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बांग्लादेश, मालदीव, डीपीआर कोरिया द्वारा रोग उन्मूलन की दिशा में 'अभूतपूर्व' प्रगति

बांग्लादेश के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक दाई, एक नई माँ को शिशुओं की मच्छरदानी का उपयोग करना सिखा रही है.
© UNICEF/Sujan
बांग्लादेश के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक दाई, एक नई माँ को शिशुओं की मच्छरदानी का उपयोग करना सिखा रही है.

बांग्लादेश, मालदीव, डीपीआर कोरिया द्वारा रोग उन्मूलन की दिशा में 'अभूतपूर्व' प्रगति

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को विकासशील देशों द्वारा कई जानलेवा बीमारियों का उन्मूलन किए जाने की सराहना की, और इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि क़रार दिया.

डब्ल्यूएचओ ने एक वक्तव्य में कहा कि विसरल लीशमैनियासिस (Visceral leishmaniasis) यानि ब्लैक फीवर या दमदम बुख़ार या कालाजार, बांग्लादेश से पूरी तरह ख़त्म हो चुका है. यह एक संक्रमण रोग है जिसका परजीवी बालू मक्खी के द्वारा फैलता है. साथ ही, कोरिया लोकतांत्रिक जनगणराज्य (जिसे आमतौर पर उत्तर कोरिया के नाम से जाना जाता है) में भी, रूबेला का पूर्ण उन्मूलन हो चुका है. 

बांग्लादेश, काला अजार, यानि आंत के लीशमैनियासिस के उन्मूलन के लिए मान्यता प्राप्त करने वाला पहला देश बन गया है. यह जीवन-घातक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी, इस क्षेत्र में बहुत आम है. 

बांग्लादेश ने 2017 में "उप-ज़िला स्तर" पर प्रति 10,000 की जनसंख्या पर एक से भी कम मामले का उन्मूलन लक्ष्य हासिल किया, और कोविड-19 महामारी के कारण हुए व्यवधानों के बावजूद इस प्रगति को बरक़रार रखा.

मालदीव में कुष्ठ रोग उन्मूलन 

वहीं मालदीव, कुष्ठ रोग के संचरण में रुकावट की पुष्टि करने वाला पहला देश बन गया है. मालदीव ने, लगातार पाँच वर्षों से अधिक समय से किसी भी बच्चे में, कुष्ट रोग का कोई मामला नहीं पाए जाने का मुक़ाम हासिल किया है.मालदीव ने 2030 तक कुष्ठ रोग उन्मूलन का स्पष्ट लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, 2019 में एक योजना की रूपरेखा प्रकाशित की थी.

डब्ल्यूएचओ की एक स्वतंत्र मूल्याँकन टीम ने, इस द्वीपीय राष्ट्र की सफलता के प्रमुख कारकों के रूप में - उच्च राजनैतिक इच्छाशक्ति और सामुदायिक प्रेरणा के अलावा, मज़बूत स्वास्थ्य प्रणालियों एवं कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के प्रति न्यूनतम कलंक व भेदभाव के साक्ष्य पेश किए.

डीपीआर कोरिया की सफलता

DPRK की राष्ट्रीय सत्यापन समिति द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर, डब्ल्यूएचओ के ख़सरा और रूबेला उन्मूलन के लिए दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय सत्यापन आयोग इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि देश से स्थानिक रूबेला वायरस का ख़ात्मा हो चुका है.

उत्तर कोरिया में, नौ महीने से 15 साल के बच्चों और 16 से 18 साल की महिलाओं को, ख़सरा और रूबेला के टीके लगाने के व्यापक टीकाकरण अभियान की सफलता के बाद, नवम्बर 2019 में बच्चों के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में ख़सरा व रूबेला का टीका शामिल किया गया.

इस सामूहिक टीकाकरण गतिविधि के ज़रिए, लगभग 60 लाख की आबादी में 99.8 प्रतिशत से अधिक लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करते हुए, तेज़ी से रूबेला के ख़िलाफ़ पर्याप्त जनसंख्या की प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण किया गया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक, डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, "लिम्फैटिक फाइलेरियासिस, आँत का लीशमैनियासिस

और कुष्ठ रोग जैसी उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों समेत, रूबेला से बच्चों और युवाओं को होने वाले ख़तरे से बचाव हेतु, देशों व स्वास्थ्य भागीदारों द्वारा लगातार राष्ट्रीय नेतृत्व, प्रतिबद्धता एवं सहयोगात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है." 

उन्होंने कहा, “अपनी आबादी को इन बीमारियों से बचाने के लिए, डब्ल्यूएचओ के मार्गदर्शन के तहत, बांग्लादेश और मालदीव में हुई प्रगति की मैं सराहना करता हूँ. साथ ही, भूटान, डीपीआर कोरिया और तिमोर लेस्ते द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरे के रूप में रूबेला के उन्मूलन की दिशा में हुई प्रगति का स्वागत करता हूँ. इन उपलब्धियों से, वर्तमान एवं भविष्य में, सर्वाधिक कमज़ोर तबके के लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

'अभूतपूर्व उपलब्धियाँ'

76वें क्षेत्रीय समिति सत्र के दौरान, क्षेत्रीय निदेशक, पूनम खेत्रपाल सिंह ने इन सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धियों के लिए बांग्लादेश, मालदीव और डीपीआर कोरिया को बधाई दी. उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के पूर्ण उन्मूलन के लिए बांग्लादेश, और साल की शुरुआत में रूबेला के उन्मूलन के लिए भूटान व तिमोर-लेस्ते की भी सराहना की.

उन्होंने कहा, “ये अभूतपूर्व उपलब्धियाँ, एक गहन रणनीतिक दृष्टिकोण व संस्कृति का परिणाम है, जिसका निर्माण हमने पिछले दशक और उसके परे, मिलकर किया है. एक ऐसा दृष्टिकोण और संस्कृति, जिसमें थोड़े-बहुत लोगों के लिए नहीं, बल्कि हर जगह, सर्वजन के लिए, स्वास्थ्य एवं कल्याण की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास किया जाएगा.”