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'काला सागर निर्यात पहल': रूस की भागेदारी 60 दिनों के लिए बढ़ने की पुष्टि

काला सागर अनाज निर्यात पहल में संंयुक्त निरीक्षण टीम का दौरा.
© UNODC/Duncan Moore
काला सागर अनाज निर्यात पहल में संंयुक्त निरीक्षण टीम का दौरा.

'काला सागर निर्यात पहल': रूस की भागेदारी 60 दिनों के लिए बढ़ने की पुष्टि

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को बताया है कि रूस ने ‘काला सागर अनाज निर्यात पहल’ में अपनी भागेदारी की अवधि को, अगले 60 दिनों तक बढ़ाए जाने की पुष्टि की है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान, रूस द्वारा इस पहल में अपनी भागेदारी जारी रखने के निर्णय का स्वागत किया.

इसके ज़रिए, काला सागर स्थित यूक्रेन के बन्दरगाहों से तीन करोड़ टन अनाज और अन्य खाद्य वस्तुओं का सुरक्षित निर्यात किया जाना सम्भव हुआ है.

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साथ ही, एक सहमति पत्र के ज़रिए, रूस से खाद्य वस्तुओं और उर्वरकों के निर्यात को सुनिश्चित किए जाने के भी प्रयास किए गए हैं.

इस पहल की शुरुआत, पिछले साल जुलाई में की गई और यह एक संयुक्त समन्वय केन्द्र (JCC) द्वारा संचालित है, जिसमें रूस, यूक्रेन, संयुक्त राष्ट्र और तुर्कीये के प्रतिनिधि शामिल हैं. इसका मुख्यायल इस्तान्बुल में स्थित है.

‘सुखद समाचार’

महासचिव गुटेरेश ने बताया कि इस पहल का जारी रहना, दुनिया के लिए अच्छी ख़बर है, हालाँकि लम्बित मुद्दों को अब भी सुलझाए जाने की आवश्यकता है.  

यूएन प्रमुख के अनुसार, “रूस, यूक्रेन, तुर्कीये, और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि उन पर चर्चा जारी रखेंगे. मुझे उम्मीद है कि हम इस पहल में बेहतरी लाने, उसका विस्तार करने और अवधि बढ़ाने पर एक व्यापक समझौते पर सहमत होंगे.”

“जैसाकि, मैंने तीन देशों के राष्ट्रपतियों को हाल ही में लिखे गए एक पत्र में प्रस्ताव दिया है.”

उन्होंने इस समझौते को जारी रखने के लिए, वार्ता में शामिल सभी पक्षों का उनके प्रयासों के लिए आभार प्रकट किया है, जिसे ‘सृजनात्मक माहौल’ में आगे बढ़ाया गया..

महासचिव गुटेरेश ने संयुक्त समन्वय केन्द्र के ज़रिए संयुक्त राष्ट्र के साथ नज़दीकी तौर पर काम करने के लिए तुर्कीये के राष्ट्रपति रैचप तैयप ऐरदोआन और उनकी सरकार को धन्यवाद प्रेषित किया.

उन्होंने कहा कि यह पहल और उर्वरक व खाद्य वस्तुओं पर संयुक्त राष्ट्र व रूस के बीच सहमति पत्र, वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए मायने रखता है.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि यूक्रेन और रूस के उत्पाद, दुनिया का पेट भरते हैं और इस समझौते के ज़रिए, विश्व के सर्वाधिक निर्बलों तक अहम सामग्री को पहुँचा पाना सम्भव हुआ है.

इनमें 30 हज़ार टन गेहूँ भी है, जिसे विश्व खाद्य कार्यक्रम के जहाज़ से सूडान में ज़रूरतमन्दों के लिए रवाना किया गया है.

‘आशा का पुंज’

“वे मायने रखते हैं चूँकि हम जीवन-व्यापन की क़ीमतों में रिकॉर्ड तोड़ संकट की चपेट में हैं. पिछले एक वर्ष में, बाज़ारों में स्थिरता आई है, उथलपुथल कम हुई है और हमने वैश्विक खाद्य क़ीमतों में 20 फ़ीसदी की गिरावट देखी है.”

यूएन प्रमुख के अनुसार, समझौते मायने रखते हैं, चूँकि वे दर्शाते हैं कि स्याह दौर में भी आशा की किरण और हर किसी को लाभ पहुँचा सकने वाले समाधान तलाश करने का अवसर सदैव उपस्थित है.

महासचिव गुटेरेश ने भरोसा जताया कि यूक्रेन और रूस से खाद्य सामग्री और उर्वरक के निर्यात के ज़रिए, वैश्विक सप्लाई चेन में स्थिरता आएगी, और पहल में शामिल सभी देश इसके समर्थन में हैं.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, दोनों समझौतों को समर्थन देने के लिए संकल्पित है.