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युद्ध, उत्पीड़न, मानवाधिकार हनन के कारण, 11 करोड़ से अधिक आबादी विस्थापित

यूएन शरणार्थी एजेंसी, बांग्लादेश के एक रोहिंज्या शरणार्थी शिविर में विकलांगजन को समर्थन प्रदान कर रही है.
© UNHCR/Saikat Mojumder
यूएन शरणार्थी एजेंसी, बांग्लादेश के एक रोहिंज्या शरणार्थी शिविर में विकलांगजन को समर्थन प्रदान कर रही है.

युद्ध, उत्पीड़न, मानवाधिकार हनन के कारण, 11 करोड़ से अधिक आबादी विस्थापित

प्रवासी और शरणार्थी

शरणार्थी मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNHCR) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में 11 करोड़ 40 लाख से अधिक लोग, इस वर्ष के पहले 9 महीनों के दौरान अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं.

यूएन एजेंसी ने बुधवार को बताया कि यूक्रेन में युद्ध, सूडान, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य और म्याँमार में टकराव, सोमालिया में सूखा, बाढ़ व असुरक्षा, और अफ़ग़ानिस्तान में लम्बे समय से जारी मानवीय संकट 2023 में जबरन विस्थापन की एक बड़ी वजह है.

शरणार्थी मामलों के लिए यूएन उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व के अनेक हिस्सों में, बड़ी संख्या में हिंसक टकराव फैल रहे हैं या उनमें तेज़ी आ रही है, जिससे मासूम ज़िन्दगियाँ तबाह हो रही हैं, और लोग अपने घरों से विस्थापित हो रहे हैं. 

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उन्होंने क्षोभ प्रकट किया कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, विस्थापन और पीड़ा को बढ़ाने वाले टकरावों को सुलझाने या नए संघर्षों को उभरने से रोकने में विफल साबित हुआ है. 

“हमें अपने भीतर झांकना होगा, टकरावों का अन्त करने के लिए एक साथ मिलकर काम करना होगा, और शरणार्थियों व अन्य विस्थापित लोगों को घर वापिस लौटने या अपना जीवन फिर शुरू करने का अवसर देना होगा.”

इस वर्ष जून महीने तक, जबरन विस्थापित होने वाले व्यक्तियों की संख्या, विश्व में 11 करोड़ थी, जोकि 2022 के अन्त से 16 लाख की वृद्धि को दर्शाता है.

वहीं, 2023 में जून और सितम्बर महीने के अन्त तक, अतिरिक्त 40 लाख जबरन विस्थापन का शिकार हुए हैं, जिससे नवीनतम आँकड़ा 11 करोड़ 40 लाख तक पहुँच गया है.

यूएन एजेंसी की रिपोर्ट में इसराइल-फ़लस्तीन के बीच टकराव से उपजे हालात का आकलन नहीं किया गया है, जोकि 7 अक्टूबर को भड़क उठा था. रिपोर्ट बताती है कि निम्न- और मध्य-आय वाले देश, अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण की तलाश कर रहे लोगों की कुल संख्या में से तीन-चौथाई की मेज़बानी करते हैं.

‘हम हिम्मत नहीं हार सकते’ 

उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने विशाल चुनौतियों के बावजूद, मौजूदा हालात से निपटने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है. 

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा, सूडान और उससे परे घटनाक्रम के मद्देनज़र, शरणार्थियों व अन्य विस्थापित आबादी के लिए शान्ति व समाधान की सम्भावना क्षीण नज़र आ सकती है. 

“मगर, हम अपने प्रयास करना नहीं छोड़ सकते. अपने साझीदारों के साथ, हम शऱणार्थियों के लिए समाधान की कोशिशें और उन्हें ढूंढना जारी रखेंगे.”

स्विट्ज़रलैंड के जिनीवा में 13 से 15 दिसम्बर तक दूसरी ‘वैश्विक शरणार्थी फ़ोरम का आयोजन हो रहा है, जिससे पहले यह रिपोर्ट जारी की गई है.