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नोबेल पुरस्कार विजेता, नरगिस मोहम्मदी को जेल से जल्द रिहा किए जाने की मांग

ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगेस मोहम्मदी को नोबेल शान्ति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है.
© VOA
ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगेस मोहम्मदी को नोबेल शान्ति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है.

नोबेल पुरस्कार विजेता, नरगिस मोहम्मदी को जेल से जल्द रिहा किए जाने की मांग

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मृत्युदंड दिए जाने की विरोधी, महिला अधिकारों की पैरोकार, ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को जेल से तत्काल रिहा किए जाने की मांग की है, जिन्हें पिछले सप्ताह ही नोबेल शान्ति पुरस्कर 2023 से सम्मानित किया गया था.

नरगिस मोहम्मदी फ़िलहाल राजधानी तेहरान की ऐविन जेल में 16 वर्ष की सज़ा काट रही हैं.

उन्होंने कई वर्षों तक एक पत्रकार के रूप में काम किया. वह एक लेखिका भी हैं और उन्होंने तेहरान-स्थित नागरिक समाज संगठन ‘Defenders of Human Rights Center’ की उप निदेशक के तौर पर काम किया, जोकि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रयासरत संगठन है.

मनमाने ढंग से हिरासत में रखे जाने के मुद्दे पर यूएन विशेषज्ञों के वर्किंग समूह ने बुधवार को जारी अपने वक्तव्य में हैरानी जताई कि ईरान में प्रशासनिक एजेंसियों ने अब भी नरगिस मोहम्मदी को उनकी आज़ादी से वंचित रखा है.

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मानवाधिकार विशेषज्ञों ने क्षोभ प्रकट किया कि हिरासत में उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. यह चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह के विरुद्ध, और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों का उल्लंघन है.

उन्होंने ईरान सरकार से मानवाधिकारों की पैरोकार को तत्काल रिहा किए जाने का आग्रह किया है, ताकि उनके लिए ज़रूरी स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित की जा सके. 

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, यह अत्यंत खेदजनक है कि यूएन और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के अनुरोधों के बावजूद, ईरानी प्रशासन द्वारा अब भी मानवाधिकारों की रक्षा के लिए नरगिस मोहम्मदी के काम का आपराधिकरण किया जा रहा है.

अनेक बार हुई गिरफ़्तारी

ग़ौरतलब है कि 6 अक्टूबर को, नोबेल समिति ने ईरान में महिलाओं के दमन के विरुद्ध लड़ाई में नरगिस मोहम्मदी की भूमिका के मद्देनज़र, उन्हें शान्ति पुरस्कार देने की घोषणा की थी.  

नरगिस मोहम्मदी को कई बार गिरफ़्तार किया जा चुका है, और पहली बार उनकी गिरफ़्तारी वर्ष 2011 में हुई जब वो जेल में बन्द मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की पैरवी कर रही थीं.

वर्ष 2015 में, मृत्युदंड के विरुद्ध उनकी सक्रियता के कारण नरगिस मोहम्मदी को एक बार फिर गिरफ़्तार किया गया, और अतिरिक्त वर्षों के लिए जेल की सज़ा सुनाई गई. फ़िलहाल वो तेहरान की ऐविन जेल में राजसत्ता के विरुद्ध दुष्प्रचार फैलाने के आरोप में एक लम्बी सज़ा काट रही हैं.

इससे पहले, यूएन वर्किंग ग्रुप ने कहा था कि नरगिस मोहम्मदी को मनमाने ढंग से हिरासत में रखा गया है और उनकी जल्द रिहाई के साथ मुआवज़े व भरपाई की व्यवस्था की जानी होगी.

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, नरगिस मोहम्मदी की गिरफ़्तारी और उन्हें हिरासत में रखा जाना, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का एक उल्लंघन है. मानवाधिकार रक्षक के उनके दर्जे और इस वजह से उनके साथ हुए भेदभाव के मद्देनज़र. 

मानवाधिकार विशेषज्ञ

इस वक्तव्य को जारी करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों की सूची यहाँ देखी जा सकती है.

सभी स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा में यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किये जाते हैं. वो अपनी निजी हैसियत में, परिषद की विशेष प्रक्रिया के तहत स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं.

ये मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और ना ही उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.