वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

इसराइल-फ़लस्तीन संकट का बच्चों पर 'विनाशकारी असर'

ग़ाज़ा में अपने घर के मलबे के बीच खड़ा एक पाँच साल का बच्चा, अपनी बिल्ली के साथ.
© UNICEF/Mohammad Ajjour
ग़ाज़ा में अपने घर के मलबे के बीच खड़ा एक पाँच साल का बच्चा, अपनी बिल्ली के साथ.

इसराइल-फ़लस्तीन संकट का बच्चों पर 'विनाशकारी असर'

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहतकर्मियों का कहना है कि इसराइल की भीषण बमबारी की वजह से, ग़ाज़ा पट्टी बच्चों की क़ब्रगाह बन गया है. यहाँ 10 लाख से अधिक लोग अति आवश्यक वस्तुओं की क़िल्लत और एक गहरे सदमे से जूझ रहे हैं, जोकि जीवन पर्यन्त जारी रह सकता है.

मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने इसराइल और क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े का दौरा किया, और मंगलवार को पूर्वी येरूशेलम से ग़ाज़ा में परिवारों से फ़ोन पर बातचीत की है.  

उन्होंने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इसराइल पर किए गए आतंकी हमलों के बाद, इसराइली कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों ने जो कुछ सहन किया है, वह तबाह कर देने वाला है.

Tweet URL

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने अपने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर लिखा कि “जब एक आठ वर्षीय बच्चा आपको कहे कि वह मरना नहीं चाहती है, तो आप बेबस महसूस किए बिना नहीं रह सकते.”

इससे पहले, यूएन अवर महासचिव ने सोमवार को ग़ाज़ा में 7 अक्टूबर से बंधक बनाकर रखे गए लोगों के परिजनों से मुलाक़ात की. बताया गया है कि लगभग 230 बंधकों में से 30 बच्चे हैं.

आपात राहत मामलों के प्रमुख ने कहा कि पिछले कुछ हफ़्तों से ये परिवार गम्भीर पीड़ा में रह रहे हैं, और उन्हें यह नहीं पता कि उनके प्रियजन जीवित हैं भी या नहीं. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने बारम्बार इन सभी बंधकों की तत्काल, बिना किसी शर्त के रिहाई जाने की पुकार लगाई है.

मलबे में दबे बच्चे

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने मंगलवार को जिनीवा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि ग़ाज़ा में अब तक तीन हज़ार 450 बच्चे मारे जा चुके हैं.

यूएन मानवीय राहत एजेंसी के अनुसार एक हज़ार से अधिक बच्चे लापता हैं, जो मलबे में दबे हो सकते हैं, और बचाए जाने का इन्तज़ार कर रहे हों. 

OCHA प्रवक्ता येन्स लार्क के अनुसार, यह सोचना असहनीय है कि मलबे में दबे हुए बच्चों को वहाँ से बाहर निकाल पाने की सम्भावना बहुत कम है.

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा सिटी में, इसराइली हमलों से हुए विध्वंस के बीच एक बच्चा.
© UNICEF/Mohammad Ajjour
इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा सिटी में, इसराइली हमलों से हुए विध्वंस के बीच एक बच्चा.

कई दशकों का सदमा

यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने आगाह किया कि, "ख़तरा, बम और गोलीबारी से परे तक जाता है." 

क्षेत्र में जल के अभाव से शिशुओं की मौत होने का "ख़तरा बढ़ रहा" है. क्षतिग्रस्त होने या ईंधन की कमी से जल शोधन संयंत्रों के ठप होने के कारण, ग़ाज़ा में केवल पाँच प्रतिशत जल उत्पादन ही हो पा रहा है.

उन्होंने कहा, लड़ाई ख़त्म हो जाने के बाद भी, जीवित बचे लोगों, बच्चों को इस भयानक सदमे की आने वाले कई दशकों तक भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.

जेम्स एल्डर ने ग़ाज़ा में यूनीसेफ़ के उस कर्मचारी की चार वर्षीय बेटी का उदाहरण दिया, जिसने दैनिक तनाव और भय के कारण ख़ुद को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया है. 

बच्ची की माँ ने सहकर्मियों को बताया, "मैं फ़िलहाल अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में नहीं सोच सकती - मुझे बस किसी तरह उन्हें जीवित रखना है."

मानवतावादी युद्धविराम आवश्यक 

जेम्स एल्डर ने ग़ाज़ा में इस दुःस्वप्न से गुज़र रहे 11 लाख बच्चों की ओर से" तत्काल मानवतावादी युद्धविराम लागू किए जाने और मानवीय सहायता के बिना किसी अवरोध के प्रवेश के लिए सभी पहुँच मार्गों को को खोलने की अपील दोहराई है. 

उन्होंने कहा, "अगर 72 घंटों के लिए भी युद्धविराम हो जाए, तो कम से कम इस दौरान एक हज़ार बच्चे सुरक्षित रह सकेंगे."

सोमवार को सहायता सामग्री से लदे 26 ट्रकों के क़ाफ़िले ने मिस्र के साथ लगी सीमा पर रफ़ाह चौकी के ज़रिये ग़ाज़ा में प्रवेश किया.

21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक की अवधि में अब तक 143 ट्रक ग़ाज़ा पहुँच चुके हैं. यूएन एजेंसी प्रवक्ता येन्स लार्क ने उम्मीद जताई है कि मंगलवार को और संख्या में ट्रकों को आने की अनुमति दी जाएगी.

यूएन ने ज़ोर देकर कहा है कि ग़ाज़ा में ज़रूरी आपूर्ति का पहुँचना स्वागतयोग्य है, मगर विशाल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यह पर्याप्त नहीं है, और गम्भीर मानवीय संकट की रोकथाम के लिए ज़्यादा मात्रा में मदद पहुँचाई जानी होगी.