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विकलांगता अधिकारों पर दर्ज प्रगति की दिशा पलटने का जोखिम

जॉर्डन के ज़ाआतारी शरणार्थी शिविर में बनाए गए एक समावेशी स्कूल में, एक 9 वर्षीय बच्ची, अपनी सहेलियों के साथ खेलते हुए.
UNICEF/Herwig
जॉर्डन के ज़ाआतारी शरणार्थी शिविर में बनाए गए एक समावेशी स्कूल में, एक 9 वर्षीय बच्ची, अपनी सहेलियों के साथ खेलते हुए.

विकलांगता अधिकारों पर दर्ज प्रगति की दिशा पलटने का जोखिम

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को आगाह किया है कि सिलसिलेवार संकटों की एक लहर की वजह से विकलांगजन के अधिकार सुनिश्चित किए जाने की दिशा में अब तक दर्ज की गई प्रगति पर जोखिम मंडरा रहा है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने न्यूयॉर्क में एक सम्मेलन को सम्बोधित किया, जिसमें 17 वर्ष पहले विकलांगजन के अधिकारों पर सन्धि के पारित किए जाने के बाद अब तक हुई कार्रवाई का आकलन किया जा रहा है.

महासचिव गुटेरेश ने देशों से आग्रह किया है कि अधिक समावेश व सुलभता हासिल करने के लिए ज़्यादा बड़े स्तर पर, बेहतर ढंग से कार्रवाई की जानी होगी.

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विश्व भर में, विकलांग व्यक्तियों की संख्या एक अरब है, जिनमें से अधिकाँश कामकाजी आयु के हैं और विकासशील देशों में रहते हैं.

विकलांगजन के अधिकारों पर सन्धि के सम्बद्ध पक्षों के सम्मेलन का 16वाँ सत्र यूएन मुख्यालय में इस सप्ताह गुरूवार तक आयोजित हो रहा है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि यह सन्धि, सर्वजन के लिए एक अधिक न्यायोचित व समावेशी भविष्य की दिशा में हमारी साझा यात्रा के लिए एक असाधारण क्षण है.

इस सन्धि पर अब तक 186 देश मुहर लगा चुके हैं, और 75 प्रतिशत सम्बद्ध पक्षों ने मुख्यधारा के स्कूलों में विकलांग छात्रों का एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए क़ानून पारित किए हैं.

लगभग 80 प्रतिशत देशों में अब रोज़गार भर्तियों में विकलांग व्यक्तियों के साथ होने वाले भेदभाव पर पाबन्दी लगाई गई है, और 90 प्रतिशत ने राष्ट्रीय विकलांगता क़ानूनों को पारित किया है.

संकटों की चपेट में

मगर, यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि विकलांगजन के अधिकारों की दिशा में अब तक जो प्रगति दर्ज की गई है, उसकी दिशा पलटने का जोखिम है.

उन्होंने कहा कि इसकी वजह, कोविड-19 महामारी, गहराती जलवायु आपात स्थिति, हिंसक टकराव, बढ़ती मानवीय राहत आवश्यकताएँ, और विश्व भर में जीवन व्यापन की क़ीमतों का संकट है.

यूएन प्रमुख के अनुसार, विकलांग व्यक्तियों पर अक्सर संकट का असर सबसे पहले होता है और उन्हें इसका सबसे गम्भीर रूप झेलना पड़ता है.

“प्राकृतिक आपदाओं से लेकर महामारियों और सशस्त्र टकरावों तक, हर आपात स्थिति में विकलांग व्यक्तियों की जान जाने की दर अपेक्षाकृत अधिक होती है.”

साथ ही, विकलांग कामगारों को बहिष्करण व हाशिए पर धकेल दिए जाने से भी जूझना पड़ता है, उन्हें अक्सर नौकरियों से सबसे पहले निकाला जाता है और फिर से भर्ती किए जाने वाले कर्मचारियों में वे अन्तिम पायदान पर होते हैं.

विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ारने वाली महिलाओं व लड़कियों को अक्सर हिंसा व दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है और वे निर्धनता के चक्र में फँसे रहते हैं.

यूएन प्रमुख ने इन चुनौतियों के मद्देनज़र, सर्वजन के लिए गरिमामय व अवसरों से परिपूर्ण जीवन सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया है, ताकि शान्तिपूर्ण, न्यायसंगत व समृद्ध जगत को साकार किया जा सके.

अहम कार्रवाई क्षेत्र

यूएन प्रमुख ने बताया कि यह सम्मेलन उन तीन अहम क्षेत्रों की अहमियत को रेखांकित करता है, जहाँ प्रगति हासिल की जानी आवश्यक होगी.

उन्होंने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के लिए डिजिटल सुलभता में बेहतरी लानी होगी, ताकि किसी को भी पीछे, ऑफ़लाइन ना छूटने दिया जाए.

साथ ही, विकलांगजन के लिए यौन व प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समान सुलभता सुनिश्चित की जानी होगी. उन्होंने इसे एक ऐसा विषय बताया जिसकी अभी तक उपेक्षा की गई है.

मनोभ्रंश दुनिया भर में वृद्ध लोगों में विकलांगता और निर्भरता के प्रमुख कारणों में से एक है.
डब्ल्यूएचओ/कैथी ग्रीनब्लाट

तीसरा, देशों को विविध पृष्ठभूमि से आने वाले विकलांग व्यक्तियों के पूर्ण समावेश और सक्रिय भागीदारी को हासिल करना होगा.

इसके लिए, यह ज़रूरी है कि उनके जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णय लिए जाते समय उनकी आवाज़ को भी सुना जाए.

तेज़ी से क़दम बढ़ाने का आग्रह

महासचिव गुटेरेश ने विकलांगजन के अधिकारों के लिए कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र के संकल्प को रेखांकित किया.

उन्होंने चार वर्ष पहले, शान्ति एंव सुरक्षा, मानवाधिकार और विकास, संगठन के कामकाज के सभी तीन स्तम्भों पर डिजिटल समावेशन रणनीति पेश की थी.

उसके बाद से अब तक, यूएन संस्थाओं और देशीय टीमों ने अब तक निर्धारित मानदंडों के 30 प्रतिशत हिस्से को पूरा कर लिया है.

यूएन प्रमुख ने माना कि यह प्रगति ज़रूर है कि मगर, यह विस्तृत स्तर पर या पर्याप्त गति के साथ नहीं हुआ है और अब क़दमों को तेज़ी से आगे बढ़ाया जना होगा.

उन्होंने तब तक अपने प्रयास जारी रखने की बात कही है जब तक नीति, कार्यक्रम, अभियान संचालन समेत संगठन के कामकाज के हर आयाम में, विकलांगता समावेश और सुलभता को पूर्ण रूप से सुनिश्चित ना किया जाए.