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धूम्रपान छोड़ देने से, डायबिटीज़ और स्वास्थ्य जोखिमों में कमी सम्भव

विश्व भर में 46 करोड़ से अधिक लोग, डायबिटीज़ की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे हैं और करोड़ों अन्य पर इसकी चपेट में आने का जोखिम है.
© UNICEF/Maxim Balakin
विश्व भर में 46 करोड़ से अधिक लोग, डायबिटीज़ की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे हैं और करोड़ों अन्य पर इसकी चपेट में आने का जोखिम है.

धूम्रपान छोड़ देने से, डायबिटीज़ और स्वास्थ्य जोखिमों में कमी सम्भव

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार, 14 नवम्बर, को ‘विश्व डायबिटीज़ दिवस’ के अवसर पर आगाह किया है कि इंसुलिन की खोज के 100 वर्ष बाद, लाखों लोगों के लिए ज़रूरी देखभाल अब भी सुलभ नहीं है, जिससे गम्भीर जटिलताओं का जोखिम बढ़ जाता है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और साझीदार संगठनों के एक साझा अध्ययन के अनुसार, धूम्रपान छोड़ने से डायबिटीज़ की चपेट में आने और उसके स्वास्थ्य जोखिमों में कमी लाई जा सकती है.

डायबिटीज़ (मधुमेह) लम्बे समय तक जारी रहने वाली एक बीमारी है. यह शरीर में अग्नाश्य (pancreas) द्वारा पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाने या फिर इन्सुलिन का कारगर ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाने की वजह से होती है.

डायबिटीज़, रक्त में रक्त शर्करा (blood sugar) की मात्रा बढ़ने की एक ऐसी अवस्था है जिसका देर से पता चलने, या सही ढँग से उपचार ना किए जाने से, हृदय, रक्त धमनियों, आँखों, गुर्दों और स्नायुतन्त्रों को गम्भीर नुक़सान पहुँच सकता है.

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुमान के अनुसार, विश्व भर में 46 करोड़ से अधिक लोग, डायबिटीज़ की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे हैं और करोड़ों अन्य पर इसकी चपेट में आने का जोखिम है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस अवस्था में लोगों को निरन्तर देखभाल व समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि इससे होने वाली जटिलताओं से बचा जा सके. 

डायबिटीज़ के कारण दृष्टिहीनता, गुर्दे ख़राब होने, हृदयाघात होने और शरीर के कुछ अंगों को काटने समेत अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ पेश आ सकती हैं. डायबिटीज़ के दो प्रकार हैं: टाइप 1 और टाइप 2. 

टाइप डायबिटीज़ की रोकथाम सम्भव नहीं है, मगर स्वस्थ आहार, शारीरिक सक्रियता और तम्बाकू का सेवन नहीं करने से टाइप 2 डायबिटीज़ से बचा जा सकता है या रोग को पूरी तरह होने में देरी की जा सकती है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि विश्व भर में इस बीमारी का फैलाव, 1980 के बाद से अब तक लगभग दोगुना हो चुका है. वयस्क आबादी में यह 4.7 प्रतिशत से बढ़कर 8.5 प्रतिशत तक पहुँच गया है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ये आँकड़े, अधिक वज़न होने या मोटापे की अवस्था में जीवन गुज़ारने वाले लोगों की संख्या में हुई वृद्धि को परिलक्षित करते हैं.  

पिछले एक दशक में, उच्च-आय वाले देशों की तुलना में निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में डायबिटीज़ के मामले ज़्यादा तेज़ी से बढ़े हैं.  

स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए कार्यालय ने डायबिटीज़ की चुनौती पर पार पाने के लिये चार उपाय अहम बताए हैं. 

पहला, देखभाल सेवा कवरेज में मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए समयबद्ध लक्ष्यों को स्थापित किया जाना. इस क्रम में, समता को सुनिश्चित किया जाना अहम होगा.

दूसरा, कारगर, किफ़ायती और सन्दर्भ के अनुरूप उपयुक्त उपायों की पहचान करते हुए, उन्हें अमल में लाया जाना होगा.

तीसरा, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवा को मज़बूती प्रदान करनी होगी, ताकि समय पर निदान, जाँच, और गुणवत्तापरक देखभाल बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध व सुलभ हो.

देशों को राष्ट्रीय पैकेज में अति-आवश्यक दवाओं और प्राथमिकता वाले उपकरणों की सुलभता को बढ़ावा देना होगा, जिनमें इन्सुलिन भी है.  

धूम्रपान और डायबिटीज़

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और साझेदार संगठनों द्वारा तैयार एक नीतिपत्र के अनुसार, धूम्रपान की आदत त्यागने से टाइप 2 डायबिटीज़ के ख़तरे को 30-40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.

बताया गया है कि धूम्रपान छोड़ने से ना केवल टाइप 2 डायबिटीज़ की चपेट में आने के जोखिम में कमी आती है, बल्कि मधुमेह से होने वाली जटिलताओं का जोखिम भी कम होता है.

तथ्य दर्शाते हैं कि धूम्रपान करने से, शरीर की रक्तचाप (blood pressure) के स्तर को नियमित करने की क्षमता प्रभावित होती है, जोकि टाइप 2 डायबिटीज़ की वजह बन सकता है.

धूम्रपान से डायबिटीज़-सम्बन्धी जटिलताओं, जैसेकि हृदयवाहिनी सम्बन्धी रोग, गुर्दे ख़राब होने और दृष्टिहीनता का ख़तरा भी बढ़ जाता है, और घावों के भरने में अधिक समय लगता है.