वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर, L-69 समूह की चर्चा

सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर, यूएन मुख्यालय परिसर में L-69 द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में, यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस की टिप्पणी (13 दिसम्बर 2023).
UN News/Mehboob Khan
सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर, यूएन मुख्यालय परिसर में L-69 द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में, यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस की टिप्पणी (13 दिसम्बर 2023).

सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर, L-69 समूह की चर्चा

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने, मध्य पूर्व में संकट के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में नज़र आए गतिरोध की पृष्ठभूमि में, हाल ही में दोहा फ़ोरम में, वैश्विक ढाँचे में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है. सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर चर्चा के लिए, दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक विकासशील देशों के समूह – L-69 ने, बुधवार को, यूएन परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित किया है. यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने भी इस कार्यक्रम में, सुरक्षा परिषद में समयानुसार सुधार किए जाने की ज़रूरत पर बल दिया है.

इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग यहाँ देखी जा सकती है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि ऐसे में जबकि दुनिया भर में टकरावों का फैलाव हो रहा है, सुरक्षा परिषद की बुनियादी ज़िम्मेदारी – अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा क़ायम रखना है – मगर ये संस्था इस समय लगातार अपंगता की चिन्ताजनक चपेट में जकड़ी नज़र आ रही है. 

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की कार्रवाई, अपने अति महत्वपूर्ण जनादेश को पूरा करने में असन्तोषजनक रही है, जिसे देखते हुए, यह संस्था अपना जनादेश पूरा करने में कमतर साबित हुई है.

“इसके परिणामस्वरूप, पूरी संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था की विश्वसनीयता कमज़ोर हुई है.”

डेनिस फ़्रांसिस ने कहा, "यह सब कुछ कोई नई बात नहीं है. ऐसे में जबकि दुनिया संकटों के बाद संकटों का सामना कर रही है, सुरक्षा परिषद और पूरी संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था पर दबाव और भी प्रखर हो रहा है, और अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा को ख़तरा पेश करने वाले मामलों के बारे में कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की स्थिति, और अधिक नुक़सानदेह है."

उन्होंने कहा, "महासभा के अध्यक्ष के रूप में, मैं इस विचार से सहमत हूँ कि हमें एक ऐसी परिषद की आवश्यकता है जो अधिक सन्तुलित, अधिक प्रतिनिधिक, अधिक उत्तरदायी, अधिक लोकतांत्रिक और अधिक पारदर्शी हो."

"हालाँकि वर्तमान की कुछ चुनौतियों की 8 दशक पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, लेकिन पिछले कुछ समय से सुधार की आवश्यकता स्पष्ट होती जी रही है. और हालाँकि यहाँ से आगे की राह लम्बी एवं कठिन है, मेरा दृढ़ विश्वास है कि सकारात्मक परिणाम ना केवल सम्भव हैं, बल्कि प्राप्ति योग्य भी हैं.

उन्होंने कहा कि हमें बदलाव के लिए, निश्चित रूप से नवीन और अभिनव रास्तों की दरकार है, और इस सम्बन्ध में, मैं, ऐसे किसी भी नवाचारी समाधानों का स्वागत करता हूँ, जो इस तरह के संवादों में से उभरें और अन्तर-सरकारी संवादों का रास्ता स्पष्ट करें.

सुरक्षा परिषद का लोकतांत्रिकरण बढ़े

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने इस कार्यक्रम में कहा, "चूँकि हम वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करते हैं, हमारी मांग केवल प्रतिनिधित्व की नहीं है, बल्कि हमारे क्षेत्रों पर सीधे प्रभाव डालने वाले निर्णयों में न्यायसंगत भागेदारी की है."

"विकासशील देशों का L69 समूह, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई एवं ग़ैर-स्थाई, दोनों श्रेणियों में विस्तार करने की पैरोकारी में सबसे आगे रहा है."

उन्होंने कहा, "हमारा रुख़ स्पष्ट है – सुरक्षा परिषद का ना केवल विस्तार होना चाहिए, बल्कि इसका लोकतांत्रिकरण भी हो, ताकि निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में ग़ैर-स्थाई सदस्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो."

विश्व एक अहम मोड़े पर

सुधार का प्रस्तावित ढाँचा

विकासशील देशों के इस संगठन L-69 ने, सुरक्षा परिषद में सुधार का यह प्रस्ताव रखा है:

सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यों की संख्या 5 से बढ़ाकर कुल 11 की जाए और अस्थाई सदस्यों की संख्या 10 से बढ़ाकर 16 की जाए. और इसमें समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व झलके.

स्थाई सदस्यों की श्रेणी में प्रतिनिधित्व इस प्रकार हो..

  • दो स्थाई सदस्य – अफ़्रीकी देशों से.
  • दो स्थाई सदस्य – एशिया-प्रशान्त देशों से.
  • एक स्थाई सदस्य – लातीनी-अमेरिकी व कैरीबियाई देशों से.
  • एक स्थाई सदस्य – पश्चिमी योरोपीय और अन्य देशों से.

देशों के संगठन ने, अस्थाई श्रेणी में ये प्रतिनिधित्व प्रस्तावित किया है...

  • दो अस्थाई सदस्य – अफ़्रीकी देशों से.
  • एक अस्थाई सदस्य – एशिया-प्रशान्त देशों से.
  • एक अस्थाई सदस्य – पूर्वी योरोपीय देशों से.
  • एक अस्थाई सदस्य – लातीनी-अमेरिकी व कैरीबियाई देशों से.
  • एक अस्थाई सदस्य – तमाम क्षेत्रों के लघु द्वीपीय विकासशील देशों से.

ग़ौरतलब है कि सितम्बर 2024 में होने वाले भविष्य सम्मेलन में, यूएन सुरक्षा परिषद में सुधारों पर विस्तृत और रचनात्मक चर्चा होने की सम्भावना है.

यूएन सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर, यूएन मुख्यालय परिसर में एक कार्यक्रम में, भारतीय राजदूत रुचिरा काम्बोज की टिप्पणी.
UN News/Mehboob Khan