

इन हमलों में लगभग 1,200 इसराइली नागरिक मारे गए थे और 250 को बंधक बना लिया गया था. इसके बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई में 25 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान जा चुकी है, और हज़ारों अन्य घायल हुए हैं. 

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संगठन ने सम्बन्धित स्टाफ़ सदस्यों के अनुबन्ध को तुरन्त समाप्त करने और सच्चाई स्थापित करने के लिए, बिना किसी देरी किए, एक जाँच शुरू करने व दोषियों की जवाबदेही तय करने की बात कही है.

यूएन एजेंसी ने शनिवार को जारी अपने वक्तव्य में आगाह किया है कि वित्तीय मदद रोके जाने के इस निर्णय से पूरे क्षेत्र में, विशेष रूप से ग़ाज़ा पट्टी में हिंसक टकराव में फँसे आम फ़लस्तीनियों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के कार्य के लिए ख़तरा उत्पन्न हो गया है.

संगठन ने आगाह किया कि ग़ाज़ा में अकाल का जोखिम मंडरा रहा है और बड़ी संख्या में लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है.

प्रमुख मानवतावादी संगठन

ग़ाज़ा में फ़लस्तीनियों के लिए UNRWA, मुख्य मानवतावादी एजेंसी है, जिस पर अपनी दैनिक गुज़र-बसर के लिए 20 लाख से अधिक लोग निर्भर हैं. 

फ़िलहाल ग़ाज़ा में क़रीब 13 हज़ार कर्मचारी हैं, जिनमें से तीन हज़ार मुख्य स्टाफ़ हैं, जो अब भी काम कर रहे हैं और स्थानीय समुदायों को जीवनरक्षक मदद पहुँचाने में जुटे हैं. 

यूएन एजेंसी 10 लाख से अधिक लोगों के लिए आश्रय स्थल संचालित करती है, और घमासान लड़ाई के दौरान भी लोगों को उन्हें भोजन व प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराया जा रहा है.

UNRWA ने कहा कि कर्मचारियों के एक छोटे समूह पर लगे आरोप की प्रतिक्रिया में यूएन एजेंसी की वित्तीय सहायता निलम्बित होते देखना स्तब्धकारी है. विशेष रूप से तब जब संगठन ने उनके अनुबन्धों को समाप्त कर दिया है और मामले की एक पारदर्शी स्वतंत्र जाँच के लिए कहा है.

बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र में आन्तरिक निरीक्षण सेवा कार्यालय द्वारा भी इस गम्भीर मामले को अपने संज्ञान में लिया जा चुका है. 

यूएन एजेंसी के अनुसार, उसके कर्मचारियों की सूची हर वर्ष मेज़बान देशों के साथ साझा की जाती रही है, जिनमें इसराइल भी है, और अभी तक किसी भी प्रकार की चिन्ताजनक जानकारी उसके साथ साझा नहीं की गई. 

अपूरणीय क्षति का जोखिम

यूएन एजेंसी ने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ने शुक्रवार को अपने निर्णय में इसराइल को ग़ाज़ा पट्टी में विकट परिस्थितियों से जूझ रहे फ़लस्तीनियों को मानवीय सहायता व बुनियादी सेवाएँ प्रदान करने के लिए तत्काल, कारगर क़दम उठाने का आदेश दिया है.

फ़लस्तीनी आबादी के अधिकारों को अपूरणीय क्षति पहुँचने से रोकने के लिए इन रोकथाम उपायों को अहम माना गया है.

संगठन ने कहा कि इन क़दमों को केवल अन्तरराष्ट्रीय साझेदारों के ज़रिये ही उठाया जा सकता है, विशेष रूप से ग़ाज़ा में सबसे बड़े मानवतावादी संगठन UNRWA के साथ मिलकर.

UNRWA का मानना है कि कुछ व्यक्तियों के विरुद्ध आपराधिक कृत्यों को अंजाम देने के आरोपों की वजह से, क्षेत्र में युद्ध, विस्थापन और राजनैतिक संकट के समय में यूएन एजेंसी पर प्रतिबन्ध लगाया जाना बेहद ग़ैर-ज़िम्मेदाराना होगा.

इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने वित्तीय मदद रोकने वाले सभी देशों से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए दोहराया है कि ग़ाज़ा में आम नागरिकों का जीवन और क्षेत्रीय स्थिरता इस समर्थन पर निर्भर है.