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नस्लभेद व नफ़रत के ख़िलाफ़ एक सुर में बोलना होगा, एंतोनियो गुटेरेश

अमेरिका के नॉर्थ कैरोलीना में, लोग नस्लभेद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए.
© UNSPLASH/Clay Banks
अमेरिका के नॉर्थ कैरोलीना में, लोग नस्लभेद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए.

नस्लभेद व नफ़रत के ख़िलाफ़ एक सुर में बोलना होगा, एंतोनियो गुटेरेश

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को कहा है कि दुनिया भर के तमाम समाजों में आज भी नस्लभेद ने, संस्थानों, सामाजिक ढाँचों और हर एक इनसान की दैनिक ज़िन्दगी में ज़हर घोल रखा है. उन्होंने नफ़रत को सामान्य बनाने, गरिमा का हनन किये जाने और हिंसा को भड़कावा देने के चलन के ख़िलाफ़ आयोजित एक विशेष सम्मेलन में ये बात कही.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘नस्लभेद का उन्मूलन करने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ पर यूएन महासभा को सम्बोधित करते हुए कहा, “ये आज भी लगातार जारी असमानता के लिये एक प्रमुख कारक बना हुआ है... जिससे लोग अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित होते हैं.”  

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उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि नस्लभेद दुनिया भर में समुदायों को अस्थिर बनाता है, “लोकतंत्रों की महत्ता को कम करता है, सरकारों की वैधता का ह्रास करता है, और कोविड-19 से एक समावेशी व टिकाऊ पुनर्बहाली में बाधाएँ उत्पन्न करता है.”

उन्होंने हर वर्ष 21 मार्च को मनाए जाने वाले इस दिवस को एक पहचान दिवस और कार्रवाई के लिये पुकार का एक मौक़ा क़रार दिया.

प्रखर सम्बन्ध

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने नस्लभेद और लैंगिक विषमता के बीच सम्बन्ध की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए,   अश्वेत पृष्ठभूमि वाली महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों के साथ हो रहे भेदभाव को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा, “कोई भी देश असहिष्णुता से अछूता नहीं, नफ़रत से मुक्त नहीं है.”

समाजों की बुनियाद

इस वर्ष इस दिवस की थीम है – नस्लभेद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिये आवाज़ बुलन्द करना और इस अवसर पर हर किसी से ध्यान से सुनने, अपनी आवाज़ बुलन्द करने और निर्णायक कार्रवाई करने की पुकार लगाई गई है.

यूएन प्रमुख ने कहा, “हर जगह समानता व मानवाधिकारों के लिये चलाए जा आन्दोलनों के साथ एकजुटता में शामिल होना, हम सबकी ज़िम्मेदारी है. और हमें उन सभी के साथ भी एकजुटता दिखानी है जो संघर्ष से बचकर सुरक्षा के लिये भाग रहे हैं.”

उन्होंने पूरे विश्व से नफ़रत के ख़िलाफ़ तमाम ऑफ़लाइन व ऑनलाइन मंचों पर आवाज़ बुलन्द करने का आग्रह किया.

यूएन महासचिव ने कहा कि मुक्त अभिव्यक्ति और सभाएँ करने की स्वतंत्रता की हिफ़ाज़त करके, नागरिक स्थान की रक्षा करनी होगी क्योंकि ये बहुलवादी, शान्तिपूर्ण और समावेशी समाजों की बुनियाद हैं.

भेदभावपूर्ण ढाँचों का विध्वंस

एंतोनियो गुटेरेश ने निर्धनता और बहिष्करण का मुक़ाबला करने, शिक्षा में निवेश करने, और विश्वास निर्माण व सामाजिक समरसता के लिये, अधिकारों पर आधारित एक सामाजिक सम्विदा का आहवान किया.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “जो लोग अन्याय का अनुभव कर रहे हैं, हमें उनकी बात सुननी होगी और ये सुनिश्चित करना होगा कि उनकी चिन्ताएँ और मांगे, भेदभावपूर्ण ढाँचों को ढहा देने के प्रयासों के केन्द्र में जगह पाएँ.”

अतीत की मरम्मत

यूएन प्रमुख ने कहा कि एक न्यायसंगत भविष्य के लिये, भेदभावपूर्ण अतीत की, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों और संकल्पों के अनुरूप मरम्मत ज़रूरी है.

इस बैठक के मेज़बान, यूएन महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने यूक्रेन में आम लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ जारी हिंसा पर गम्भीर चिन्ताएँ व्यक्त कीं.

उन्होंने कहा कि बहुत से परिवारों को सुरक्षा की ख़ातिर नए स्थानों पर पनाह लेने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है, ऐसे हालात में, यूक्रेन के लोगों के साथ हमारी पूरी हमदर्दी है.

लक्ष्य अप्राप्त

अब्दुल्ला शाहिद ने बैठक में भाग लेने वालों को याद दिलाते हुए कहा कि नस्लभेद का उन्मूलन करने के लिये ये अन्तरराष्ट्रीय दिवस, लगभग आधी सदी पहले शुरू किया गया था, मगर नस्लभेद आज भी जारी है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय कन्वेन्शन लगभग सार्वभौमिक स्वीकृति के निकट पहुँच गई है, फिर भी हेट स्पीट (नफ़रत), असहिष्णुता, और विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नस्लभेद अब भी देखे जा रहे हैं.

यूएन महासभा प्रमुख ने कहा, “नस्लभेद का ख़ात्मा करने में हमारी नैतिक विफलता, दरअसल, उस सब में हमारी विफलता है जिसके लिये हम सब इस यूएन महासभा में मौजूद हैं.”