ग़ैर-संचारी बीमारियों के उपचार हेतु, अनेक लोगों की पहुँच से दूर हैं दवाएँ

‘Access to NCD Medicines: Emergent Issues During the COVID-19 Pandemic and Key Structural Factors’, नामक इस रिपोर्ट में पड़ताल की गई है कि कोविड-19 महामारी ने ग़ैर-संचारी बीमारियों के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवाओं की सुलभता को किस तरह प्रभावित किया है.
साथ ही, रिपोर्ट में देशों द्वारा लागू की गई उन नीतियों व रणनीतियों को भी रेखांकित किया है, जिनका उद्देश्य चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखला में आए व्यवधान का अनुमान लगाना और उसके असर में कमी लाना है.
कोरोनावायरस संकट के दौरान, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, लम्बे समय के श्वसन तंत्र सम्बन्धी रोग समेत अन्य ग़ैर-संचारी बीमारियों की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे लोगों को अपनी नियमित दवाएँ लेने में मुश्किलों का अनुभव करना पड़ा.
बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में दवाओं के उत्पादन, ख़रीद प्रक्रिया, आयात से लेकर उनके वितरण, उपलब्धता और मूल्य कुशलता पर महामारी जनित प्रभावों की समीक्षा की गई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में ग़ैर-संचारी रोगों के विभाग में निदेशक डॉक्टर बेंटे मिक्केलसेन ने कहा, “कोविड-19 महामारी ने ग़ैर-संचारी बीमारियों की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे लोगों के लिए अति-आवश्यक दवाओं की सुलभता में सामने आने वाली चुनौतियों को और अधिक पैना किया है.”
“अनेक लोगों के उपचार में व्यवधान आया, जिसके गम्भीर स्वास्थ्य नतीजे हो सकते हैं. इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि ग़ैर-संचारी रोगों के साथ जीवन जी रहे लोगों के लिए ना केवल उपचार व देखभाल को राष्ट्रीय प्रतिक्रिया व तैयारी योजनाओं में शामिल किया जाए, बल्कि इन योजनाओं को लागू करने के लिए नवाचारी रास्ते भी तलाश किए जाएँ.”
रिपोर्ट में ग़ैर-संचारी बीमारियों के लिए औषधि निर्माण आपूर्ति श्रृंखला में सरकारों, नियामक प्राधिकरणों, निर्माताओं, और निजी सैक्टर समेत मुख्य हितधारकों के नज़रिए से उपयोगी डेटा व जानकारी भी प्रदान की गई है.
इसके अलावा, भावी शोध कार्य के लिए दिशा-निर्देश साझा किए गए हैं, ताकि विश्व भर में मरीज़ों के लिए अहम दवाएँ मुहैया कराने के लिए ज़रूरी प्रणाली को सुदृढ़ बनाया जा सके.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, औषधि निर्माण से सम्बन्धित जानकारी के इर्दगिर्द व्यवस्था में पारदर्शिता बरती जानी अहम होगी, जिसकी नींव पर महामारी से निपटने की योजना व जवाबी कार्रवाई तैयार की जा सकती है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ग़ैर-संचारी रोगों के लिए दवाओं की वैश्विक आपूर्ति चेन में कमज़ोर कड़ी की पहचान नहीं की गई, तो फिर उन कमियों को दूर करने की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है.
बताया गया है कि कारगर निगरानी और पारदर्शी डेटा के अभाव में, वैश्विक सप्लाई चेन में निहित कमज़ोरियों की पहचान कर पाना कठिन है, जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों पर अपनी आपूर्ति श्रृंखला पर नज़र रखने, दवाओं की क़िल्लत की सूचना प्रणाली को मज़बूती देने और उसका दायरा बढ़ाने, नियामन में लचीलापन लाने और व्यापार अवरोधों में कमी लाने का दबाव बढ़ता है.
विश्व भर में, ग़ैर-संचारी रोगों के उपचार के लिए दवाओं पर किसी अन्य दवा की तुलना में कहीं अधिक धन ख़र्च होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ज़ोर देकर कहा है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की सफलताओं व विफलताओं की समीक्षा जारी रखने की आवश्यकता है, ताकि इन दवाओं की सुलभता बेहतर बनाई जा सके.
आपात हालात में सुलभता और वितरण तंत्रों को मज़बूत करने और भावी महामारियों के प्रकोप के दंश को कम करने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है.
इस क्रम में, लम्बे समय से जारी बीमारियों के निदान व उपचार के लिए आवश्यक दवाओं व उत्पादों का निर्बाध व सतत प्रावधान सुनिश्चित किए जाने पर विशेष रूप से बल दिया जाना होगा.
डॉक्टर मिक्केलसेन ने कहा कि यह नहीं भूलना होगा कि कोविड-19 भले ही नज़रों से ओझल हो गया हो, ग़ैर-संचारी रोगों की दवाओं की सुलभता अब भी अनेक लोगों की पहुँच से दूर है.