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महिलाओं की ‘समान व सार्थक भागेदारी’ के लिए कार्रवाई की पुकार

दुनिया भर में महिलाओं के विरुद्ध पूर्वाग्रह, गहराई से जड़ें जमाए हुए है.
© UN Women/David Villegas Zambrana
दुनिया भर में महिलाओं के विरुद्ध पूर्वाग्रह, गहराई से जड़ें जमाए हुए है.

महिलाओं की ‘समान व सार्थक भागेदारी’ के लिए कार्रवाई की पुकार

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बुधवार को कहा है कि दुनिया भर में सार्वजनिक व राजनैतिक जीवन में महिलाओं के विरुद्ध गहराई से जड़ें जमाए हुए लिंग आधारित पूर्वाग्रह को ख़त्म करने के लिए, तत्काल कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत है.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने कहा है, “पितृसत्तात्मकता को अतीत में सीमित कर देना होगा. हमारा भविष्य इस पर निर्भर है कि महिलाएँ और लड़कियाँ उन सभी स्थानों पर मौजूद रहें जहाँ निर्णय लिए जाते है.”

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महिला सांसदों की संख्या 4 में से केवल एक

वोल्कर टर्क ने कहा, “ऐसा केवल गत वर्ष देखने को मिला कि इतिहास में पहली बार, महिलाओं का प्रतिनिधित्व, दुनिया के हर देश की सक्रिय संसद में हुआ. मगर आज भी, हर चार में से केवल एक सांसद महिलाएँ हैं.”

संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR), अपनी मासिक झलकियों के तहत, जून में, सार्वजनिक और राजनैतिक जीवन में महिलाओं की भागेदारी की निगरानी कर रहा है. वर्ष 2023 मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र का 75वाँ वर्ष है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने देशों, सांसदों, मीडिया, सिविल सोसायटी, निजी क्षेत्र और प्रत्येक सक्रिय नागरिक कार्रवाई करने का आग्रह किया है. 

उन्होंने अपनाए जाने योग्य उपायों का भी ज़िक्र किया है, और शुरुआत, लिंग आधारित भेदभाव की जड़ में बैठे कारणों का सामना करने के साथ की जा सकती है.

वोल्कर टर्क ने कहा कि शिक्षा और जागरूकता प्रसार पर ज़्यादा ज़ोर दिए जाने की ज़रूरत है. 

उन्होंने साथ ही अवैतनिक देखभाल कार्य के मूल्य को और अधिक अहमियत दिए जाने की पुकार भी लगाई, जो अक्सर ग़ैर-आनुपातिक ढंग से महिलाओं के कन्धों पर पड़ता है.

उन्होंने विधायी संस्थाओं और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों और निजी क्षेत्र में सेवा करने वाली महिलाओं के लिए, और ज़्यादा सीटें आरक्षित करने और प्रशिक्षण अवसर मुहैया कराने पर विचार किए जाने की भी पुकार लगाई.

उत्पीड़न के लिए शून्य सहिष्णुता

वोल्कर टर्क ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की सन्धियों को, लैंगिक समता के लिए ठोस प्रयास आगे बढ़ाते रहना होगा, और राजनीति में महिलाओं से सम्बन्धित हिंसा व उनके उत्पीड़न के विरुद्ध, शून्य सहिष्णुता को एक सामान्य स्थिति बनाना होगा, इसमें ऑनलाइन मंच भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “और महिला अग्रणी हस्तियों को और ज़्यादा दृश्य बनाना होगा.”

“बदलाव की मौजूदा रफ़्तार के साथ, महिलाओं के लिए लैंगिक अन्तर को भरने में, 155 वर्षों का समय लगेगा. ये संघर्ष उन महिलाओं के लिए तो और भी ज़्यादा होगा जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रही हैं और जिनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है.”

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने घोषणा करने के अन्दाज़ में कहा, “सीधे शब्दों में कहें तो, ये सतर्क करने वाली पुकार है.”

“समता प्रतीक्षा नहीं कर सकती. वास्तविकता में महिलाओं की समान व सार्थक भागेदारी, केवल महिलाओं के अधिकारों को सुने जाने के बारे में नहीं है, बल्कि ये मुद्दा, आज की दुनिया के सामने दरपेश बहुत तात्कालिक संकटों को हल करने की, समाजों की योग्यता के बारे में है.”