आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस: असमानता के विरुद्ध लड़ाई व सहनसक्षमता निर्माण पर बल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार, 13 अक्टूबर, को ‘अन्तरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ पर, सभी देशों से सहनसक्षमता और अनुकूलन को मज़बूती प्रदान करने की पुकार लगाई है, ताकि सर्वजन के लिए एक सुरक्षित व न्यायोचित भविष्य का निर्माण किया जा सके.
अनेक अनुमानों के अनुसार, वर्तमान में चरम मौसम सम्बन्धी लगभग 75 फ़ीसदी घटनाएँ जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई हैं, जिन्हें कार्बन उत्सर्जन से ईंधन मिलता है.
यूएन महासचिव ने अनेक अवसरों पर आगाह किया है कि जलवायु जनित आपदाओं का सर्वाधिक ख़ामियाज़ा उन देशों को भुगतना पड़ रहा है, जोकि इसके लिए सबसे कम ज़िम्मेदार हैं.
आँकड़ें दर्शाते हैं कि वर्ष 1970 से 2019 तक, मौसम, जलवायु, और जलीय जोखिमों के कारण हुई कुल मौतों में से 91 फ़ीसदी, विकासशील देशों में हुईं.
आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए यूएन कार्यालय का पूर्वानुमान है कि वर्ष 2030 तक, विश्व को प्रति दिन, औसतन 1.5 बड़ी आपदाओं को सामना करना पड़ सकता है.
इन रुझानों की पृष्ठभूमि में आपदा जोखिमों में कमी लाने के लिए प्रयास, बेहद अहम हैं. इस वर्ष, अन्तरराष्ट्रीय दिवस की थीम है: एक सहनसक्षम भविष्य के लिए, असमानता से लड़ाई.
सहनसक्षम भविष्य
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि जिनके पास सबसे कम संसाधन हैं, उन्हें चरम मौसम घटनाओं का ख़तरा सबसे अधिक है.
“उनके ऐसी जगहों पर रहने की सम्भावना है, जो बाढ़ और सूखे के प्रति अधिक सम्वेदनशील हैं, और इससे होने वाली क्षति व उससे उबरने के लिए उनके पास संसाधन कम हैं.”
महासचिव गुटेरेश ने देशों से निर्धनता व आपदाओं के चक्र को तोड़ने और 2015 पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते का सम्मान करने का आग्रह किया है.
साथ ही, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के 2030 एजेंडा पर प्रगति और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के सेन्डाई फ़्रेमवर्क को लागू किया जाना अहम होगा.
वैश्विक स्तर पर विषमताओं से निपटने के लिए एक अहम उपाय, हानि व क्षति कोष है, जिसे इस वर्ष दिसम्बर में यूएन वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप28) के दौरान शुरू किए जाने की सम्भावना है.
एक अन्य महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य, वर्ष 2027 तक पृथ्वी पर हर व्यक्ति को समय पूर्व चेतावनी प्रणाली के दायरे में लाना है.
समय पूर्व चेतावनी प्रणाली
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने सितम्बर में यूएन जलवायु महत्वाकाँक्षा शिखर बैठक में, जलवायु दृष्टि से सर्वाधिक सम्वेदनशील देशों में समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों को स्थापित किए जाने की पहल की घोषणा की थी.
इसके तहत, हरित जलवायु कोष (GCF) द्वारा 13 लाख डॉलर की आरम्भिक धनराशि मुहैया कराई जाएगी, जिसे देशों के पहले समूह के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा.
इनमें एंटीगा एंड बारबूडा, कम्बोडिया, चाड, इक्वाडोर, इथियोपिया, फ़िजी और सोमालिया हैं.